Youtube पर नकली वीडियो देखकर पृथ्वी को सपाट मानने वालों की संख्या बढ़ी, जानिए क्या है हकीकत
यूट्यूब पर वीडियो देखकर दुनिया में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ गई है, जो धरती को गोल नहीं सपाट मानते हैं।
सैन फ्रांसिस्को, आइएएनएस। इंटरनेट की दुनिया ने जिस प्रकार हर बात को लोगों तक पहुंचाने में काम आसान कर दिया है, अब वहीं अफवाहें और गलत जानकारियां फैलाना भी उतना ही आसान हो गया है। कई बार गलत जानकारियां लोगों की सोच को भी बदल देती हैं। इसका ताजा उदाहरण यूट्यूब के मामले में देखने को मिला है। यूट्यूब पर वीडियो देखकर दुनिया में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ गई है, जो धरती को गोल नहीं सपाट मानते हैं।
लोगों को समझाने की कोशिश में जुटा यूट्यूब
एक अध्ययन में यह बात सामने आने के बाद से परेशान यूट्यूब अब लोगों को यह भरोसा दिलाने में जुटा है कि धरती वास्तव में गोल ही है। द गार्जियन ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, 'संदेह उस वक्त गहराया था, जब 2017 में नॉर्थ कैरोलिना में धरती को सपाट मानने वालों के सालाना कॉन्फ्रेंस में रिकॉर्ड संख्या में लोग जुटे। इसके बाद पिछले साल कोलोरेडो के डेनवर में भी बहुत बड़ी संख्या में ऐसे लोग जुटे थे।'
इस कंपनी ने किया सर्वेक्षण
2018 में लंदन की मार्केट रिसर्च कंपनी 'यू गव' ने इस संबंध में एक सर्वेक्षण किया। इसमें पाया गया कि केवल दो तिहाई लोग ही भरोसे के साथ यह कहने में सक्षम हैं कि धरती गोल है। अमेरिका की टेक्सास टेक यूनिवर्सिटी के एश्ले लैंड्रम ने बताया कि धरती को चपटा बताने वालों में कुछ लोगों के मन में यह बात यूट्यूब के वीडियो देखकर आई। एक व्यक्ति के अनुसार, दो साल पहले उसके दिमाग में धरती के चपटा होने का कोई खयाल नहीं था, लेकिन यूट्यूब पर इस तरह के कई वीडियो देखकर उनके मन में यह बात आई।
गूगल ने कसी कमर
मामला सामने आने के बाद यूट्यूब की मूल कंपनी गूगल ने इससे निपटने के लिए कमर कसी है। यूट्यूब पर गलत जानकारियां फैलाने वाले वीडियो पर लगाम लगाने के लिए कंपनी नई योजना बना रही है। यूट्यूब पर किसी बीमारी को आश्चर्यजनक रूप से ठीक करने, धरती के सपाट होने, अमेरिका में हुए 9/11 के आतंकी हमले जैसी तमाम घटनाओं को लेकर झूठे दावे करने वाले कई वीडियो हैं।
धरती के आकार पर रहा है बहुत विवाद
धरती का आकार काफी समय तक विवाद का विषय रहा है। कुछ सदी पहले तक लोग धरती को सपाट मानते थे। इसके बाद पुर्तगाल के खोजी यात्री फर्डिनांड मेगलन ने इस धारणा को चुनौती दी थी। 1519-1522 के दौरान उन्होंने धरती का पूरा चक्कर लगाया था। उनका कहना था कि अगर धरती चपटी होती तो उसका चक्कर लगाना संभव नहीं होता। उसके बाद से नासा से लेकर तमाम अंतरिक्ष एजेंसियों से अपने सेटेलाइट की मदद से धरती के गोल आकार को प्रमाणित किया है।