अब गहरे ब्रह्मांड में होगी दूसरी धरती की खोज, तारों पर भी मिलेगी और जानकारी
अगले सप्ताह सुदूर अंतरिक्ष में जाने वाला टैस न सिर्फ तारों की चमक में बदलाव को बताएगा बल्कि यह भी बताएगा ब्रह्मांड में और कहां जीवन की संभावना है।
वाशिंगटन। नासा अगले हफ्ते एक नया ग्रह-खोजी यान छोड़ेगा। इससे उन ग्रहों को खोजने में मदद मिलेगी जहां जीवन होने की संभावना है। इस यान का नाम ट्रांसिसटिंग एक्सोप्लेनेट सर्वे सेटेलाइट (टेस) है। इसे 16 अप्रैल को फ्लोरिडा में केप केनेवरल एयरफोर्स स्टेशन के स्पेस लांच कांप्लेक्स 40 से प्रक्षेपित किया जाएगा। टेस के प्रमुख जांचकर्ता जार्ज रिकर ने कहा कि हमें उम्मीद है कि टेस जीवन की संभावना वाले अनेक बाहरी ग्रहों का पता लगाएगा। भविष्य में भेजे जाने वाले मिशन इन ग्रहों के वायुमंडल की संरचना का अध्ययन करके वहां जीवन के संकेत खोज सकते हैं। यह यान चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण की मदद से पृथ्वी के इर्द-गिर्द 13.7 दिन की कक्षा में स्थापित हो जाएगा।
एमआइटी के इंजीनियरों ने विकसित किया है टेस
प्रक्षेपण के 60 दिन बाद उपकरणों के परीक्षण के पश्चात यह उपग्रह अपना प्रारंभिक दो-वर्षीय मिशन आरंभ कर देगा। यह उपग्रह अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) के इंजीनियरों ने विकसित किया है। इसका मकसद हमारे सौरमंडल के आसपास हजारों बाहरी ग्रहों को खोजना है, जिनमें से कम से कम 50 ग्रहों का आकार पृथ्वी जितना है। इस अंतरिक्ष यान का आकार एक रेफ्रिजरेटर से बड़ा नहीं है। इसमें चार कैमरे लगे हुए हैं जो आसमान में निकटस्थ चमकीले तारों का सर्वे करके उनका चक्कर काटने वाले ग्रहों के चिह्न् खोजेंगे। टेस यान समूचे आसमान को निहारने में दो साल लगाएगा। उसकी निगरानी के दायरे में दो करोड़ से अधिक तारे आ सकते हैं।
तारों की चमक में होने वाले बदलावों का अध्ययन करेगा
निगरानी के पहले वर्ष में दक्षिणी आसमान के 13 सेक्टरों की स्कैनिंग की जाएगी। दूसरे वर्ष में उत्तरी आसमान के 13 सेक्टरों की स्कैनिंग की जाएगी। यह अंतरिक्षयान तारों की चमक में होने वाले परिवर्तनों को नोट करेगा। जब कोई किसी तारे के सामने से गुजरता है तो उसकी चमक कम होने लगती है। वैज्ञानिक तारों की चमक में नियमित परिवर्तन के आधार पर उनके इर्द-गिर्द ग्रहों की मौजूदगी का अनुमान लगाते हैं। नासा के कैप्लर अंतरिक्षयान ने इसी विधि से 2600 से अधिक बाहरी ग्रहों का पता लगाया है। इनमें से अधिकांश तारे 300 से 3000 प्रकाशवर्ष दूर मंद तारों की परिक्रमा कर रहे हैं।
हमारे करीबी तारों की मौजूदगी बताएगा 'टेस'
नासा मुख्यालय में एस्ट्रोफिजिक्स डिवीजन के डायरेक्टर पॉल हट्रज ने कहा कि कैप्लर यान से हमें यह पता चला कि हमारे आसमान में ग्रहों की संख्या तारों से कहीं अधिक है। अच्छी बात यह है कि अब टेस हमें उन ग्रहों के दर्शन कराएगा जो हमारे निकटस्थ तारों के आसपास मौजूद हैं। एमआइटी की टेस साइंस टीम कम से कम 50 छोटे ग्रहों के द्रव्यमान की नापजोख करेगी जिनके अर्धव्यास पृथ्वी के आकार के चार गुना से कम हैं।
जलवायु पर सूक्ष्म शैवाल के प्रभाव का अध्ययन
नासा पहली बार इस बात का अध्ययन करने जा रहा है कि उत्तरी अटलांटिक में पाए जाने वाले सूक्ष्म शैवाल अथवा फाइटोप्लैंकटन किस प्रकार हर सीजन में जलवायु को प्रभावित करते हैं। इस अध्ययन के तहत यह पता लगाया जाएगा कि फाइटोप्लैंकटन किस प्रकार छोटे कार्बनिक कण उत्पन्न करते हैं। ये कण समुद्र से निकल कर वायुमंडल में पहुंच कर बादलों और जलवायु को प्रभावित करते हैं। फाइटोप्लैंकटन की बस्ती के तेजी से फैलने की प्रक्रिया में चार चरण होते हैं। फाइटोप्लैंकटन बस्ती के तेजी से बढ़ने को फाइटोप्लैंकटन ब्लूम कहा जाता है। यह पहली रिसर्च है जिसमें सभी चारों चरणों का समन्वित अध्ययन किया जाएगा।
नार्थ अटलांटिक एरोसोल्स एंड मेरिन इकोसिस्टम्स स्टडी मिशन
यह अध्ययन नार्थ अटलांटिक एरोसोल्स एंड मेरिन इकोसिस्टम्स स्टडी मिशन के तहत किया जा रहा है। मिशन के तहत यह वैज्ञानिकों की चौथी तैनाती होगी। एक वैज्ञानिक रिच मूर ने कहा कि अधिकांश वैज्ञानिक वसंत और प्रारंभिक गर्मियों के दौरान फाइटोप्लैंकटन के फैलाव की चरम अवस्था के दौरान समुद्रों की ओर जाते हैं। हमने भी ऐसा ही किया, लेकिन हमने दूसरे सीजनों में भी अभियान चलाए जब ये शैवाल पूरी तरह से नहीं फैले नहीं थे। उन्होंने कहा कि इससे पहले इस तरह का अध्ययन नहीं किया गया था। वैज्ञानिक इन आंकड़ों का उपयोग फाइटोप्लैंकटन के फैलाव के चक्र को परिभाषित करने के लिए कर रहे हैं।
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