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कोरोना वायरस को लेकर जंग के बीच अमेरिका और चीन में बढ़ा तनाव

Territorial disputes in the South China Sea जानकारों का कहना है कि कोरोना संकट से जूझने के दौरान भी बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में अपनी गतिविधियां रत्ती भर भी कम नहीं की थीं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 24 Apr 2020 12:48 PM (IST)Updated: Fri, 24 Apr 2020 01:12 PM (IST)
कोरोना वायरस को लेकर जंग के बीच अमेरिका और चीन में बढ़ा तनाव
कोरोना वायरस को लेकर जंग के बीच अमेरिका और चीन में बढ़ा तनाव

वाशिंगटन, न्यूयॉर्क टाइम्स से। Territorial disputes in the South China Sea जानलेवा कोरोना वायरस (कोविड-19) को लेकर जारी जंग के बीच अमेरिका के दो युद्धपोत विवादित दक्षिण चीन सागर में घुस गए हैं। सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि इस ताजा घटनाक्रम के चलते वायरस की उत्पति को लेकर पहले से ही उलझे अमेरिका और चीन में तनाव काफी हद तक बढ़ गया है। इतना ही नहीं वाशिंगटन के इस कदम से विवादित समुद्री क्षेत्र में कायम गतिरोध में और भी बढ़ोतरी हो सकती है। यह घटना ऐसे समय हुई, जब दुनिया के ज्यादातर हिस्से कोरोना के चलते पूरी तरह से लॉकडाउन में हैं।

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रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, बेहद मारक यूएसएस अमेरिका और गाइडेड मिसाइल से लैस यूएसएस बंकर हिल युद्धपोत दक्षिण चीन सागर के विवादित मलेशियाई जल क्षेत्र में दाखिल हो गए। दोनों अमेरिकी जंगी बेड़े जिस वक्त विवादास्पद समुद्री क्षेत्र में घुसे, उस समय उक्त क्षेत्र में चीन सरकार का एक पोत कई दिनों से मलेशियाई तेल कंपनी की जहाज के इर्द-गिर्द मंडरा राह था। मलेशियाई तेल कंपनी का जहाज समुद्री क्षेत्र में तेल की खोज करने के काम में जुटा बताया जा रहा है। नजदीकी क्षेत्र में चीन और आस्ट्रेलिया के युद्धपोत भी चक्कर काट रहे थे।

जानकारों का कहना है कि कोरोना संकट से जूझने के दौरान भी बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में अपनी गतिविधियां रत्ती भर भी कम नहीं की थीं। उनके मुताबिक, महामारी के दौरान भी चीन ने इस विवादित समुद्री क्षेत्र में अपना आक्रामक रवैया बरकरार रखा। आस्ट्रेलियन स्ट्रैटिजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट के पीटर र्जेंनग्स के अनुसार, ‘चीन का मानना है कि वर्तमान में अमेरिका की क्षमता कम हो गई है। लिहाजा वह पड़ोसियों को दबाने की रणनीति पर जानबूझ कर तेजी से अमल कर रहा है।’ जनवरी में जब कोरोनावायरस ने तेजी पकड़ना शुरू किया, उस समय से चीन ने दक्षिण चीन सागर में अपनी सैन्य गतिविधियां अप्रत्याशित रूप से बढ़ा दी। इस दौरान उसने समुद्र में दावेदारी करने वाले देशों और उनके मछुआरों को तंग करना शुरू कर दिया। इस महीने के शुरू में वियतनाम ने आरोप लगाया कि चीन के एक पोत ने टक्कर मारकर उसके मछली मारने की एक नौका को डुबो दिया।

दक्षिण चीन सागर में दबंगई का बीजिंग का यह सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ। पिछले महीने उसने फिलीपींस और दूसरे देशों की दावेदारी वाले जल क्षेत्र के टापू पर जबरिया अपने दो रिसर्च सेंटर खोल दिए। चीन ने यहां पर अपने सैन्य ठिकाने व एयरबेस पर भी स्थापित कर दिए। पिछले हफ्ते तो र्बींजग ने यह घोषणा भी कर दी कि उसने दक्षिण चीन सागर में दो नए जिले गठित कर दिए हैं। इन जिलों में कई विवादित द्वीप और टापू शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक, पानी में डूबे होने के चलते इन पर किसी भी देश का अधिकार नहीं हो सकता।

होनोलूलू स्थित एशिया पेसिफिक सेंटर फॉर सिक्योरिटी स्टडीज के प्रोफेसर एलेक्जेंडर र्वूंवग का कहना है, ‘ऐसा लगता है कि चीन जब कोरोना से लड़ रहा था, तब भी वह अपने दीर्घकालीन रणनीतिक लक्ष्यों को लेकर काफी सचेत था। वह दक्षिण चीन सागर में ऐसे नए हालात पैदा कर देना चाहता है, जिसके कारण विवादित समुद्री क्षेत्र में वह ही सर्वेसर्वा रहे। यही कारण है कि बीजिंग ने आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है।’


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