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कश्मीर पर मध्यस्थता की बात कर ट्रंप ने की 'बड़ी राजनयिक भूल', राष्ट्रपति के झूठ पर अमेरिका में उठ रहे सवाल

अमेरिकी अखबार द वाशिंगटन पोस्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रंप ने हद दर्जे की राजनयिक भूल की है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Thu, 25 Jul 2019 07:56 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jul 2019 07:56 PM (IST)
कश्मीर पर मध्यस्थता की बात कर ट्रंप ने की 'बड़ी राजनयिक भूल', राष्ट्रपति के झूठ पर अमेरिका में उठ रहे सवाल
कश्मीर पर मध्यस्थता की बात कर ट्रंप ने की 'बड़ी राजनयिक भूल', राष्ट्रपति के झूठ पर अमेरिका में उठ रहे सवाल

वॉशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी तरफ से कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश कर 'हद दर्जे की राजनयिक भूल' की है। यह कहना है अमेरिका के एक शीर्ष समाचार पत्र का। अखबार का यह भी मानना है कि ट्रंप भारत के साथ रिश्ते सुधारने के लिए पूर्व राष्ट्रपतियों के किए पर पानी फेर रहे हैं। अखबार के मुताबिक राष्ट्रपति के बर्ताव से एक प्रमुख देश विमुख हो सकता है।

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ट्रंप ने सोमवार को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ बैठक के दौरान यह बयान देकर दुनिया को स्तब्ध कर दिया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के ओसाका में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान कश्मीर मामले को सुलझाने में उनकी मदद मांगी थी।

अमेरिकी राष्ट्रपति के इस बयान के तुरंत बाद भारत ने इसे खारिज करते हुए कहा था कि मोदी ने ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया और कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मामला है।

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ट्रंप के के बयान के बाद खुद अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने नुकसान की भरपाई की कोशिश करते हुए कहा कि वह कश्मीर को भारत एवं पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मामला मानता है और वह तभी मदद के लिए तैयार होगा, जब दोनों देश चाहेंगे।

अमेरिका के शीर्ष दैनिक 'द वॉशिंगटन पोस्ट' ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा, 'ट्रंप ने हद दर्जे की राजनयिक भूल की है।' अखबार ने आगे कहा, 'भारत के साथ व्यापार युद्ध के बाद, कश्मीर मामले पर उनकी भूल एक अहम देश को और विमुख कर देगी, जिसकी मित्रता की अमेरिका को चीन के बढ़ते प्रभाव से मुकाबला करने के लिए आवश्यकता है।'

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अखबार ने आगे कहा, 'राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश और बराक ओबामा ने भारत के साथ संबंधों में सुधार किया, ट्रंप कुछ गलत शब्दों से उनके किए पर पानी फेर रहे हैं।'

समाचार पत्र ने कहा, 'वह अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों को वापस लाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं और उन्हें लगता है कि यदि वह पाकिस्तान को खुश करते हैं, तो अमेरिका वहां से सम्मान से साथ निकल पाएगा।'

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समाचार पत्र की रिपोर्ट में कहा गया है, 'अफगानिस्तान से अमेरिका के निकलने में मदद करने में पाकिस्तान का हित है। इससे तालिबान, हक्कानी नेटवर्क को वर्चस्व बनाने में मदद मिलेगी, लेकिन हमेशा की तरह, ट्रंप को इस बार भी पता नहीं है कि उन्हें मूर्ख बनाया जा रहा है।'


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