UN में बोले सैयद अकबरुद्दीन, लश्कर,जैश और अलकायदा करते हैं सोशल मीडिया का खतरनाक इस्तेमाल
संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा है कि लश्कर जैश अलकायदा जैसे आतंकी संगठन सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर कई इलाकों में आतंक फैला रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र, एएनआइ। संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने एकबार फिर आतंकवाद के मसले पर भारत का पक्ष रखा है। संयुक्त राष्ट्र(यूएन) और शंघाई सहयोग संगठन(एससीओ) के एक कार्यक्रम में बोलते हुए सैयद अकबरुद्दीन ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र में नामित आईएसआईएल, अल-शबाब, अल-कायदा, बोको हराम, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए- मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठन सीमा पार से मिल रही आर्थिक मदद, प्रचार और आतंकी भर्तियां कर पूरे इलाके को अस्थिर करने में लगे हुए हैं। इनआतंकियों के निशाने पर साइबर स्पेस और सोशल मीडिया जैसे साधन भी है, जिनका यह खतरनाक इस्तेमाल कर रहे हैं।
आतंक के खिलाफ लड़ाई में SCO अहम
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में शंघाई सहयोग संगठन(एससीओ) के महत्व का जिक्र करते हुए उन्होने कहा कि एससीओ का क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी ढांचा आतंकवाद और ड्रग्स के खिलाफ समन्वित कार्रवाई के लिए एक उपयोगी तंत्र है। उन्होने कहा कि हम अवैध नारकोटिक-ट्रैफिकिंग का मुकाबला करने के लिए यूएनओडीसी और मध्य एशियाई क्षेत्रीय सूचना और समन्वय केंद्र के साथ एससीओ के सहयोग के विस्तार का स्वागत करते हैं।
आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस
भारत ने बिना किसी दोहरे मापदंड के आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के दृष्टिकोण का आह्वान किया है, ताकि आतंकी-अपराध के अस्तित्व के वैश्विक खतरे का मुकाबला किया जा सके। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने मंगलवार को यहां कहा, 'हम आज सुनते हैं कि कैसे एक ही जीवन रेखा से आतंक और संगठित अपराध का पोषण होता है। उनके संबंधों की प्रकृति अलग-अलग हो सकती है, लेकिन वे एक ही निंदनीय ताकतों द्वारा बनाए जाते हैं, जो हिंसा के नाजायज इस्तेमाल के जरिए शासन, विकास और सामाजिक सामंजस्य को कमजोर करते हैं।'
अकबरुद्दीन ने कहा कि आपराधिक समूहों ने आतंकवादियों के साथ मिलकर मादक पदार्थों की तस्करी, हथियारों से निपटने, लूटी गई पुरावशेषों की बिक्री, मनी लॉन्ड्रिंग और जालसाजी के माध्यम से अवैध रूप से वित्तपोषण प्रदान करने के लिए हाथ मिलाया है। उन्होंने आगे कहा कि परिस्थितियों के आधार पर, ये समूह सहयोग कर सकते हैं और सहयोग कर सकते हैं।