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सेवानिवृत्त हुए सैयद अकबरुद्दीन, संयुक्त राष्ट्र में बंद कर दी थी पाकिस्‍तान की बोलती

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने अपने कार्यकाल के दौरान कूटनीतिक सफलता के कुछ ऐसे मानदंड बनाए हैं जिसे हमेशा याद किया जाएगा।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 08:28 PM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 08:43 PM (IST)
सेवानिवृत्त हुए सैयद अकबरुद्दीन, संयुक्त राष्ट्र में बंद कर दी थी पाकिस्‍तान की बोलती
सेवानिवृत्त हुए सैयद अकबरुद्दीन, संयुक्त राष्ट्र में बंद कर दी थी पाकिस्‍तान की बोलती

संयुक्त राष्ट्र, आइएएनएस। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन सेवानिवृत्त हो गए हैं। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कूटनीतिक सफलता के कुछ ऐसे मानदंड स्थापित किए हैं, जिसे हमेशा याद किया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने से लेकर अंतरराष्ट्रीय अदालत में न्यायाधीश के पद की दौड़ में सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य ब्रिटेन की पराजय उनकी कूटनीतिक सफलता की कहानी बयां करते हैं।

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जैश ए मुहम्मद पर कसी नकेल

भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी अकबरुद्दीन 35 साल की सेवा के बाद इस महीने सेवानिवृत्त हो गए हैं। यह उनकी कूटनीति ही थी कि 2017 में अंतरराष्ट्रीय अदालत में न्यायाधीश के पद पर भारत के दलवीर सिंह का दोबारा चुनाव हो पाया। संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों ने खुलकर दलवीर सिंह का समर्थन किया था, जिसके चलते ब्रिटेन को अपने प्रत्याशी क्रिस्टोफर ग्रीनवुड को मैदान से हटाना पड़ा था, जबकि सुरक्षा परिषद के ज्यादातर स्थायी सदस्य उसके साथ थे। उनके प्रयास से ही जैश ए मुहम्मद का सरगना मसूद अजहर अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किया जा सका।

धन्‍य हूं जो देश के लिए काम करने का मौका मिला

अकबरुद्दीन उनके कार्यकाल के दौरान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सफलता का श्रेय भी नहीं लेते। इस मुद्दे पर उन्होंने कहा, 'मैं सौभाग्यशाली था कि मुझे उस समय देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला जब विश्व में हमारी छवि बेहतर बन रही थी।' दुनिया के अन्य देशों के साथ सरकार ने बेहतर तालमेल के साथ काम किया।

कश्‍मीर मसले पर हार गया था पाक

अकबरुद्दीन की कूटनीति के चलते कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान को बहुत ही करारी हार का सामना करना पड़ा था। संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में 193 में से 189 सदस्यों ने भारत का समर्थन किया था। पाकिस्तान के साथ सिर्फ मलेशिया और तुर्की ही थे, वह भी सिर्फ एक बार। उसके बाद तो पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे पर एकदम अकेला पड़ गया था।

श्रेष्ठ राजनयिक

महासभा के अध्यक्ष तिज्जानी मुहम्मद बंदे अकबरुद्दीन को श्रेष्ठ राजनयिक बताते हैं। उन्होंने आइएएनएस से कहा कि सैयद अकबरुद्दीन सर्वश्रेष्ठ राजनयिक थे। उनके साथ जितने भी लोगों ने काम किया है, सभी यही कहेंगे। वह बहुत ही बुद्धिमान, बहुत ही गंभीर और बहुत ही जानकार व्यक्ति हैं। वह अकबरुद्दीन जैसे राजनयिक पैदा करने के लिए भारत को बधाई देंगे।

सोशल मीडिया पर भी थे सक्रिय

सैयद अकबरुद्दीन सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहते थे। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में वह ऐसे दूसरे राजनयिक थे, जिनके ट्विटर पर सबसे ज्यादा फालोअर थे। पहले स्थान पर अमेरिका की स्थायी प्रतिनिधि निक्की हेली ही थीं।

परिवार के दूसरी पीढ़ी के राजनयिक

अकबरुद्दीन के पिता सैयद बशीरुद्दीन भी राजनयिक रह चुके थे। वह कतर में भारत के राजदूत रह चुके थे। अकबरुद्दीन 1985 में भारतीय विदेश सेवा में आए थे। वह विदेश मंत्रालय में प्रवक्ता रह चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं के दौरान वह उनके प्रवक्ता के तौर पर काम करते थे।


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