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दुनिया में पहली बार एक इंसान के चेहरे और दोनों हाथों का हुआ सफल ट्रांसप्लांट, डॉक्टरों का करिश्मा

अमेरिका में डॉक्टरों की एक टीम ने करिश्मा कर दिखाया है। अमेरिका के न्यूजर्सी में डॉक्टरों ने दुनिया में पहली बार चेहरे और दोनों हाथों के सफल ट्रांसप्लांट किया है। यह दुनिया का अपनी तरह का पहला ट्रांसप्लांट है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Thu, 04 Feb 2021 11:39 AM (IST)Updated: Thu, 04 Feb 2021 11:57 AM (IST)
दुनिया में पहली बार एक इंसान के चेहरे और दोनों हाथों का हुआ सफल ट्रांसप्लांट, डॉक्टरों का करिश्मा
दुनिया में पहली बार चेहरे और दोनों हाथों का सफल ट्रांसप्लांट। (फोटो: एएफपी)

न्यूयॉर्क, एपी। अमेरिका में डॉक्टरों की एक टीम ने दुनिया में पहली बार एक इंसान के चेहरे और दोनों हाथों का सफल ट्रांसप्लांट किया है। अमेरिका के न्यू जर्सी में डॉक्टरों ने एक लड़के के चेहरे और दोनों हाथों का सफल ट्रांसप्लांट किया है। यह दुनिया का अपनी तरह का पहला ट्रांसप्लांट है। एक कार दुर्घटना में इस इंसान के शरीर का 80 प्रतिशत हिस्सा जल गया था। चेहरे और दोनों हाथों के दुर्लभ और सफल प्रत्यारोपण के लगभग छह महीने बाद जो डिमियो(Joe DiMeo) ने पलक झपकाई और चुटकी भी बजाई।

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कैसे हुआ हादसा ?

दरअसल 22 साल का जो डिमियो(Joe DiMeo) साल 2018 में अपनी नौकरी की नाइट शिफ्ट करके आ रहा था और उसे कार में नींद आ गई। इससे कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई, फिर उसमें विस्फोट हो गया। उसकी किस्मत अच्छी थी कि लोगों ने उसकी जान बचा ली और उसे आग की लपटों से खींच लिया। लेकिन उसका चेहरा बुरी तरह खराब हो गया था और वह हादसे में दोनों हाथ गंवा चुका था।

जो डिमियो(Joe DiMeo) की ट्रांसप्लांट के बाद हालत अब बेहतर है और वह तेजी से ठीक हो रहे हैं। बीते साल अगस्त महीने में  न्यूयॉर्क शहर के एनवाईयू लैंगोन हेल्थ सेंटर में उनका ट्रांसप्लांट किया गया था। दुर्घटना के बाद वह दो महीने तक कोमा में थे। 

9 अगस्त 2020 को उसके मैच का एक डोनर मिल गया था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण ऑपरेशन नहीं हो पाया था। सर्जरी के सफल होने की सिर्फ छह प्रतिशत संभावना थी क्योंकि सभी प्रकार की सर्जरी से डिमियो पहले ही गुजर चुका था।

अमेरिका के न्यू जर्सी निवासी शख्स को दुनिया का पहला सफल डबल हैंड और चेहरा ट्रांस्पलांट मिला है। ऑपरेशन को करने में डॉक्टरों की टीम को 23 घंटे लगे। बेहद चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन के लिए 96 स्वास्थ्यकर्मियों की मदद ली गई। सफल ट्रांस्पलांट के बाद मरीज का कहना है कि अंधेरे के बाद उजाला होता है।


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