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पाकिस्तान की नापाक हरकत के खिलाफ सिंधी समुदाय का अमेरिका में जोरदार विरोध प्रदर्शन

Protest Against Pakistan अमेरिका में हुए इस प्रदर्शन में सिंध बलूच और पख्तून के नेताओं के अलावा गिलगिट बाल्टिस्तान के लोग भी शामिल थे।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Mon, 17 Aug 2020 08:45 AM (IST)Updated: Mon, 17 Aug 2020 08:45 AM (IST)
पाकिस्तान की नापाक हरकत के खिलाफ सिंधी समुदाय का अमेरिका में जोरदार विरोध प्रदर्शन
पाकिस्तान की नापाक हरकत के खिलाफ सिंधी समुदाय का अमेरिका में जोरदार विरोध प्रदर्शन

वाशिंगटन, प्रेट्र। सिंधी समुदाय के सदस्यों ने पाकिस्तान में लोगों को जबरन गायब करने के विरोध में अमेरिका में प्रदर्शन किया। पीडि़तों के परिवारों के प्रति एकजुटता दर्शाते हुए यह प्रदर्शन पाकिस्तान के राजदूत के आवास के बाहर किया गया। प्रदर्शन का आयोजन करने वाले सिंधी फाउंडेशन ने अपने बयान में कहा कि प्रदर्शनकारियों ने सिंध में जबरन गायब किए गए लोगों को मुक्त कराने संबंधी नारे लगाए। उनके हाथों में पीडि़तों की तस्वीरों वाले पोस्टर भी थे।

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अमेरिका में हुए इस प्रदर्शन में सिंध, बलूच और पख्तून के नेताओं के अलावा गिलगिट बाल्टिस्तान के लोग भी शामिल थे। प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान में जबरन गायब किए सभी पीडि़तों को छोड़ने की मांग की, जिनमें शिक्षक एवं विद्वान सारंग जोयो भी शामिल हैं। उन्हें मंगलवार को कराची में उनके घर से अगवा किया गया था। सिंधी फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक सूफी लागहारी ने बताया, 'सारंग जोयो के पिता ताज जोयो सिंधी कवि और लेखक हैं। उन्होंने पाकिस्तान का राष्ट्रपति पुरस्कार स्वीकार करने से इन्कार कर दिया है।

आजादी के लिए बलोच और सिंधी साथ आए

पाकिस्तान और चीन की दोस्ती की मुश्किलें पाकिस्तान में ही बढ़ती जा रही हैं। चीन-पाकिस्तान इकोनोमिक कॉरीडोर (सीपीईसी) के चलते मुश्किलें झेल रहे बलूचिस्तान के लोगों ने अब अपने मकसद के लिए सिंध प्रांत के राष्ट्रवादियों से हाथ मिला लिया है। सरकार में पंजाबी मुस्लिमों के बोलबाले से बलोच और सिंधी शुरू से खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं। अब दोनों प्रांतों के राष्ट्रवादियों ने मिलकर पाकिस्तान से अलग होने की लड़ाई छेड़ने का फैसला किया है। 

सीपीईसी के खिलाफ संघर्ष से होगी शुरुआत

पाकिस्तान के गठन के समय से ही बलोच उसके साथ रहने के खिलाफ हैं। बाद में बलोचों के शांतिपूर्ण आंदोलनों को बर्बरता से कुचले जाने से उनमें गुस्सा बढ़ गया। इसी के बाद बलोच लिबरेशन आर्मी, बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट, बलोच रिपब्लिकन आर्मी और बलोच रिपब्लिकन गार्ड्स जैसे संगठन खड़े हुए और उन्होंने अत्याचार के खिलाफ संघर्ष शुरू कर दिया।


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