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कहीं गलाने वाली ठंड, कहीं जलाने वाली गर्मी, वैज्ञानिकों ने कहा और बिगड़ेंगे हालात

वैज्ञानिकों का कहना है कि यह मौसम के लिहाज से अति वाली स्थिति है। हालात विकट होते जा रहे हैं। मौसम जहां भी और जैसा भी है, अपने चरम पर है।स्थिति और भी ज्यादा विकट होने वाली है।

By TaniskEdited By: Published: Wed, 30 Jan 2019 08:20 PM (IST)Updated: Wed, 30 Jan 2019 08:20 PM (IST)
कहीं गलाने वाली ठंड, कहीं जलाने वाली गर्मी, वैज्ञानिकों ने कहा और बिगड़ेंगे हालात
कहीं गलाने वाली ठंड, कहीं जलाने वाली गर्मी, वैज्ञानिकों ने कहा और बिगड़ेंगे हालात

द न्यूयॉर्क टाइम्स, वाशिंगटन। मौसम का रुख तेजी से बदल रहा है। दुनिया के अलग-अलग हिस्सों के मौसम में बढ़ते फर्क से मौसम विज्ञानी चिंतित हैं। कहीं ठंड रिकॉर्ड तोड़ रही है तो कहीं गर्मी जलाने को आतुर है।

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शिकागो में मौसम अधिकारियों ने लोगों को आगाह किया है कि भूल से भी बाहर के मौसम के संपर्क में नहीं आएं। यहां तापमान शून्य से 50 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला गया है। पांच मिनट भी अगर कोई इस ठंड के संपर्क में रह गया, तो जो अंग ठंड की चपेट में होगा वह हिमदाह का शिकार हो जाएगा। हि

मदाह उस स्थिति को कहते हैं, जब ठंड के कारण शरीर के किसी हिस्से के ऊतक या टिश्यू क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। इस स्थिति में नासूर भी बन सकता है। वह अंग काटना पड़ सकता है।

वहीं दूसरी ओर, ठीक इसी वक्त ऑस्ट्रेलिया में तापमान उबाल पर है। यहां तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। जंगल जल रहे हैं। बढ़ते तापमान के कारण एसी फेल हो रहे हैं। एसी के बढ़ते इस्तेमाल के कारण बिजली की खपत इतनी बढ़ी कि ग्रिड फेल हो गया। बिजली बचाने के लिए ट्रेनों और ट्रॉम का संचालन रोका जा रहा है। श्रमिक नेताओं का कहना है कि बहुत ज्यादा गर्म मौसम होने की स्थिति में कंपनियों में कामकाज बंद रखने का कानून लाया जाए।

विकट हो रहे हालात

वैज्ञानिकों का कहना है कि यह मौसम के लिहाज से अति वाली स्थिति है। हालात विकट होते जा रहे हैं। मौसम जहां भी और जैसा भी है, अपने चरम पर है। यूनिवर्सिटी ऑफ इदाहो की एसोसिएट प्रोफेसर क्रिस्टल ए. कोल्डेन ने कहा, 'बात चाहे ठंड के थपेड़ों की हो, जंगल में लगी आग की या तूफान की। हमें यह मानकर चलना होगा कि अब तक जो भी देखा गया है, स्थिति उससे भी ज्यादा विकट होने वाली है।'

बर्बादी के कई उदाहरण

पिछले साल नॉर्वे से अल्जीरिया तक गर्मी ने रिकॉर्ड तोड़ दिया। ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों में सूखा इतने लंबे समय तक चला कि कुछ बच्चों ने बारिश शायद देखी ही नहीं होगी। यही हाल कैलिफोर्निया में रहा। पिछले साल यहां सबसे भीषण जंगल की आग लगी। स्थिति यह हो गई कि राज्य की सबसे बड़ी कंपनी पैसिफिक गैस एंड इलेक्टि्रक को पिछले हफ्ते दिवालिया की अर्जी लगानी पड़ी।

क्या यह जलवायु परिवर्तन है?

भीषण सर्दी और भीषण गर्मी की यह स्थिति कई सवाल खड़े कर रही है। लोगों का कहना है कि इस स्थिति का जलवायु परिवर्तन से कोई संबंध है या नहीं? जलवायु परिवर्तन की चर्चा में प्राय: धरती के गर्म होने और वैश्विक तापमान बढ़ने की बात होती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिग के कारण मौसम में चरम की स्थिति बन रही है। भीषण सर्दी और तूफान के पीछे भी जलवायु परिवर्तन ही अहम कारण है। वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण मौसम चक्र में बदलाव हो रहा है। यही बदलाव तापमान को चरम पर ले जाने का कारण बनता है, बाते चाहे सर्दी की हो या गर्मी की।


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