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Ukraine War: अमेरिकी राष्‍ट्रपति से मिले फिनलैंड और स्वीडन के नेता, बाइडन बोले- NATO का आकार बढ़ने से यूरोपीय सुरक्षा होगी मजबूत

Russia Ukraine War स्वीडन की प्रधानमंत्री मैग्डेलेना एंडरसन और फिनलैंड के राष्ट्रपति साउली निनिस्तो ने गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से मुलाकात की। इस मौके पर बाइडन ने उन्‍हें नाटो में शामिल होने के फैसले के लिए बधाई दी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 19 May 2022 10:05 PM (IST)Updated: Thu, 19 May 2022 10:05 PM (IST)
Ukraine War: अमेरिकी राष्‍ट्रपति से मिले फिनलैंड और स्वीडन के नेता, बाइडन बोले- NATO का आकार बढ़ने से यूरोपीय सुरक्षा होगी मजबूत
स्वीडन और फिनलैंड के नेताओं से मिलने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन स्वीडन (AFP)

वाशिंगटन, रायटर। नाटो की सदस्यता के लिए आवेदन करने के बाद स्वीडन की प्रधानमंत्री मैग्डेलेना एंडरसन और फिनलैंड के राष्ट्रपति साउली निनिस्तो ने गुरुवार को व्हाइट हाउस पहुंचकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से मुलाकात की। बाइडन ने दोनों नेताओं का स्वागत करते हुए नाटो में शामिल होने को उठाए उनके कदम के लिए बधाई दी। कहा कि यह ऐतिहासिक मौका है और इससे यूरोपीय सुरक्षा में बढ़ोतरी होगी।

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तुर्की नहीं बनेगा बाधा

इस मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति बाइडन ने तुर्की की आपत्ति के निदान का विश्वास जताया। कहा कि फिनलैंड और स्वीडन की सदस्यता की राह में तुर्की बाधा नहीं बनेगा। इससे पहले बुधवार को अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलीवान ने कहा था कि दोनों देशों की नाटो में सदस्यता को लेकर तुर्की की चिंता को ध्यान में रखा जाएगा और उनके निदान के उपाय किए जाएंगे।

रूस के रुख से घबराए

उल्लेखनीय है कि फिनलैंड और स्वीडन ने अपनी तटस्थता की नीति को छोड़ते हुए अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य संगठन नाटो में शामिल होने का फैसला किया है। दोनों देशों ने यह कदम यूक्रेन पर रूस के हमले को देखते हुए उठाया है।

फिनलैंड, स्वीडन पर तुर्की का कड़ा रुख कायम

फिनलैंड और स्वीडन की नाटो सदस्यता की राह में अड़ंगा लगाने पर तुर्की कायम है। तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन ने गुरुवार को युवाओं के एक कार्यक्रम में स्वीडन को आतंकवाद का शरणदाता कहा। कहा, स्वीडन और फिनलैंड लंबे समय से आतंकियों को शरण देते रहे हैं जिसकी वजह से तुर्की को मुश्किल होती रही है।

देशों की सहमति जरूरी

एर्दोगन के अनुसार दोनों देश कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी नाम के आतंकी संगठन के अलावा अमेरिका में रहने वाले मौलाना फेतुल्ला गुलेन के समर्थकों को भी प्रश्रय देता है। गुलेन समर्थकों पर ही 2016 में तुर्की में सत्ता के खिलाफ विद्रोह करने का आरोप लगा था। नाटो संविधान के अनुसार संगठन में नए सदस्य के प्रवेश के लिए बाकी सभी सदस्य देशों की सहमति आवश्यक है। 


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