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यूएस इंटेलिजेंस ने दी चौंकाने वाली जानकारी, सुनकर दंग रह गए व्हाइट हाउस के अधिकारी

अमेरिकी खुफिया अधिकारियों को ये जानकारी मिली कि रूस ने तालिबान में अफगानिस्तानी आतंकियों को अमेरिकी सेना के जवानों को मारने के लिए पैसे दिए थे जिससे अमेरिकी सेना इलाका छोड़े।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Sat, 27 Jun 2020 01:24 PM (IST)Updated: Sat, 27 Jun 2020 06:06 PM (IST)
यूएस इंटेलिजेंस ने दी चौंकाने वाली जानकारी, सुनकर दंग रह गए व्हाइट हाउस के अधिकारी
यूएस इंटेलिजेंस ने दी चौंकाने वाली जानकारी, सुनकर दंग रह गए व्हाइट हाउस के अधिकारी

नई दिल्ली, न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूज सर्विस। अमेरिकी खुफिया अधिकारियों ने एक बेहद चौंकाने वाली जानकारी दी है, इसे जानकर अमेरिकी अधिकारी दंग रह गए। खुफिया अधिकारियों ने बताया कि रूसी सैन्य खुफिया इकाई ने तालिबान से जुड़े आतंकवादियों को अफगानिस्तान में तैनात गठबंधन अमेरिकी सेना के जवानों को मारने के लिए इनाम की पेशकश की थी। रूसी सैन्य इकाई के अधिकारियों ने तालिबान से जुड़े आतंकियों से कहा कि वो ऐसी सेना पर हमला करके उसे कमजोर करें, जिससे यहां पर लंबे समय से चल रही लड़ाई खत्म हो सकेगी। 

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संयुक्त राज्य अमेरिका ने महीनों पहले निष्कर्ष निकाला था कि रूस पश्चिम के देशों को अस्थिर करना चाहता है इस वजह से वहां पर जो सेनाएं शांति कायम रखने के लिए तैनात की गई है अब वहां पर इस तरह से अस्थिता पैदा करने की तैयारी है। इससे पहले भी बीते साल इस तरह से अमेरिकी सैनिकों पर हमले कि लिए तालिबानी आतंकियों को पुरस्कार की पेशकश की गई थी।

एक बात ये भी सामने आई कि इस्लामी आतंकवादियों और सशस्त्र आपराधिक तत्वों के बीच आपस में संबंध हैं। ऐसा भी माना जाता है कि इस तरह से अमेरिकी सैनिकों पर हमला करने के लिए उन्होंने मोटी रकम जमा कर ली है। याद होगा कि अफगानिस्तान में साल 2019 में युद्ध में बीस अमेरिकी मारे गए थे लेकिन उस समय यह हत्याएं संदेह के दायरे में थीं।

अधिकारियों ने कहा कि ये खुफिया जानकारी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को दी गई। उसके बाद व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने मार्च के अंत में एक बैठक में इस समस्या पर चर्चा भी की थी। अधिकारियों ने इन चीजों का ध्यान रखते हुए संभावित विकल्पों की एक लिस्ट तैयार की थी।  

अमेरिकी और अन्य नाटो सैनिकों की हत्या को प्रोत्साहित करने के लिए यदि रूस की ओर से समर्थन किया गया है तो ये अपने आप में चिंता की बात है। इस तरह की चीजें पता चलने से रूस के प्रति सैनिकों के मन में गुस्सा आएगा। वैसे ये पहली बार होगा जब रूसी जासूस इकाई ने पश्चिमी सैनिकों पर हमला किए जाने के लिए इस तरह की रणनीति अपनाई है।

इस तरह की जानकारी सामने आने के बाद अमेरिका का कहना है कि यदि तालिबान के साथ ऐसे किसी हमले से उनके सैनिकों की मौत मौतें हुईं है तो रूस के खिलाफ युद्ध का एक बड़ा विस्तार भी होगा। अशांति फैलाने के लिए साइबर हमले किए जाएंगे, विरोधियों को अस्थिर करने की रणनीति अपनाई जाएगी।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रेस सचिव दिमित्री पेसकोव ने कहा कि अगर कोई उन्हें निशाना बनाता है, तो वो जवाब देंगे। इस बारे में तालिबान के एक प्रवक्ता से उनकी टिप्पणी जानने की कोशिश की गई मगर  उन्होंने जवाब नहीं दिया। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद, पेंटागन, विदेश विभाग और सीआईए के प्रवक्ता ने इस बारे में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

खुफिया अधिकारियों से परिचित अधिकारियों ने रूस के बारे में खुफिया जानकारी का जवाब देने का निर्णय लेने में व्हाइट हाउस की देरी के बारे में नहीं बताया। जबकि उनके कुछ करीबी सलाहकारों, जैसे कि राज्य के सचिव माइक पोम्पिओ, ने रूस की ओर अधिक कट्टर नीतियों की सलाह दी है।

2018 में हेलसिंकी में एक शिखर सम्मेलन में ट्रंप ने दृढ़ता से सुझाव दिया था। उन्होंने पुतिन के इस विश्वास को खारिज कर दिया कि क्रेमलिन ने 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप किया था। ट्रंप ने रूस पर प्रतिबंध लगाने वाले एक विधेयक की आलोचना की जब उसने वीटो प्रूफ प्रमुखता से कांग्रेस द्वारा पारित किए जाने के बाद कानून में हस्ताक्षर किए। 

अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर इन चीजों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि खुफिया तंत्र से मिली इस सूचना को गुप्त रखा गया है लेकिन प्रशासन ने इस सप्ताह इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी जिसमें ब्रिटिश सरकार के साथ इसके बारे में जानकारी साझा करना शामिल है।

खुफिया मूल्यांकन में कम से कम भाग में पकड़े गए अफगान आतंकवादियों और अपराधियों से पूछताछ के आधार पर बताया गया है। जब दुनिया कोरोना से परेशान है ऐसे में अब इस तरह के खुलासे सामने आ रहे हैं। हालांकि अधिकारियों ने साल में पहले ही खुफिया जानकारी एकत्र कर ली थी, इस बारे में व्हाइट हाउस में मीटिंग भी हुई थी। 

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