भारतीय वैज्ञानिक अब रोबोट्स को सिखा रहे हैं काम करना, दल में विदेशी भी हैं शामिल
रोबोटिक्स के क्षेत्र में दुनिया भर के वैज्ञानिक नए प्रयोगों में लगे हुए हैं। वे ऐसे रोबोट विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं, जिनसे हमारे कई काम आसान हो सकें।
बोस्टन, प्रेट्र। रोबोटिक्स के क्षेत्र में दुनिया भर के वैज्ञानिक नए प्रयोगों में लगे हुए हैं। वे ऐसे रोबोट विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं, जिनसे हमारे कई काम आसान हो सकें। इसके लिए सबसे जरूरी है रोबोट में जल्द सीखने की क्षमता विकसित करना। इस दिशा में वैज्ञानिकों ने एक बड़ा कदम बढ़ाया है।
दरअसल, वैज्ञानिक वर्तमान में दो ऐसे फ्रेमवक्र्स पर काम कर रहे हैं, जिनसे रोबोट किसी टास्क को इंसानों से जल्द सीख सकेंगे। उदाहरण के तौर पर हम जिस तरह से किसी सामान को अपने हाथों से उठाते हैं, अब रोबोट हमारे जरिये इस टास्क को तेज गति और आसानी से सीख सकेंगे। अहम बात यह है कि इस पर काम कर रहे वैज्ञानिकों के दल में एक भारतीय मूल के वैज्ञानिक भी शामिल हैं।
अमेरिका स्थित स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पीएचडी के छात्र अजय मंडलेकर कहते हैं, हमने एक रोबोटर्क नाम का फ्रेमवर्क तैयार किया है। इसकी मदद से लोग स्मार्टफोन और ब्राउजर का प्रयोग कर रोबोट को रीयल टाइम में किसी टास्क के बारे में निर्देश दे सकेंगे। वहीं, इसके अलावा एक और फ्रेमवर्क तैयार किया गाय है, जिसका नाम सुररीयल है। इसे तैयार करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि यह फ्रेमवर्क रोबोट के सीखने की गति को बढ़ाने में सक्षम है। इतना ही नहीं इस फ्रेमवर्क की मदद से रोबोट को एक बार में कई कार्य बताए जा सकते हैं, जिसे वह आसानी से सीख सकता है।
अजय कहते हैं, रोबोटर्क और सुपररीयल की मदद से हम रोबोट्स को सिखाने की अपनी सीमाओं को तोड़ सकते हैं। अभी रोबोट्स के सीखने की क्षमता सीमित है। इन फ्रेमवर्क का प्रयोग कर हम उसे बढ़ा सकते हैं। इससे हम भविष्य में और बेहतर रोबोट तैयार कर सकेंगे, जिससे हमारे बहुत से काम आसान हो सकेंगे।
इस तरह सीखते हैं रोबोट
रोबोट अपने आस-पास के माहौल और गतिविधियों से ही किसी कार्य को सीखते हैं। इसके लिए वह धीरे-धीरे डाटा एकत्र करते रहते हैं और फिर उस कार्य को करने के लिए कुशल हो जाते हैं। इंसान भी अपने आस-पास के माहौल से ही चीजों को सीखते हैं, लेकिन रोबोट में सीखने की यह क्षमता फिलहाल मनुष्यों से बेहद कम है। यही वजह है कि वैज्ञानिक चाहते हैं कि रोबोट में नए टास्क को सीखने की गति में तेजी आए। इसी के परिणाम स्वरूप अब वैज्ञानिकों ने दो फ्रेमवर्क तैयार कर लिए हैं। उन्होंने उम्मीद जताई है कि जल्द ही ये रोबोट के सीखने की क्षमता में इजाफा कर देंगे।