Climate Change Affect: जलवायु परिवर्तन के कारण अब कोरल रीफ के अस्तित्व पर मंडरा रहा खतरा
Climate Change Affect मूंगा चट्टानों का देशांतरीय विस्तार भी करता है इन्हें प्रभावित यह शोध नेचर क्लाइमेट चेंज नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
वाशिंगटन, प्रेट्र। Climate Change Affect: पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में कोरल रीफ (मूंगा चट्टानें) की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है। जलवायु परिवर्तन के कारण अब इनके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। एक नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि केवल पानी का तापमान बढ़ने से ही दुनिया में कोरल रीफ पर खतरा नहीं मंडरा रहा, बल्कि अन्य कारण भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। इसमें कोरल रीफ का देशांतरीय विस्तार भी एक प्रमुख कारण हैं। देशांतरीय विस्तार का अर्थ है कि कोरल रीफ समुद्र में किन देशांतर रेखाओं के बीच फैले हुए हैं।
यह अध्ययन नेचर क्लाइमेट नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें बताया गया है कि फिजी जैसे कुछ इलाके कोरल के लिए सबसे उपयुक्त माने जाते हैं। इस अध्ययन के शोधकर्ताओं में अमेरिका की एक गैर-लाभकारी संस्था ‘वाइल्ड कंजर्वेशन सोसाइटी’ (डब्ल्यूसीएस) के शोधार्थी भी शामिल थे। शोधकर्ताओं ने कहा कि अब तक वैज्ञानिकों का अनुमान है कि बढ़ती गर्मी कोरल के अस्तित्व के लिए खतरा है। लेकिन इसके अन्य कारणों पर भी गौर करने की जरूरत है क्योंकि हर क्षेत्र की जलवायु अलग-अलग होती है।
डब्ल्यूसीएस के शोधकर्ता और इस अध्ययन के सह-लेखक टिम मैकक्लानन ने कहा, ‘अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन के मुताबिक कोरल खुद को बदलती सकती हैं, क्योंकि ये हर मौसम के मुताबिक खुद को ढाल लेने में सक्षम होती हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि कोरल और शैवाल के बीच सहजीवी संबंध होता है, जो एक-दूसरे के रंग और जीने के तरीके को बदल देते हैं। लेकिन तनावपूर्ण परिस्थितियों के कारण अब कोरल ने शैवाल को खुद से अलग कर दिया है और सहजीवी संबंध को त्याग दिया है। जिसके चलते कोरल अपना रंग भी खो रही हैं। यही कारण है कि कई देशांतर रेखाओं के बीच स्थित कोरल का रंग पिछले कई अध्ययनों में फीका पाया गया