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हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन को रोकने के लिए मोर्चाबंदी करेंगे क्वाड देश, बैठक में एक्‍शन पर होगी चर्चा

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए क्वाड देशों ने कमर कस ली है। बताया जाता है कि क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक मुख्यरूप से चीन की आक्रामकता को विफल करने पर ही केंद्रित होगी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 04 Oct 2020 10:24 PM (IST)Updated: Mon, 05 Oct 2020 01:35 AM (IST)
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन को रोकने के लिए मोर्चाबंदी करेंगे क्वाड देश, बैठक में एक्‍शन पर होगी चर्चा
क्वाड देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की दादागीरी पर लगाम लगाने के लिए मोर्चाबंदी करेंगे...

टोक्यो, एएनआइ। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती अवैध गतिविधियों के बीच क्वाड के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक होने जा रही है। यह बैठक मुख्यरूप से चीन की आक्रामकता को विफल करने के लिए उठाए जाने वाले जरूरी कदमों पर केंद्रित होगी। क्वाड यानी चतुष्कोणीय सुरक्षा संवाद भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच अनौपचारिक रणनीतिक वार्ता मंच है। इसका उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति की स्थापना और शक्ति का संतुलन है।

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क्वाड के विदेश मंत्रियों की बैठक ऐसे समय में होने जा रही है, जब चीन अपनी सैन्य व आर्थिक ताकत के बल पर हिंद-प्रशांत और यूरोप-एशिया के क्षेत्रों में अपना दबदबा कायम करना चाहता है। हाल के महीनों में चीन के खिलाफ दूसरे देशों का रुख सख्त हुआ है, खासकर कोरोना महामारी के बाद, जो उसके वुहान शहर से पैदा हुआ है।

अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने 23 जुलाई को एक असाधारण भाषण दिया था, जिसमें उन्होंने चीन के साथ अपने देश के 40 साल से चले आ रहे संबंधों को औपचारिक तौर पर खत्म करने की बात कही थी। अमेरिका ने चीन के साथ इस उम्मीद में रिश्ते जोड़े थे कि खुद को बदल लेगा, क्योंकि वह वैश्विक अर्थव्यवस्था का अभिन्न हिस्सा है।

अमेरिकी सांसद टॉम टिफनी ने 16 सितंबर को सदन में एक विधेयक पेश किया था, जिसमें उन्होंने 'एक चीन' नीति को खत्म कर ताइवान के साथ औपचारिक संबंध शुरू और उसके साथ मुक्त व्यापार के लिए बातचीत करने का अनुरोध किया था। चीन की बढ़ती आक्रामकता का नतीजा है कि भारत के साथ उसके संबंध तनाव की चरम सीमा पर पहुंच गए हैं। पूर्वी लद्दाख में भारत के 20 सैनिक शहीद हो चुके हैं और उसके भी कई सैनिक मारे गए हैं।

दक्षिण चीन सागर में भी वह आक्रामक बना हुआ है। यही वजह है कि जापान के नए प्रधानमंत्री ने भी उसके खिलाफ सख्त रुख अपनाया हुआ है। जापान के रक्षा मंत्री और पूर्व पीएम शिंजो एबी के भाई नोबुओ किशी चीन द्वारा अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने को लेकर चिंता जता चुके हैं। किशी ताइवान के साथ नजदीकी संबंधों को लिए जाने जाते हैं। 


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