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अफ्रीका के राह पर अमेरिकी प्रदर्शनकारी, ऐतिहासिक प्रतिमाओं पर निकाल रहे गुस्सा

अमेरिका में पिछले दिनों अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत के बाद प्रदर्शनकारियों ने यहां कई ऐतिहासिक मूर्तियों को नुकसान पहुंचाया गया।

By TaniskEdited By: Published: Fri, 12 Jun 2020 03:08 PM (IST)Updated: Fri, 12 Jun 2020 03:08 PM (IST)
अफ्रीका के राह पर अमेरिकी प्रदर्शनकारी, ऐतिहासिक प्रतिमाओं पर निकाल रहे गुस्सा
अफ्रीका के राह पर अमेरिकी प्रदर्शनकारी, ऐतिहासिक प्रतिमाओं पर निकाल रहे गुस्सा

जोहानसबर्ग, एपी। क्वीन विक्टोरिया, सेसिल रोड्स, किंग लियोपोल्ड जैसे औपनिवेशिक शासन के नेताओं की मूर्तियां अफ्रीकी देशों में आजादी के बाद हटाई गईं। यहां की नई पीढ़ी के लोग इन्हें नस्लभेद का प्रतीक मानते हैं। अब इसी राह पर यूरोप और अमेरिका में नए आंदोलन चलते दिखाई दे रहे हैं। औपनिवेशिक शासकों और गुलाम व्यपारियों की मूर्तियां प्रदर्शनकारियों के निशाने पर है।

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अमेरिका में पिछले दिनों अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत के बाद भी ऐसा देखने को मिला। यहां कई ऐतिहासिक मूर्तियों को नुकसान पहुंचाया गया। हालांकि, इस दौरान अफ्रीका में प्रतिमाओं के आसपास कोई विरोध प्रदर्शन देखने को नहीं मिला, लेकिन अतीत में इन्हें कई उग्र प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा है।

रोड्स की प्रतिमा को छात्रों ने नुकसान पहुंचाया

अप्रैल 2015 में छात्रों ने प्रदर्शन करके स्कूल के प्रवेश द्वार से सेसिल रोड्स की एक प्रतिमा को हटाने के लिए केपटाउन विश्वविद्यालय पर दबाव डाला। दक्षिण अफ्रिका में श्वेत अल्पसंख्यक शासन का समर्थन करने वाले औपनिवेशिक नेता के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने प्रतिमा को नुकसान पहुंचाया। क्रेन से प्रतिमा हटाए जाने के बाद छात्रों ने काफी खुशी मनाई। मूर्ति को स्थानीय सैन्य अड्डे पर तिरपाल से ढककर रख दिया गया है।

जिम्बाब्वे में रोड्स की मूर्ति गिराई

जुलाई 1980 में देश के स्वतंत्र होने के कुछ महीनों बाद, जिम्बाब्वे में रोड्स की एक और मूर्ति गिरा दी गई थी। तब देश की राजधानी हरारे को इसके औपनिवेशिक नाम सैलिसबरी से जाना जाता है। प्रदर्शनकारियों ने इसे हथौड़े से तोड़ दिया। केन्या के नैरोबी में 2015 में ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया की एक प्रतिमा का सिर तोड़ दिया गया था। 

प्रतिमा पूर्वजों के दर्द को याद दिलाती हैं

समाचार एपी के अनुसार नैरोबी निवासी सैमुअल ओबेरियो ने कहा, 'ये प्रतिमा हमारे पूर्वजों को उपनिवेशवादियों द्वारा दिए गए जख्म को याद दिलाती हैं, जब भी हम उन्हें देखते हैं, यादें ताजा हो जाती हैं। हमें उनसे छुटकारा पाने की जरूरत है। पूरी दुनिया में से इनकी प्रतिमा हटा देनी चाहिए।'


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