ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करना चाहते थे ट्रंप, लेकिन फिर वापस खींच लिए थे कदम, जानें क्यों
अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ती खाई के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले का विकल्प तलाशा था। हालांकि इसको लेकर उनके सहयोगियों ने एतराज जताया था जिसके बाद उन्होंने अपने कदम वापस खींच लिए थे।
वाशिंगटन (रॉयटर) अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक सप्ताह पहले ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करना चाहते थे। उन्होंने इन ठिकानों को नष्ट करने के विकल्पों पर भी विचार किया था। बैठक में सलाहकारों ने इस कदम को न उठाने की सलाह दी, जिसके बाद उन्होंने अपने कदम वापस खींच लिए। खबरों के मुताबिक ट्रंप ने ओवल ऑफिस में एक सप्ताह पहले एक बैठक बुलाई थी, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के साथ ही उपराष्ट्रपति माइक पेंस, विदेश मंत्री माइक पोंपियो और कार्यवाहक रक्षा मंत्री क्रिस्टोफर मिलर व अन्य अधिकारी मौजूद थे। बैठक में हमले के बारे में विचार बुधवार को अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी की उस रिपोर्ट के बाद किया गया, जिसमें बताया गया था ईरान अपने यूरेनियम भंडार तेजी से बढ़ा रहा है। ये भंडार 2015 में किए गए समझौते का उल्लंघन हैं। बैठक में सभी परिस्थितियों पर विचार किया गया और बाद में इस निर्णय को विवाद बढ़ने की आशंका में रोक दिया गया।
समझौते से 12 गुणा अधिक भंडारण
आईएईए की रिपोर्ट में यहां तक कहा गया था कि ईरान में जेसीपीओए (संयुक्त व्यापक कार्य योजना) के तहत जो अनुमति मिली थी उससे भी 12 गुणा अधिक भंडारण हो रहा हे। हालांकि इसके बाद भी ट्रंप के विशेषज्ञों ने राष्ट्रपति को हमला न करने की सलाह दी थी। इनका कहना था कि इससे हालात खराब हो सकते हैं। इस ताजा रिपोर्ट पर व्हाइट हाउस ने किसी भी तरह की कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। वहीं नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन की टीम की तरफ से भी इस पर कुछ नहीं कहा गया है। वहीं यूएन में ईरान की तरफ से कहा गया है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है और मानवता के मकसद की पूर्ति के लिए चलाया जा रहा है।
ईरानी जनरल की हत्या के बाद तनाव
ज्ञात हो कि जनवरी में ट्रंप ने एक ड्रोन हमले का आदेश दिया था। जिसमें ईरान के मेजर जनरल कासिम सुलेमानी को बगदाद एयरपोर्ट पर मार डाला गया था। माना जा रहा है कि दो माह बाद ऑफिस छोड़ने वाले ट्रंप की सलाह पर यदि हमला कर दिया जाता तो यह निर्णय आने वाले राष्ट्रपति जो बाइडन के लिए मुसीबत बढ़ाने वाला होता।
इस मामले में ईरान के संयुक्त राष्ट्र में प्रवक्ता अलीरेजा मीरयूसेफी ने कहा है कि अमेरिका के किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों और जनता के हितों के लिए है। हमने किसी भी समझौते का उल्लंघन नहीं किया है।
परमाणु डील पर ट्रंंप की राय
गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही अमेरिका और ईरान के बीच तनाव और विवाद की खाई लगातार बढ़ती चली गई थी। राष्ट्रपति ट्रंप ने पहले पिछली सरकार में किए गए ईरान-अमेरिकी परमाणु डील को रद किया और फिर बाद में दोबारा एक नई डील करने की बात कही थी। उनका कहना था कि ओबामा प्रशासन में ईरान से की गई परमाणु डील से अमेरिका को कोई फायदा नहीं हुआ बल्कि उलटा नुकसान ही हुआ है। इसके बाद ईरान ने भी खुद को इस समझौते से बाहर कर लिया था। ईरान-अमेरिका के अलावा इस डील पर कई यूरोपीय देशों ने भी हस्ताक्षर किए थे।
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