म्यांमार सेना को जो बाइडन की चेतावनी- नेताओं को करें रिहा, नहीं तो होगी कार्रवाई
म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची समेत देश के शीर्ष नेताओं की हिरासत पर अमेरिका सहित कई देशों ने चिंता जताई है। अमेरिकी ने कहा कि उनका देश लोकतंत्र और स्वतंत्रता की आकांक्षा रखने वाले म्यांमार के लोगों के साथ खड़ा है।
वाशिंगटन, पीटीआइ। म्यांमार में सेना के तख्तापलट और देश की सर्वोच्च नेता आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन म्यिंट सहित कई वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में ले लिए जाने के कदम से अमेरिका चिंतित है। अमेरिका ने कहा है कि वह स्थिति पर नजर बनाये हुए है। साथ ही अमेरिका ने चेतावनी दी है कि अगर देश में लोकतंत्र बहाल करने के लिए सही कदम नहीं उठाये गये तो वह कार्रवाई भी कर सकता है।
म्यांमार में सामवार को सेना ने एक साल के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है। सैन्य टीवी ने सोमवार सुबह इसकी घोषणा की। खबरों में कहा गया कि स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची को नजरबंजद कर लिया गया है और राजधानी में संचार के सभी माध्यम काट दिये गये हैं। नेपीता में फोन एवं इंटरनेट सेवा बंद है। म्यांमार से विदेश जाने वाली सभी उड़ानों पर रोक लगा दी गई है।
अमेरिकी विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन का कहना है कि सेना को तुरंत तख्तापलट की कार्रवाई को रोकना चाहिए। उन्होंने आंग सान सू की और अन्य नेताओं को हिरासत से तत्काल रिहा किए जाने की अपील करते हुए कहा व्हाइट हाउस पिछले साल के आठ नवंबर के चुनाव परिणामों को बदले जाने के किसी भी प्रयास का विरोध करता है।
उन्होंने कहा कि यदि ये कदम वापस नहीं लिए गए तो जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई होगी। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया किस प्रकार की कार्रवाई की जा सकती है। लेकिन माना जा रहा है कि म्यांमार के खिलाफ नए प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी इसका इशारा करते हुए कहा है कि अमेरिका प्रतिबंध कानूनों की तत्काल समीक्षा करेगा और अधिकारी उचित कार्रवाई करेंगे।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरस, ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री मारिज पायने ने भी तख्तापलट की निंदा की है। अमेरिका के एक राजनयिक ने कहा है कि मंगलवार को यह मामला सुरक्षा परिषद में उठाया जा सकता है। वहीं, सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभालने वाले ब्रिटेन के संयुक्त राष्ट्र दूत बारबरा वुडवार्ड ने भी कहा है कि परिषद के सदस्यों को सूचित किया गया है कि म्यांमार के मामले में अर्जेट आधार पर चर्चा करने की योजना है।