बैक्टीरिया की मदद से खत्म किया जाएगा कैंसर, चूहों पर किया गया प्रयोग हुआ सफल
वैज्ञानिकों ने कैंसर कोशिकाओं को निशाना बनाने के लिए बैक्टीरिया को हथियार बनाने की तैयारी की है। प्रयोग के दौरान लाखों बैक्टीरिया को एक चूहे के कैंसर ट्यूमर में भेजा गया।
वाशिंगटन, एजेंसी। चिकित्सा और विज्ञान के क्षेत्र में तमाम शोध के बावजूद कैंसर आज भी बड़ा खतरा बना हुआ है। कैंसर के कई प्रकार हैं, जिनका इलाज मुश्किल या नामुमकिन है। कैंसर के जिन प्रकारों का इलाज उपलब्ध है, उनमें भी इलाज के दुष्प्रभाव बहुत होते हैं।
कीमोथेरेपी को कैंसर के इलाज के सबसे कारगर तरीकों में माना जाता है। हालांकि इससे शरीर को भी बहुत नुकसान उठाने पड़ते हैं। यही कारण है कि वैज्ञानिक लगातार कैंसर के इलाज के लिए ऐसे तरीके खोजने की दिशा में प्रयास कर रहे हैं, जिससे शरीर पर किसी दुष्प्रभाव के बिना बीमारी को खत्म किया जा सके।
चूहों पर प्रयोग हुआ सफल
अब वैज्ञानिकों ने इस दिशा में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। वैज्ञानिकों ने बैक्टीरिया की मदद से कैंसर के ट्यूमर को खत्म करने में सफलता पाई है। इस प्रक्रिया से शरीर पर दवाओं के दुष्प्रभाव के बिना कैंसर को पूरी तरह खत्म करना संभव हो सकता है। अभी यह प्रयोग चूहे पर सफल रहा है।
बोस्टन स्थित मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल के डॉ. माइकल डॉन ने कहा कि चूहे पर प्रयोग इस बात की गारंटी नहीं कि यह तरीका मनुष्यों पर भी कारगर साबित हो सकता है। हालांकि इस प्रयोग ने एक उम्मीद जरूर पैदा की है। संभव है कि भविष्य में हम इलाज के लिए अपने हिसाब से तैयार किए कुछ बैक्टीरिया का इस्तेमाल करें। इस प्रक्रिया में अपार संभावनाएं हैं।
कैंसर कैसे बनाता है शिकार?
हमारी प्रतिरक्षा कोशिकाएं कैंसर कोशिकाओं को पहचान कर बिना किसी बाहरी मदद के ही उनको खत्म कर सकती हैं। हालांकि अक्सर कैंसर कोशिकाएं जीन सीडी-47 की मदद से प्रतिरक्षा प्रणाली को चकमा देने में सफल हो जाती है। यह जीन एक ऐसा प्रोटीन बनाता है, जो लाल रक्त कोशिकाओं पर पाया जाता है। यह प्रोटीन अपने आपमें एक संकेत की तरह काम करता है, जिसका अर्थ है 'हमें मत खाओ'। इसी संकेत को देखकर हमारी प्रतिरक्षा कोशिकाएं स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं को बिना नुकसान पहुंचाए आगे बढ़ जाती हैं। इसी प्रोटीन की मदद से कैंसर कोशिकाएं भी बच जाती हैं।
एंटीबॉडीज से होता है इलाज
हाल के वर्षो में वैज्ञानिकों ने ऐसे एंटीबॉडीज बनाए हैं, जो कैंसर कोशिकाओं के सीडी-47 जीन से चिपककर उनका सुरक्षा संदेश छिपा देते हैं। ऐसा होने से कैंसर कोशिकाएं हमारी प्रतिरक्षा कोशिकाओं की निगाह में आ जाती हैं और मारी जाती हैं। इलाज की इस प्रक्रिया में नुकसान यह है कि एंटीबॉडीज खून में मिल जाती हैं, जिससे शरीर की सभी कोशिकाएं इनसे प्रभावित होती हैं। इस कारण से कई स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं को भी प्रतिरक्षा कोशिकाओं का शिकार होना पड़ता है।
बैक्टीरिया ने जगाई उम्मीद
अब वैज्ञानिकों ने कैंसर कोशिकाओं को निशाना बनाने के लिए बैक्टीरिया को हथियार बनाने की तैयारी की है। प्रयोग के दौरान लाखों बैक्टीरिया को एक चूहे के कैंसर ट्यूमर में भेजा गया। इन बैक्टीरिया को इस तरह से तैयार किया गया था कि ट्यूमर में पहुंचने के बाद इनसे कुछ नैनोबॉडी का उत्पादन होने लगता है। साथ ही बैक्टीरिया अपनी संख्या भी बढ़ाते जाते हैं।
एक निश्चित संख्या होने के बाद करीब 90 प्रतिशत बैक्टीरिया खुद मर जाते हैं। इनसे बनी हुई एंटीबॉडी ट्यूमर को अंदर से कमजोर करती हैं और जीन सीडी-47 को निशाना बनाती हैं। वहीं मरे हुए बैक्टीरिया ट्यूमर से बाहर निकलकर प्रतिरक्षा कोशिकाओं को उनकी तरफ आकर्षित करते हैं। इस दोहरे वार से कैंसर कोशिकाओं के लिए बचना असंभव हो जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में शरीर पर कोई दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता।