ट्रंप को झटका, अमेरिकी विदेश मंत्री से नहीं मिलेंगे पोप फ्रांसिस, वेटिकन बोला- किसी नेता से नहीं मिलते धर्मगुरु
पोप फ्रांसिस ने राष्ट्रपति चुनाव का हवाला देते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो से मिलने से मना कर दिया है। वेटिकन ने कहा है कि अमेरिका में चुनावी प्रक्रिया चल रही है। ऐसे समय में पोप किसी राजनीतिज्ञ से नहीं मिलते...
वेटिकन सिटी, आइएएनएस। कांटे की चुनावी लड़ाई में फंसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए यह किसी झटके से कम नहीं है। कैथोलिक ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने राष्ट्रपति चुनाव का हवाला देते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो से मिलने से मना कर दिया है। पोप नहीं चाहते कि उनसे मुलाकात का इस्तेमाल अमेरिकी चुनाव को प्रभावित करने के लिए किया जाए।
वेटिकन के मुताबिक, अमेरिका में इस समय चुनावी प्रक्रिया चल रही है। ऐसे समय में पोप किसी राजनीतिज्ञ से नहीं मिलते। पोंपियो चार देशों की यात्रा के तहत वेटिकन सिटी पहुंचे थे। यहां पहुंचने से पहले उन्होंने कहा था कि चीन में मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन हो रहा है और वहां ईसाइयों को भी परेशान किया जा रहा है। वेटिकन को ऐसा लगा कि पोंपियो ऐसी बयानबाजी में पोप को भी घसीट सकते हैं। मिलने से इन्कार करने की एक वजह यह भी मानी जा रही है।
चीन और कैथोलिक चर्च को लेकर पोंपियो की टिप्पणियों से वेटिकन पहले से ही नाराज है। पोंपियो ने इसी महीने एक लेख में कहा था कि चर्च चीन से हुए समझौते का नवीनीकरण करने जा रहा है। ऐसा करके चर्च अपनी नैतिक विश्वसनीयता को खतरे में डाल रहा है। 2018 में चीन और वेटिकन के बीच एक समझौता हुआ था, जिसमें कहा गया था कि चीन में केवल चीनी मूल के बिशप की नियुक्ति की जा सकेगी।
अगले महीने समझौते का नवीनीकरण होने की उम्मीद है। इस समझौते के समय पोप ने उम्मीद जताई थी कि इससे पुराने जख्मों को भरने में मदद मिलेगी। लेकिन, अमेरिका को लगता है कि वेटिकन भी चीन के दबाव में उसकी शर्ते मान रहा है। ट्रंप और रिपब्लिकन समर्थकों का मानना है कि पोप फ्रांसिस चीन को लेकर जरूरत से ज्यादा उदार हैं।
बुधवार को रोम में पोंपियो ने कहा कि दुनिया में धार्मिक आजादी को जितना खतरा चीन में है, उतना कहीं और नहीं। वेटिकन को चीन में धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करनी चाहिए। वेटिकन ने पोंपियो की इस बात के लिए आलोचना की कि वह चुनावी लाभ के लिए इस मुद्दे को उछाल रहे हैं और पोप फ्रांसिस की छवि को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं।