भारत की सेहत बिगाड़ रहे डीजल वाहन, यह है प्रदूषण की मुख्य वजह
वायु प्रदूषण के कारण वर्ष 2015 में जान गंवाने वाले लोगों के आंकड़ों का विश्लेषण कर निकाला गया है कि वैश्विक स्तर पर में वायु प्रदूषण के कारण तीन लाख 85 हजार लोगों की मौत हुई थी।
वाशिंगटन, प्रेट्र। वर्तमान में वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या बनी हुई है। जैसे-जैसे सड़कों पर वाहनों की संख्या में इजाफा हो रहा है, धरती पर इसकी मार भी बढ़ती जा रही है। आज वायु प्रदूषण न केवल कई बीमारियों का, बल्कि मौतों का भी कारण बनता जा रहा है। भारत की बात करें तो वायु प्रदूषण में सबसे ज्यादा हाथ डीजल वाहनों का है। यह बात एक नवीन अध्ययन में सामने आई है। इसमें बताया गया है कि वायु प्रदूषण से होने वाली कुल मौतों में दो तिहाई मौतों की वजह डीजल वाहन हैं।
यह निष्कर्ष वायु प्रदूषण के कारण वर्ष 2015 में जान गंवाने वाले लोगों के आंकड़ों का विश्लेषण कर निकाला गया है। इसमें बताया गया है कि वैश्विक स्तर पर वर्ष 2015 में वायु प्रदूषण के कारण तीन लाख 85 हजार लोगों की मौत हुई थी।
अध्ययन के मुताबिक, 2015 में वैश्विक स्तर पर वायु प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य खराब होने की आधी समस्या सड़कों पर चलने वाले डीजल वाहनों की वजह से थी। अध्ययन में बताया गया है कि 2010 और 2015 में इन परिवहन-जिम्मेदार स्वास्थ्य प्रभावों की वैश्विक लागत लगभग एक खरब डॉलर थी।
यह है प्रदूषण की मुख्य वजह
शोधकर्ताओं का कहना है कि वैश्विक स्तर आउटडोर वायु प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह वाहनों से निकलने वाला धुआं है। ये वाहन सिर्फ निजी ही नहीं, बल्कि कारोबार के लिए भी प्रयोग किए जाते हैं। दुनियाभर के देशों में एक-दूसरे से व्यापार के लिए चीजों के आयातनिर्यात में भी ये वाहन प्रयोग होते हैं। इस तरह ये एक ओर जहां दुनिया के कारोबार में अहम भूमिका निभाते हैं, वहीं हमारी सेहत पर भी गंभीर असर डालते हैं।
किसने किया अध्ययन
यह अध्ययन इंटरनेशनल काउंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन (आइसीसीटी), जार्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी और कोलोरैडो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने 2010 से 2015 तक वैश्विक, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर अध्ययन किया। यह अध्ययन वैश्विक, क्षेत्रीय और स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य प्रभावों की विस्तृत तस्वीर मुहैया कराता है। परिवहन से प्रति एक लाख आबादी पर लंदन और पेरिस में हुई मौतें वैश्विक औसत से दो-तीन गुना अधिक हैं।
यह आया सामने
अध्ययन के आधार पर शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया है कि वर्ष 2010 में पीएम 2.5 के कारण हुई तीन लाख 61 हजार समय पूर्व मौतों का संबंध वाहनों से उत्सर्जित होने वाले धुएं से था। वहीं, 2015 में धुएं के कारण मौतों की यह संख्या तीन लाख 85 हजार पहुंच गई थी।
इन देशों पर सबसे ज्यादा प्रभाव
शोधकर्ताओं का कहना है कि 2015 में चीन, भारत, यूरोपीय संघ और अमेरिका में वायु प्रदूषण का असर सबसे ज्यादा देखने को मिला। ये चारों देश वाहनों का सबसे बड़ा बाजार हैं और पूरी दुनिया में वायु प्रदूषण के कुल असर का 70 फीसद इन देशों पर देखने को मिला।
डीजल वाहनों का असर
अध्ययन में डीजल वाहनों के कारण प्रदूषण पर विशेष जानकारी एकत्र की गई है। इसमें बताया गया है कि लगभग एक लाख 81 हजार समय पूर्व होने वाली मौतों के लिए ऑन-रोड डीजल वाहनों से निकलने वाला धुआं जिम्मेदार था। वहीं, पूरी दुनिया में दो तिहाई असर केवल भारत, फ्रांस, जर्मनी और इटली पर देखने को मिला।