शुरुआती चरण में कारगर रही फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन, परीक्षण में दिखा असर
फार्मा कंपनी फाइजर और जर्मनी की बायोटेक फर्म बायोएनटेक द्वारा विकसित वैक्सीन शुरुआती चरण में कारगर पाई गई है। परीक्षण में टीके ने उनमें मजबूत इम्यून रेस्पांस पैदा किया।
न्यूयॉर्क, प्रेट्र। कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर इन दिनों दुनिया भर में ट्रायल का दौर चल रहा है। रूस ने कोरोना वायरस की वैक्सीन सबसे पहले बनाने का दावा पेश कर दिया है मगर उस पर सवाल उठ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित अन्य कुछ देश इसे पूरी तरह से ठीक नहीं बता रहे हैं। उनका कहना है कि इसका पूरा ट्रायल नहीं किया गया और पहले ही कारगर घोषित कर दिया गया है।
उधर फार्मा कंपनी फाइजर और जर्मनी की बायोटेक फर्म बायोएनटेक द्वारा विकसित वैक्सीन शुरुआती चरण में कारगर पाई गई है। 18 से 55 साल के स्वस्थ लोगों पर किए गए परीक्षण में टीके ने उनमें मजबूत इम्यून रेस्पांस पैदा किया। विज्ञान पत्रिका नेचर में इस संबंध में अध्ययन प्रकाशित किया गया है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि बीएनटी162बी1 एक आरएनए वैक्सीन है, जो कोविड-19 का कारण बनने वाले वायरस के एक एमआरएनए की नकल करते हुए शरीर में प्रतिरक्षा शक्ति पैदा करती है। इसकी मदद से शरीर इस वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बना लेता है। वैज्ञानिकों ने बताया कि इस तरह के टीके आम तौर पर सुरक्षित माने जाते हैं।
वैक्सीन के परीक्षण में 18 से 55 साल की उम्र के 23 पुरुषों और 22 महिलाओं को शामिल किया गया। इस दौरान उन पर टीके के असर और किसी संभावित दुष्प्रभाव पर नजर रखी गई। टीका लगाने के सात दिन के भीतर इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द, थकान, सिरदर्द, बुखार और नींद में अनियमितता जैसी कुछ परेशानियां देखने को मिलीं।
इनके अलावा कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं दिखा। इस टीके के कारण शरीर में बने एंटीबॉडी की मात्रा कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके मरीजों की तुलना में 1.9 से 4.6 गुना तक पाई गई। हालांकि टीके को लेकर किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए अभी आगे के चरणों में परीक्षण करना होगा।