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कोरोना वायरस से नहीं डरने वाले लोग जरूर पढ़ें मौत बांटने वाली कुक मैरी मालोन की कहानी

कोरोना वायरस से नहीं डरने वाले लोगों को कुक मैरी मालोन की कहानी जरूर पढ़नी चाहिए। मैरी मालोन को अमेरिका के न्‍यूयॉर्क में मौत बांटने वाली महिला के नाम से जाना जाता है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 23 Mar 2020 08:38 PM (IST)Updated: Tue, 24 Mar 2020 12:21 AM (IST)
कोरोना वायरस से नहीं डरने वाले लोग जरूर पढ़ें मौत बांटने वाली कुक मैरी मालोन की कहानी

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। पूरी दुनिया में कहर बरपा रहे कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण का अभी तक कोई इलाज नहीं ढूंढ़ा जा सका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) से लेकर दुनिया के तमाम राष्‍ट्राध्‍यक्ष अपने नागरिकों को घर में रहने की हिदायतें दे रहे हैं। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन यानी डब्‍ल्‍यूएचओ भी दुनिया के सभी मुल्‍कों से एहतियाती कदम उठाने के लिए कहा है। हालांकि अभी भी कुछ लोग कोरोना वायरस को लेकर जारी की गई चेतावन‍ि‍यों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। इस वायरस से नहीं डरने वाले लोगों को कुक मैरी मालोन (Mary Mallon) की यह कहानी जरूर पढ़ लेना चाहिए।

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टाइफाइड मैरी पड़ गया नाम

'द वाशिंगटन पोस्‍ट' ने अपनी रिपोर्ट के मुताबिक, आयरलैंड की मैरी मालोन (Mary Mallon) एक बेहतरीन कुक थी। साल सन 1900 से 1907 तक मैरी ने न्यूयॉर्क सिटी के कई घरों में कुक के तौर पर काम किया। लेकिन वह न्‍यूयॉर्क में कई लोगों की परेशानी का सबब बन गई थी। मैरी मालोन (Mary Mallon) को संयुक्त राज्य में फैले टाइफाइड बुखार का वाहक माना गया... इसी वजह से बाद में उसको टाइफाइड मैरी (Typhoid Mary) का नाम दिया गया। नेशनल जीओग्राफ‍िक (National Geographic) की रिपोर्ट की मानें तो टाइफाइड मैरी (Typhoid Mary) ने अपने कुक के कॅरियर के दौरान 51 लोगों को टाइफाइड से संक्रमित किया था, जिसमें से तीन की मौत हो गई थी।

एसिम्प्टमैटिक वाहक थी टाइफाइड मैरी

रिपोर्टों के मुताबिक, मैरी मालोन (Mary Mallon) का अनजाने में अमेरिकी लोगों को मौत बांटने का काम जारी रहता लेकिन यह संयोग ही था कि उसके बारे में पता चल गया कि वह टाइफाइड के रोगाणुओं की एक एसिम्प्टमैटिक (Asymptomatic) वाहक थी। यहां बता दें कि एसिम्प्टमैटिक वाहक उस मरीज को कहते हैं जिसमें बीमारी के लक्षण नजर नहीं आते हैं। नेशनल जीओग्राफ‍िक और वाशिंगटन पोस्‍ट ने अपनी रिपोर्टों में कहा है कि डिटेक्टिव जॉर्ज सोपर (George Soper) को साल 1906 में यह पता लगाने की जिम्‍मेदारी सौंपी गई थी कि आखिर न्‍यूयॉर्क के उन इलाकों में टाइफाइड बुखार क्‍यों फैल रहा है जबकि वहां इस बीमारी की कोई हिस्‍ट्री नहीं है। जॉर्ज सोपर (George Soper) ने यह जिम्‍मेदारी न्‍यूयॉर्क स्‍टेट (New York state) ने दी थी।

न्‍यूयॉर्क में 639 लोगों की हो गई थी मौत

टाइफाइड के बारे में ऐसा माना जाता है कि यह बीमारी बगैर किसी वाहक के नहीं फैलती है। सोपर ने छानीबन में यह गौर किया गया कि मैरी मालोन (Mary Mallon) ने जिन घरों में भी खाना बनाने का काम किया था वहां रहने वाले लोग टाइफाइड बुखार से ग्रसित हो गए। पड़ताल में पाया गया कि 1900 और 1907 में मालोन ने जिन घरों में काम किया वहां रहने वाले करीब 22 लोग टाइफाइड से ग्रसित हो गए। नेशनल जीओग्राफ‍िक की रिपोर्ट कहती है कि साल 1906 में जब सोपर (George Soper) ने इस मामले की जांच संभाली थी उस साल न्‍यूयॉर्क में 639 लोगों की मौत टाइफाइड बुखार से हो गई थी। हैरानी की बात यह थी कि अब तक की जितनी भी छानबीन की गई थी उनमें इस बीमारी को फैलाने वाले वाहक का पता नहीं लगाया जा सका था।

मालोन ने जांच कराने से कर दिया था इनकार

वाशिंगटन पोस्‍ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 1907 में सोपर ने पाया कि पार्क एवेन्‍यू (Park Avenue) के एक घर में... जहां मैरी मालोन (Mary Mallon) काम करती थी... उस मकान के मालिक ने उससे जांच के लिए नमूने (ब्‍लड और यूरीन सेंपल) देने को कहा। इस बात पर मैरी मालोन भड़क गई थी और अचानक ही काम छोड़कर चली गई थी। बाद में मकान मालिक स्‍थानीय स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के पास गया और उससे शिकायत की। उसने दलील दी कि यह बीमारी बिना किसी वाहक (carrier) के नहीं फैल सकती है इसलिए मैरी मालोन के ब्‍लड सेंपल्‍स की भी जांच कराई जानी चाहिए। आखिरकार पुलिस ने मैरी मालोन को पकड़ा और खींचकर उसे अस्‍पताल ले गई जहां उसके नमूने की जांच की गई।

लगातार बदल रही थी नौकरियां

छानबीन में पाया गया था कि मैरी लगातार नौकरियां बदल रही थी। जांच रिपोर्ट में उसमें टाइफाइड बैक्टिरिया 100 फीसद मात्रा पाई गई। इस खुलासे से हड़कंप मच गया था और वह पूरी दुनिया में मशहूर हो गई थी। यहां तक कि स्वास्थ अधिकारियों ने उसका नाम चलता फिरता 'टाइफाइड बम' (Typhoid Bomb) 'टाइफाइड मैरी' (Typhoid Mary) रख दिया था। छानबीन में यह भी पाया गया कि मैरी मालोन (Mary Mallon) जहां खाना बनाती थी वहां उससे टाइफाइड के कीटाणु घर के सदस्‍यों को बीमार बना देते थे। आखिरकार जांच में मिले सबूतों के साथ मैरी को गिरफ्तार कर लिया गया।

साल 1915 तक लोगों को बांटी मौत

बाद में यह मामला कोर्ट पहुंचा और मैरी की ओर से दलीलें दी गई कि बीमारी को फैलाने में उसका कोई हाथ नहीं है। आखिरकार वकीलों ने काफी कोशिशों के बाद उसको छु‍ड़ा लिया। हालांकि अदालत ने उसकी रिहाई में यह शर्त रखी कि वह अब कुक का काम नहीं करेगी। इसके बाद उसने लॉन्‍ड्री में नौकरी की। लेकिन वाशिंगटन पोस्‍ट की रिपोर्ट कहती है कि इसके बावजूद भी मैरी मालोन अपनी कर‍िस्‍तानियों से बाज नहीं आई थी। साल 1915 में उसको एक प्रसूति अस्पताल में एक अलग नाम से खाना पकाने का काम करते हुए पकड़ा गया था। इस बार उसे दो दर्जन लोगों में टाइफाइड फैलाने का दोषी ठहराया गया था। इन 24 लोगों में दो की मौत टाइफाइड से हो गई थी। उसे हिरासत में ले लिया गया। बाद में वह नॉर्थ आइलैंड में रही। साल 1938 में 69 में उसकी मौत हो गई। 


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