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अमेरिका में रहने के लिए 129 भारतीय छात्रों ने की थी धोखाधड़ी

अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने फर्जी यूनिवर्सिटी मामले में 129 भारतीयों समेत 130 विदेशी छात्रों को हिरासत में लिए जाने पर सफाई दी है।

By Vikas JangraEdited By: Published: Tue, 05 Feb 2019 02:48 PM (IST)Updated: Tue, 05 Feb 2019 02:48 PM (IST)
अमेरिका में रहने के लिए 129 भारतीय छात्रों ने की थी धोखाधड़ी
अमेरिका में रहने के लिए 129 भारतीय छात्रों ने की थी धोखाधड़ी

वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने फर्जी यूनिवर्सिटी मामले में 129 भारतीयों समेत 130 विदेशी छात्रों को हिरासत में लिए जाने पर सफाई दी है। उसने कहा है कि फर्जी यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने के मामले में पकड़े गए ये छात्र इस बात से अवगत थे कि वे अमेरिका में रहने के लिए धोखाधड़ी का अपराध कर रहे हैं। छात्रों का हालांकि कहना है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि यूनिवर्सिटी फर्जी है।

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अमेरिका के गृह सुरक्षा विभाग (डीएचएस) ने डेट्रायट शहर में स्थित फर्जी प्राइवेट फार्मिग्टन यूनिवर्सिटी मेंे दाखिला लेने के मामले में गत सप्ताह विदेशी छात्रों को हिरासत में लिया था। विदेशियों को अमेरिका में अवैध रूप से रहने में मदद करने वाले रैकेट का भंडाफोड़ करने के लिए यह यूनिवर्सिटी गोपनीय अभियान के तहत खोली गई थी। यह रैकेट चलाने वाले आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। ये सभी या तो भारतीय हैं या भारतीय मूल के।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने सोमवार को कहा, 'इस मामले में लिप्त सभी लोग यह जानते थे कि फार्मिग्टन यूनिवर्सिटी में ना तो कोई शिक्षक था और ना ही कक्षाएं चलती थीं। वे जानते थे कि अमेरिका में रहने के प्रयास में वे धोखाधड़ी का अपराध कर रहे हैं।' इससे पहले भारत सरकार ने गत शनिवार को नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास को डेमार्श (आपत्ति पत्र) जारी कर भारतीय छात्रों को हिरासत में लिए जाने पर चिंता जताई थी। भारत ने इन छात्रों को कानूनी मदद मुहैया कराने की मांग भी की थी।

भारतीयों ने नहीं माना जुर्म
इस रैकेट में गिरफ्तार आठ भारतीयों को मिशिगन की संघीय अदालत में पेश किया गया। जज के सामने उन लोगों ने कहा कि उन्होंने कोई जुर्म नहीं किया है। आरोप है कि इन लोगों ने अमेरिका में अवैध रूप से रहने में करीब 600 विदेशी नागरिकों की मदद की थी। इस धोखाधड़ी को फरवरी, 2017 से जनवरी, 2019 के बीच अंजाम दिया गया। इसके लिए लोगों से मोटी रकम वसूली जाती थी। छात्र वीजा के तहत लोगों को अमेरिका में रहने, पढ़ने और काम करने का मौका मिलता था।


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