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YouTube पर अभिभावकों ने लगाया है बच्चों की जानकारियां चुराने का आरोप, लग सकता है जुर्माना

अभिभावकों ने अमेरिका के फेडरल ट्रेड कमिशन से यूट्यूब के खिलाफ शिकायत की है। जिसमें यूट्यूब पर बच्चों से जुड़ी जानकारी और अनुचित सामग्री उपलब्ध कराने के आरोप लगाए गए हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Thu, 20 Jun 2019 09:07 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jun 2019 09:07 PM (IST)
YouTube पर अभिभावकों ने लगाया है बच्चों की जानकारियां चुराने का आरोप, लग सकता है जुर्माना
YouTube पर अभिभावकों ने लगाया है बच्चों की जानकारियां चुराने का आरोप, लग सकता है जुर्माना

वाशिंगटन, एजेंसी। बच्चों को लक्ष्य करके बनाए जाने वाले वीडियो के मामले में अमेरिका के फेडरल ट्रेड कमिशन (एफटीसी) ने यूट्यूब के खिलाफ जांच शुरू की है। इस जांच की जानकारी रखने वाले दो लोगों ने बताया कि जांच अहम चरण में है। यदि यूट्यूब को नियमों को तोड़ने का दोषी पाया गया तो उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है।

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यह जांच अभिभावकों और उपभोक्ता समूहों की उस शिकायत के बाद शुरू हुई है, जिसमें यूट्यूब पर बच्चों से जुड़ी जानकारी और डाटा एकत्र कर उन्हें हानिकारक व अनुचित सामग्री उपलब्ध कराने के आरोप लगाए गए हैं। उपभोक्ता समूहों ने अपनी शिकायत में यह भी कहा कि यूट्यूब ने बच्चों को अनुचित और वयस्क सामग्री खोजने की अनुमति दी। बच्चों के सर्च इंजन में गलत सूचना और अनुचित सामग्री दिखाई गई।

13 से कम उम्र के लिए यूट्यूब किड्स एप
यूट्यूब की मुख्य साइट और एप 13 साल या उससे अधिक आयुवर्ग के यूजर्स के लिए है, जबकि 13 से कम उम्र के बच्चों के लिए यूट्यूब किड्स एप है, जो सामग्री को फिल्टर करके उन तक पहुंचाता है। बच्चों के लिए इस एप को अभिभावकों की अनुमति से चलाया जाता है और इसमें यूट्यूब बच्चों की कुछ जानकारियां एकत्र करता है ताकि उन्हें कार्टून, नर्सरी राइम्स आदि दिखा सके। अब अभिभावकों ने यूट्यूब पर बच्चों की निजी जानकारियां एकत्र करने का आरोप लगाया है। एप पर फिल्टर के बाद भी बच्चों को अनुचित वीडियो उपलब्ध हो रहा है।

बड़ी टेक कंपनियों पर चल रही जांच
अमेरिका में इन दिनों गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन और फेसबुक जैसी बड़ी टेक कंपनियां जांच के दायरे में चल रही हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और कई सांसद मानते हैं कि इन कंपनियों की ताकत चिंता का कारण है। नियमों के उल्लंघन की कई शिकायतें इनके खिलाफ मिली हैं। न्याय विभाग और एफटीसी ने इन कंपनियों की निगरानी पर सहमति व्यक्त की है। जांच एजेंसियां यह पता लगाने का प्रयास कर रही हैं कि कंपनियों ने प्रतिस्पर्धा की भावना और उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचाने के लिए अपनी ताकत का दुरुपयोग किया है या नहीं।

क्या कोई भी पूछताछ आपराधिक जांच का रूप ले पाएगी?
अमेरिका इन दिनों दुनिया की बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों की ताकत, प्रभाव और बाजार के प्रभुत्व की जांच कर रहा है। ऐसे में एक दिलचस्प सवाल यह है कि क्या कोई भी पूछताछ एक आपराधिक जांच का रूप ले पाएगी? सिविल मामलों में मौद्रिक दंड लगाया जाता है, वहीं आपराधिक जांच के मामले में सजा ज्यादा बड़ी होती है। इस दायरे में जांच होने से कंपनियों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिका में न्याय विभाग ही आपराधिक जांच कर सकता है। वहीं प्रमाण मिलने पर एफटीसी और कांग्रेस भी इस संबंध में जांच सिफारिश कर सकते हैं।

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