एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे सूची में बरकरार रखा, अक्टूबर में डाला जा सकता है काली सूची में
आज FATF की वर्चउअल बैठक आयोजित की गई थी जिसमें पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में जारी रखने को लेकर फैसला हुआ।
नई दिल्ली, प्रेट्र। वैश्विक आतंकवाद के वित्तीय निगरानी संगठन एफएटीएफ ने बुधवार को पाकिस्तान को 'ग्रे लिस्ट' में कायम रखने की घोषणा की है। लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के लिए वित्तीय प्रबंध करने में कोई कमी नहीं लाने के बावजूद पाकिस्तान फिर से काली सूची में जाने से बच गया है। अधिकारियों के अनुसार वैश्विक महामारी कोविड-19 के चलते बुधवार को एफएटीएफ की ऑनलाइन बैठक चीन की अध्यक्षता में हुई है।
एफएटीएफ की तीसरी और अंतिम बैठक में यह फैसला लिया गया है। अगली बैठक अक्टूबर में होनी है, जब तक के लिए पाकिस्तान ग्रे सूची में बना रहेगा। वैश्विक संस्था ने यह निर्णय इसलिए लिया क्योंकि पाकिस्तान अब तक लश्कर-ए-तैयबा और जैश ए मुहम्मद जैसे दुर्दात आतंकी संगठनों के लिए धन जुटाने के नेटवर्क को तोड़ने के लिए कोई कदम नहीं उठाए हैं। इस संस्थान की बैठक में मनी लांड्रिंग और आतंकी वित्त पोषण के विशेषज्ञों का भारतीय प्रतिनिधिमंडल भी शामिल हुआ।
पाकिस्तान के ग्रे सूची में बने रहने के चलते सूची में अब इस देश को विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, एडीबी और यूरोपीय संघ से कर्ज लेने में बेहद परेशानी होगी। अगर पाकिस्तान अक्टूबर तक भी एफएटीएफ के दिशा-निर्देशों के अनुरूप लश्कर और जैश पर काबू करने में नाकाम रहा तो अगली बैठक में पाकिस्तान को उत्तर कोरिया और ईरान के साथ ही काली सूची में भी डाला जा सकता है। ध्यान रहे कि एफएटीएफ ने यह निर्णय उस दिन लिया जिस दिन आतंकवाद पर अमेरिका की एकअहम रिपोर्ट भी सामने आई है। इस रिपोर्ट में पाकिस्तान को आतंकवाद की सुरक्षित पनाहगाह करार दिया गया है।
वीडियोकॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित एफएटीएफ के अधिवेशन में इस बात का फैसला किया जाना था कि उसे ग्रे लिस्ट में रखा जाएगा या ब्लैक लिस्ट में डाला जाएगा। एफएटीएफ ने आतंकवाद को वित्तीय पोषण रोकने और मनी-लॉन्डरिंग के खिलाफ कदम उठाने को लेकर 27 बिंदुओं का ऐक्शन प्लान बनाया था और इसका पालन नहीं करने पर उसे ब्लैकलिस्ट में डाले जाने की भी आशंका थी।
पाकिस्तान को पिछले साल अक्टूबर के बाद से दो बार यह एक्सटेंशन मिल चुका है। इस बार कोरोना वायरस महामारी का हवाला देते हुए एफएटीएफ ने उन सभी देशों को ग्रे लिस्ट में ही रखने का फैसला किया जो पहले से इसमें शामिल थे। वहीं, जो देश ब्लैक लिस्ट में थे, वे भी उसी में रहेंगे।