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कुलभूषण जाधव मामले में ICJ की पाकिस्तान को फटकार, बेनकाब किया नापाक चेहरा

आईसीजे(अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय) की ओर से UNGA में कहा गया है कि पाकिस्तान की ओर से कुलभूषण जाधव मामले में वियना संधि का उल्लंघन किया गया था।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Thu, 31 Oct 2019 01:12 PM (IST)Updated: Thu, 31 Oct 2019 04:35 PM (IST)
कुलभूषण जाधव मामले में ICJ की पाकिस्तान को फटकार, बेनकाब किया नापाक चेहरा
कुलभूषण जाधव मामले में ICJ की पाकिस्तान को फटकार, बेनकाब किया नापाक चेहरा

युनाइटेड नेशंस, पीटीआइ। कुलभूषण जाधव मामले में पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) की ओर से एक और झटका लगा है। अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) का कहना है कि पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव मामले में वियना संधि का उल्लंघन किया है। अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के अध्यक्ष जज अब्दुलाकावी यूसुफ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा(UNGA) को दिए अपने संबोधन में यह बड़ा बयान दिया है। आईसीजे के अध्यक्ष जज अब्दुलाकावी यूसुफ ने कहा है कि कुलभूषण जाधव मामले में पाकिस्तान ने वियना संधि के तहत अपने दायित्वों का उल्लंघन किया है।

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बुधवार को 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा(ICJ) को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय की ओर से एक रिपोर्ट पेश करते हुए यूसुफ ने कहा कि 17 जुलाई के अपने फैसले में संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख न्यायिक अंग ने पाया कि पाकिस्तान ने वियना संधि  के अनुच्छेद-36 के तहत अपने दायित्वों का उल्लंघन किया था और इसके लिए पाकिस्तान की ओर से उचित उपाय किए गए थे।

बता दें, इससे पहले आईसीजे में भारत को एक बड़ी जीत मिली थी।आईसीजे ने फैसला सुनाया था कि पाकिस्तान को जाधव को दी गई मौत की सजा की समीक्षा करनी चाहिए। कुलभूषण जाधव जो एक सेवानिवृत्त भारतीय नौसेना अधिकारी थे, जिन्हें अप्रैल 2017 में  एक बंद मुकदमे के बाद जासूसी और आतंकवाद के आरोप में पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी।

भारत ने दलील दी थी कि 1963 के वियना कन्वेंशन ऑन कॉन्सुलर रिलेशंस के उल्लंघन में कुलभूषण के कॉन्सुलर एक्सेस को पाकिस्तान की ओर से अस्वीकार कर दिया गया था। इसके बाद आईसीजे में यूसुफ के नेतृत्व वाली पीठ ने कुलभूषण जाधव की सजा और सजा की प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार का आदेश दिया था।

उन्होंने कहा कि कोर्ट को जिन मुद्दों की जांच करनी थी, उनमें से एक सवाल यह था कि क्या वियना संधि के आर्टिकल-36 में निर्धारित कांसुलर एक्सेस से संबंधित अधिकार किसी भी तरह से उस स्थिति में बाहर रखा जाना चाहिए, जहां संबंधित व्यक्ति पर संदेह था कि वह जासूसी की वारदातों को अंजाम दे रहा है।


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