‘Pac-Man’ की तरह Black hole में समाते हैं खगोलीय पिंड, शक्तिशाली है ब्लैक होल का यह क्षेत्र
वैज्ञानिकों का दावा है कि ‘पैक-मैन’ की तरह ही ब्लैक होल भी अपने गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में आने वाले खगोलीय पिंडों तारों ग्रहों उपग्रहों को अपना आहार बनाता है।
न्यूयॉर्क, प्रेट्र। जो लोग अभी 25 से 30 की साल की उम्र के होंगे, उन्होंने अपने बचपन में ‘पैक-मैन’ नामक वीडियो गेम जरूर खेला होगा, जिसमें ‘पैक-मैन’ को दुश्मनों की आंखों से बचकर एक तय मार्ग पर चलते हुए सारा भोजन चट कर मिशन पूरा करना होता था। इसकी खास बात यह थी कि जितना भोजन ‘पैक-मैन’ के पेट में जाता उसी के अनुसार उसका आकार भी बढ़ता जाता था। ब्लैक होल के बारे में भी वैज्ञानिकों का कुछ ऐसा ही अनुमान है।
वैज्ञानिकों का दावा है कि ‘पैक-मैन’ की तरह ही ब्लैक होल भी अपने गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में आने वाले खगोलीय पिंडों, तारों, ग्रहों, उपग्रहों को अपना आहार बनाता है। जितनी ज्यादा संख्या में खगोलीय पिंड इसमें समाते हैं उसी अनुपात में इसका आकार भी बढ़ता जाता है। ब्लैक होल अंतरिक्ष का वह स्थान है, जहां भौतिक विज्ञान का कोई भी नियम काम नहीं करता। इसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र इतना शक्तिशाली होता है कि इसके खिंचाव से कोई बच नहीं सकता। इसकी शक्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रकाश भी यहां प्रवेश करने के बाद बाहर नहीं निकल पाता।
अमेरिका के रोचेस्टर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने कंप्यूटर सिमुलेशन के जरिये पहली बार यह पता लगाया है कि बड़े ब्लैक होल कैसे बनते हैं। शोधकर्ताओं ने कहा ‘जब ब्लैक होल्स आपस में टकराते हैं तो एक-दूसरे में समा जाते हैं और इनका आकार कई गुना बढ़ जाता है। यह प्रक्रिया ठीक वैसी ही है जैसे ‘पैक-मैन’ अपना भोजन निगलता है।
शोधकर्ताओं ने कहा, ‘पृथ्वी पर मौजूद वेधशालाओं ने अब तक गुरुत्वाकर्षण तरंगों के जरिये अंतरिक्ष में लगभग 10 ब्लैक होल के आपसी विलय यानी एक-दूसरे में समाहित होने के कारण पैदा हुई अव्यवस्था का पता लगाया है, लेकिन इस प्रक्रिया को समझाना अभी शेष है। शोधकर्ताओं का कहना है कि अब तक के सबसे बड़े ब्लैक होल विलय ने पिछले सभी मॉडलों को गलत साबित कर दिया था, क्योंकि इसका द्रव्यमान और घुमाव अनुमानों से कहीं ज्यादा था।
शक्तिशाली है ब्लैक होल का यह क्षेत्र
फिजिकल रिव्यू लैटर्स नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन बताया गया है कि इतने बड़े विलय सक्रिय आकाशगंगाओं के केंद्र में मौजूद सुपरमैसिव यानी बहुत बड़े ब्लैक होल के बाहर ही संभव हो सकते हैं। शोधकर्ताओं ने कहा, ‘सुपरमैसिव ब्लैक होल के आसपास एक खास क्षेत्र होता है, जिसे संचयन मंडल कहते हैं। इसमें गैस, तारे, धूल और छोटे ब्लैक होल फंस जाते हैं।
संचयन मंडल में समा जाते हैं छोटे ब्लैक होल
रोचेस्टर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ता और इस अध्ययन के सह लेखक रिचर्ड ओ-शोघनेसी के अनुसार, ‘कोई छोटा ब्लैक होल जैसे ही संचयन मंडल की परिधि में आता है तो वह गोलाकार घूमना शुरू कर देता है और बड़े ब्लैक होल में समा जाता है। रिचर्ड ने कहा कि इस अध्ययन से यह समझने में मदद मिलती है कि आकाशगंगा का आकार किस तरह बढ़ता है। इससे अंतरिक्ष में अधिकांश संरचनाओं के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिल सकती हैं।
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