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दुनिया का हर छठा बच्चा अत्यधिक गरीबी में, कोरोना काल में और गंभीर हो सकती है स्थिति : UNICEF

वर्ल्ड बैंक ग्रुप और यूएन चिल्ड्रंस फंड (UNICEF) के नए विश्लेषण ग्लोबल एस्टीमेट ऑफ चिल्ड्रन इन मोनेट्री पॉवरटी एन अपडेट के मुताबिक उप-सहारन अफ्रीका में सीमित सुरक्षा उपायों की वजह से घरों में रह रहे बच्चों का दो तिहाई हिस्सा औसत जीवन के लिए संघर्ष कर रहा है।

By Neel RajputEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 01:34 PM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 01:34 PM (IST)
हर छह में से एक बच्चा घोर गरीबी में कर रहा जीवनयापन

यूनाइटेड नेशन, पीटीआइ। कोरोना काल में अत्यधिक गरीबी में जीवन बिता रहे बच्चों की संख्या में और इजाफा होने की आशंका है। यूनिसेफ की नई रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले हर छह में से एक बच्चा यानी 35 करोड़ 60 लाख बच्चे अत्यधिक गरीबी का सामना कर रहे थे। कोरोना काल के बाद स्थिति और ज्यादा गंभीर एवं चिंताजनक होने की आशंका है और इस दौरान यह आंकड़ा और ज्यादा भी बढ़ सकता है।

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वर्ल्ड बैंक ग्रुप और यूएन चिल्ड्रंस फंड (UNICEF) के नए विश्लेषण 'ग्लोबल एस्टीमेट ऑफ चिल्ड्रन इन मोनेट्री पॉवरटी: एन अपडेट' के मुताबिक उप-सहारन अफ्रीका में सीमित सुरक्षा उपायों की वजह से घरों में रह रहे बच्चों का दो तिहाई हिस्सा औसत जीवन के लिए संघर्ष कर रहा है। मतलब यहां दो तिहाई बच्चे ऐसे परिवारों में रहते हैं जो रोजाना 1.90 डॉलर या इससे कम राशि पर जीवनयापन कर रहे हैं, जो विश्व मानकों के तहत घोर या अत्यधिक गरीबी की श्रेणी में आता है। वहीं दक्षिण एशिया में अत्यधिक गरीबी में रहने वाले बच्चों का पांचवा हिस्सा निवास करता है।

विश्लेषण के मुताबिक 2013 से 2017 के बीच अत्यधिक गरीबी में रहने वाले बच्चों की संख्या में दो करोड़ 90 लाख की कमी आई थी। यूनिसेफ ने कहा है कि हाल के वर्षों में की गई प्रगति की रफ्तार धीमी और असमान वितरण वाली अर्थव्यवस्था एवं महामारी के कारण पड़ने वाले असर की वजह से संकट में है। यूनिसेफ के अधिकारी संजय विजेसेकरा ने कहा कि छह में से एक बच्चा घोर गरीबी में जी रहा है और छह में से एक बच्चा जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह संख्या किसी को भी हिला सकती है। वहीं, कोरोना महामारी के कारण जो वित्तीय संकट आया है उससे यह संख्या और विभिषीका और विकराल रूप ले लेगी। सरकारों को तुरंत इसके लिए योजना बनानी चाहिए ताकि असंख्य परिवारों और बच्चों को गरीबी में जाने से रोका जा सके।

रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक आबादी का एक तिहाई हिस्सा बच्चे हैं और अत्यधिक गरीबी में जीवनयापन करने वालों में आधे बच्चे शामिल हैं। वयस्कों की तुलना में बच्चों के गरीबी में जाने की आशंका दुगनी है।विकासशील देशों में पांच साल से कम उम्र के सभी 20 फीसद बच्चे बेहद गरीब घरों में रहते हैं।


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