Move to Jagran APP

दुनिया में मानसिक समस्‍या से जूझ रहा हर सात में एक बच्‍चा, यूनिसेफ की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

यूनिसेफ की ताजा रिपोर्ट बताती है कि 10 से 19 वर्ष की आयु के बच्‍चे गंभीर मानसिक समस्‍या का शिकार हैं। इससे भी खराब बात ये है कि इस और दुनिया का ध्‍यान बेहद कम है। निवेश भी काफी कम है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 07 Oct 2021 02:54 PM (IST)Updated: Thu, 07 Oct 2021 02:56 PM (IST)
दुनिया में मानसिक समस्‍या से जूझ रहा हर सात में एक बच्‍चा, यूनिसेफ की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
यूनिसेफ की रिपोर्ट में कई चौकाने वाली बातें सामने आई हैं।

न्‍यूयार्क (यूएन)। यूनीसेफ (संयुक्त राष्ट्र बाल कोष) द्वारा जारी एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर के 10 से 19 वर्ष की उम्र के हर सात में से एक बच्‍चा मानसिक समस्या से पीडि़त है और इसके साथ ही जीवन जीने को मजबूर हो रहा है। यूनिसेफ का कहना है कि कोविड महामारी का भी बच्चों और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। इसमें ये भी कहा गया है कि ये असर लंबे समय तक बना रह सकता है। यूनिसेर्फ की इस रिपोर्ट में कई ऐसे तथ्‍यों को भी पेश किया गया है जो वास्‍तव में चिंताजनक हैं। यूनिसेफ ने इस ओर ध्‍यान देने की अपील भी की है।

loksabha election banner

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष के मुताबिक बच्‍चों और किशोरों को मानसिक समस्‍या से बाहर निकालने के लिए कुछ खास नहीं किया जा रहा है, जो बहुत बुरी बात है। इससे संबंधित संसाधनों में निवेश काफी कम हे। ये चिंता की बात है कि दुनिया में हर वर्ष करीब 46 हजार बच्‍चे या किशोर आत्‍महत्‍या कर लेते हें। मानसिक अवसाद या समस्‍या इस उम्र में होने वाली मौत की बड़ी वजह है। इसके बाद भी इस तरफ दुनिया का ध्‍यान नहीं जाता है। विभिन्‍न देशों की सरकार इसके लिए अपने कुल वार्षिक बजट का केवल दो फीसद हिस्‍सा ही रखती हैं। वहीं इसमें भी काफी कम खर्च होता है।

यूनीसेफ की कार्यकारी निदेशक हैनरीएटा फोर ने इस पर गंभीर चिंता व्‍यक्‍त की है। उनका कहना है कि महामारी के बीते 18 महीने बच्चों पर बहुत भारी रहे हैं। लाकडाउन, प्रतिबंध,परिवारों के बीच, दोस्‍तों और सगे संबंधियों के बीच दूरी, से भी इस उम्र के बच्‍चों पर प्रतिकूल असर पड़ा है। ऐसा नहीं है कि इस मानसिक समस्‍या की शुरुआत केवल इसी महामारी के दौरान हुई है बल्कि ये पहले से ही मौजूद थीं, लेकिन कोरोना महामारी ने इसको और बढ़ाने का काम किया है। इसके समाधान के लिए न के ही बराबर काम हुआ है। इसको महत्‍व न देना बड़ी समस्‍या बनती जा रही है। उन्‍होंने कहा कि हम किसी भी सूरत से इसको नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।

यूनीसेफ की इस रिपोर्ट में 21 देशों के बच्चों, किशोरों व वयस्कों के हालातों का जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि दुनिया के औसतन हर पांच में से एक युवा इस बात को मानता है कि उसको अक्‍सर मानसिक समस्‍या से दो चार होना पड़ता है। इसमें ये भी कहा है कि महामारी जितनी लंबी खिंचती जा रही है उतना ही इसका असर भी व्‍यापक हो रहा है। इसमें जो बात निकलकर सामने आई है उसके मुताबिक बच्‍चे मानते हैं कि इस दौरान रोजमर्रा के जीवन, शिक्षा, एंटरटेनमेंट, स्‍पोर्ट्स में आई रुकावट की वजह से उनका स्‍वभाव काफी बदल गया है। उन्‍हें गुस्‍सा अधिक आता है और वो भविष्‍य को लेकर खुद को चिंतित पाते हैं।

इसमें उस रिपोर्ट का भी जिक्र है जिसमें चीन का जिक्र किया गया था। वर्ष 2020 में चीन में एक ऑनलाइन अध्ययन किया गया था। इसमें शामिल एक तिहाई बच्‍चों या किशोरों का कहना था कि वो खुद को डरा हुआ या चिंतित महसूस करते हैं। रिपोर्ट में बच्‍चों को इस समस्‍या से निकालने के लिए इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ाने और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बनाने का आहवान किया गया है। इसमें ये भी कहा गया है कि जो लोग गरीब हैं उनपर खास ध्‍यान दिया जाना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.