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मोटापे और मेटाबॉलिज्म सिंड्रोम पीड़‍ितों के लिए अधिक जानलेवा है कोरोना, दोगुना होता है खतरा

मोटापे और मेटाबॉलिज्म सिंड्रोम से पीडि़त लोगों के लिए कोरोना का संक्रमण और भी जानलेवा हो सकता है। यही नहीं ऐसे लोगों के लिए संक्रमण का खतरा दोगुना होता है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 16 Jul 2020 06:33 PM (IST)Updated: Thu, 16 Jul 2020 06:33 PM (IST)
मोटापे और मेटाबॉलिज्म सिंड्रोम पीड़‍ितों के लिए अधिक जानलेवा है कोरोना, दोगुना होता है खतरा
मोटापे और मेटाबॉलिज्म सिंड्रोम पीड़‍ितों के लिए अधिक जानलेवा है कोरोना, दोगुना होता है खतरा

वाशिंगटन, एएनआइ। मोटापे और मेटाबॉलिज्म सिंड्रोम से पीडि़त लोगों के लिए वैश्विक महामारी कोविड-19 और भयानक रूप ले लेती है। एक ताजा शोध में बताया गया है कि शरीर में अत्यधिक चर्बी होने की स्थिति में कोरोना का संक्रमण और भी जानलेवा हो सकता है। अमेरिका के सेंट जूड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बायोमेडिकल साइंस और यूनिवर्सिटी ऑफ टेनिसी हेल्थ साइंस सेंटर का शोध वायरोलॉजी जनरल में प्रकाशित शोध में बताया गया है कि मेटाबॉलिज्म सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है जिसमें हृदय रोग, स्ट्रोक और टाइप-2 डायबिटीज मेलिशस का खतरा बढ़ जाता है।

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तनावमुक्त रखने का गुण हो जाता है समाप्‍त

मेटाबॉलिज्म सिंड्रोम में लीवर और पेट के अंदर की चर्बी में बेतहाशा वृद्धि हो जाती है। यह बात ऊपर से पता भी नहीं चलती. जरूरी नहीं कि आप मोटे लगें पर अंदर खतरनाक वाली चर्बी बढ़ जाती है। यह खून में घुलकर अंतत: दिल और दिमाग की नलियों में जमा होकर उन्हें अवरुद्ध करती रहती है। ऐसे शख्स का ब्लड शुगर बढ़ा रहता है। अंतत: इससे डायबिटीज भी हो सकती है। इससे खून की नलियों में खुद को तनावमुक्त रखने का गुण भी समाप्त हो जाता है। इससे रक्तचाप बढ़ा रह सकता है।

दोगुना होता है फ्लू का खतरा

रक्त में खराब किस्म के कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाते हैं। इन लक्षणों के कारण शरीर में सूजन और जलन के लक्षण भी बढ़ जाते हैं। पहले भी कई शोधों में बताया गया है कि मोटापे के कारण भी फ्लू का संक्रमण अधिक तीव्रता से होता है। ताजा शोध के मुताबिक पहले से मेटाबॉलिज्म सिंड्रोम के शिकार लोगों को सांस लेने के दौरान वायरस आसानी से संक्रमित करते हैं। इन पर वायरस का असर भी अधिक घातक होता है। मोटापे के कारण फ्लू का खतरा दोगुना हो जाता है। मोटापे के कारण सांस लेने में वैसे भी दिक्कत पेश आती है।

गरारे में मिल सकते हैं कोरोना संक्रमण के हल्के नमूने

बर्लिन, आइएएनएस। जर्मनी में किए गए एक शोध में दावा किया गया है कि गर्म पानी के गरारों में भी कोविड-19 के संक्रमण के बेहद हल्के नमूने मिल सकते हैं। भविष्य में यह इस महामारी की पहचान का एक उपयोगी उपकरण भी बन सकता है। जरनल प्रोटेम रीसर्च में प्रकाशित मार्टिन लूथर यूनिवर्सिटी के एक शोध के अनुसार अगर कोई कोविड-19 के तीव्र संक्रमण का शिकार है तो उसका पता पॉलीमर्स चेन रिएक्शन (पीसीआर) से मिल जाएगा। पीसीआर तकनीक से वायरल जीनोम का पता चलता है। जबकि वैकल्पिक परीक्षणों में संक्रमण के एंटीबॉडीज की पहचान की जाती है। एंटीबॉडीज शरीर में संक्रमण के दौरान बनती हैं।


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