भारतवंशी अटॉर्नी ने अमेरिकी संसद से कहा, कश्मीर भेजें विशेष टीम
एक भारतवंशी अटॉर्नी ने अमेरिकी सांसदों से कश्मीर के लिए संसद की विशेष समिति गठित करने की मांग की है।
वाशिंगटन, प्रेट्र। एक भारतवंशी अटॉर्नी ने अमेरिकी सांसदों से कश्मीर के लिए संसद की विशेष समिति गठित करने की मांग की है। यह मांग यूरोपीय संघ (ईयू) के 23 सांसदों के प्रतिनिधिमंडल के कश्मीर पहुंचने के एक दिन बाद ही उठाई गई है।
बेदाग छवि के सांसदों को कश्मीर भेजें
अमेरिकी संसद की विदेश मामलों की एशिया, प्रशांत और अप्रसार उप समिति को मंगलवार को सौंपे हलफनामे में न्यूयॉर्क के अटॉर्नी रवि बत्रा ने एक संसदीय दल कश्मीर भेजने का आग्रह किया है। उन्होंने इस दल में ऐसे अमेरिकी सांसदों को शामिल करने का सुझाव दिया है, जिनकी छवि बेदाग हो। उन्होंने कहा है कि इससे विश्वसनीय सूचना मिलेगी और लोग आश्वस्त होंगे। साथ ही वहां पाबंदियों को खत्म करने में भी मदद मिलेगी व भारत या किसी आगंतुक पर खतरे का भी पता चल सकेगा।
हलफनामे में बत्रा ने कहा है कि 9/11 के बाद दुनिया से आतंकवाद का सफाया करना अमेरिका की प्राथमिकता में शामिल हो चुका है। दक्षिण एशियाई मामलों के राष्ट्रीय परामर्श परिषद के अध्यक्ष बत्रा पिछले हफ्ते 'दक्षिण एशिया में मानवाधिकार : विदेश विभाग और क्षेत्र की राय' पर संसद की उपसमिति के सामने बयान भी दे चुके हैं।
यूरोपीय यूनियन के सांसदों का दल कश्मीर गया
भारत दौरे पर आए यूरोपीय यूनियन के 28 सांसदों को मोदी सरकार ने कश्मीर जाने की इजाजत दी है, लेकिन बता दें कि यह EU का कोई आधिकारिक दल नहीं है। इन सांसदों के दल ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल से अलग-अलग मुलाकात की।
पीएम मोदी ने ईयू सांसदों को अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि किन परिस्थितियों में यह फैसला लिया गया और किस तरह सीमा पार से चल रही आतंकवादी गतिविधियों से निपटने के लिए यह जरूरी कदम था। गौरतलब है कि कश्मीर जाने वाले यूरोपीय यूनियन के सांसदों में छह पोलैंड और फ्रांस से 6-6, ब्रिटेन के पांच, इटली की चार, जर्मनी के दो और चेक गणराज्य, बेल्जियम, स्पेन व स्लोवाकिया के एक-एक सांसद हैं।