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अब व्हाइट हाउस का चौंकाने वाला खुलासा, ट्रंप को नहीं दी जाती हर खुफिया जानकारी

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों को मारने के लिए तालिबान को इनाम देने के मामले में रूस को किसी तरह से सजा न दिए जाने पर दोषी कहा है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Sun, 28 Jun 2020 02:48 PM (IST)Updated: Sun, 28 Jun 2020 05:14 PM (IST)
अब व्हाइट हाउस का चौंकाने वाला खुलासा, ट्रंप को नहीं दी जाती हर खुफिया जानकारी
अब व्हाइट हाउस का चौंकाने वाला खुलासा, ट्रंप को नहीं दी जाती हर खुफिया जानकारी

नई दिल्ली, न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूज सर्विस। ये खबर थोड़ी चौंकाने वाली है मगर है सच। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को व्हाइट हाउस की तरफ से हर तरह की खुफिया जानकारी नहीं दी जाती है। व्हाइट हाउस जिस जानकारी को राष्ट्रपति के लिए जरूरी समझता है सिर्फ वो ही उन्हें बताई जाती है बाकी जानकारियों को छिपाकर रखा जाता है। 

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ये बातें अब सामने आ रही हैं। दरअसल शुक्रवार को अमेरिकी वेबसाइट न्यूयॉर्क टाइम्स में एक स्टोरी प्रकाशित की गई जिसमें ये लिखा गया कि रूस ने तालिबान से अफगानिस्तान में तैनात सैन्य सैनिकों को मारे जाने के लिए इनाम देने की घोषणा की थी। रूस ने तालिबान से जुड़े आतंकियों से किसी तरह से संपर्क करके कहा कि यदि वो अमेरिकी सैनिकों को नुकसान पहुंचाएंगे तो इसके एवज में उनको इनाम दिया जाएगा। अमेरिकी खुफिया विभाग की ओर से इसके बारे में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कोई जानकारी ही नहीं दी गई। 

अब जब अमेरिका के पूर्व उप राष्ट्रपति जो बिडेन को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने कहा कि इसके लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप है। उन्होंने कहा कि जब ट्रंप को खुफिया विभाग की ओर से ये जानकारी दे दी गई  थी तो उनको रूस को सजा देना चाहिए था मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया। 

अधिकारियों ने इस मामले पर जानकारी देते हुए कहा कि न्यूयॉर्क टाइम्स ने शुक्रवार को बताया कि एक रूसी सैन्य खुफिया इकाई ने गुप्त रूप से तालिबान से जुड़े आतंकवादियों को अफगानिस्तान में अमेरिकी और गठबंधन सैनिकों को निशाना बनाने के लिए भुगतान किया था, ट्रंप को इसके बारे में जानकारी दी गई थी। 

व्हाइट हाउस की ओर से किसी भी खुफिया जानकारी या आंतरिक विचार विर्मश पर नियमित रूप से टिप्पणी नहीं की जाती है। इंटेलीजेंस एजेंसी, सीआईए निदेशक, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और कर्मचारियों के प्रमुख सभी पुष्टि करते हैं कि इस बारे में न तो राष्ट्रपति और न ही उप राष्ट्रपति को खुफिया जानकारी दी गई थी। व्हाइट हाउस की ओर से भी इस बारे में एक बयान तब जारी किया गया जब न्यूयॉर्क टाइम्स की वेबसाइट पर इस संबंध में खबर 25 घंटे पहले चलाई जा चुकी थी।

प्रेस सचिव कायले मैकनी ने इस बारे में शानिवार दोपहर बयान जारी किया था। शनिवार रात राष्ट्रीय खुफिया निदेशक जॉन रैटक्लिफ ने एक बयान जारी कर व्हाइट हाउस के इस दावे को सच साबित किया, उन्होंने कहा कि इस तरह की खुफिया जानकारी ट्रंप को नहीं दी गई थी।

टाइम्स के लेख में यह भी बताया गया है कि व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने मार्च के अंत में एक इंटरजेंसी मीटिंग में समस्या पर चर्चा की थी लेकिन अभी तक उस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई। 

डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बिडेन ने उसे शर्मनाक बताया। बिडेन ने वोटर ग्रुप की ओर से आयोजित एक वर्चुअल टाउन हॉल में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि इस तरह की चीजें अंतरराष्ट्रीय कानून का घोर उल्लंघन है।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसके लिए रूस पर किसी तरह का एक्शन नहीं लिया बल्कि वो इस तरह की जानकारी होने से ही इनकार करते रहे। ट्रंप ने ऐसा करके खुद को ही शर्मिंदा किया है। उनका पूरा राष्ट्रपति काल ब्लादिमीर पुतिन के लिए एक उपहार सरीखा रहा है।

उन्होंने कहा कि जब हम अपने देश के सैनिकों को नुकसान पहुंचने वाली जगहों पर भेजते हैं तो हमारे सैनिकों को बचाने और उनके लिए बेहतर चीजें मुहैया कराने की जिम्मेदारी भी हमारी होती है, यदि हम ऐसा नहीं करते हैं तो देश के लिए कर्तव्य निभाने वालों के साथ ये विश्वासघात होता है। 

अधिकारियों ने इस मामले पर जानकारी देते हुए कहा कि पकड़े गए अफगान आतंकवादियों और अपराधियों से पूछताछ में ऐसी खुफिया जानकारी मिली थी। अधिकारियों ने बताया था कि आतंकियों से ये पूछताछ बहुत की सीक्रेट रखी गई थी, उसके बाद इसके बारे में प्रशासन को बताया गया था। लेकिन प्रशासन ने इसके बारे में पिछले एक सप्ताह में ध्यान किया। मगर दो दिन पहले ये चौंकाने वाली जानकारी भी सामने आ गई कि व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने इसके बारे में ट्रंप को कभी बताया ही नहीं था। 

एक बात ये भी सामने आई कि इस्लामी आतंकवादियों और सशस्त्र आपराधिक तत्वों के बीच आपस में संबंध हैं। ऐसा भी माना जाता है कि इस तरह से अमेरिकी सैनिकों पर हमला करने के लिए उन्होंने मोटी रकम जमा कर ली है। याद होगा कि अफगानिस्तान में साल 2019 में युद्ध में बीस अमेरिकी मारे गए थे लेकिन उस समय यह हत्याएं संदेह के दायरे में थीं। 

अमेरिकी और अन्य नाटो सैनिकों की हत्या को प्रोत्साहित करने के लिए यदि रूस की ओर से समर्थन किया गया है तो ये अपने आप में चिंता की बात है। इस तरह की चीजें पता चलने से रूस के प्रति सैनिकों के मन में गुस्सा आएगा। वैसे ये पहली बार होगा जब रूसी जासूस इकाई ने पश्चिमी सैनिकों पर हमला किए जाने के लिए इस तरह की रणनीति अपनाई है।  

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