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अब खगोलविदों ने केप्लर टेलीस्कोप की मदद से यूनिवर्स में खोजा वैम्पायर स्टार

यह एक ऐसा तारा है कि हमारा सूरज भी अरबों वर्षो के अंतराल के बाद इस तरह का बन जाएगा और इसके घटकों में ब्राउन ड्वार्फ दिखेंगे।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Sun, 26 Jan 2020 10:37 AM (IST)Updated: Sun, 26 Jan 2020 10:37 AM (IST)
अब खगोलविदों ने केप्लर टेलीस्कोप की मदद से यूनिवर्स में खोजा वैम्पायर स्टार
अब खगोलविदों ने केप्लर टेलीस्कोप की मदद से यूनिवर्स में खोजा वैम्पायर स्टार

वाशिंगटन डीसी, एएनआइ। खगोलविदों ने केप्लर स्पेस टेलीस्कोप की मदद से एक ‘वैम्पायर’ स्टार (तारा) खोजने का दावा किया है। यह तारा ब्रह्मांड में रहस्यमयी तरीके से विस्फोट के जरिये काफी तेजी से फैलता है। उनका कहना है कि इसका पता केप्लर स्पेस टेलीस्कोप से एकत्रित आंकड़ों की मदद से लगाया गया है।

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प्रमुख शोधकर्ता रेयान रिडन-हार्पर का कहना है कि हमें अध्ययन के दौरान एक ड्वार्फ नोवा मिला। यह अचानक विस्फोट करने वाले तारों का समूह है, जिसके घटकों में व्हाइट ड्वार्फ भी होते हैं। यह एक ऐसा तारा है कि हमारा सूरज भी अरबों वर्षो के अंतराल के बाद इस तरह का बन जाएगा और इसके घटकों में ब्राउन ड्वार्फ दिखेंगे। यह ड्वार्फ 10 गुना कम घना और ग्रह की तरह दिखने वाला एक असफल तारा है।

द ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी में अपने पीएच.डी के तौर पर इसका अध्ययन करने वाले हार्पर ने बताया, ‘यह दुर्लभ घटना हमें ड्वार्फ नोवा से विशाल विस्फोट की वजह से मिलती है। यह बिलकुल वैम्पयार स्टार सिस्टम की तरह हो सकता है।’ उन्होंने  आगे बताया, ‘केप्लर से मिले आंकड़ों से पता चलता है कि 30 दिनों की अवधि के दौरान ड्वार्फ नोवा तेजी से मद्धम होने और धीरे-धीरे अपनी सामान्य चमक में आने से पहले 1600 गुना अधिक चमकीला हो जाता है।’

यह चमक ड्वार्फ के इर्द-गिर्द के पदार्थो को हटाने की वजह पैदा होती है, जो एक डिस्क में व्हाइट ड्वार्फ के चारों ओर रहता है। इस डिस्क का तापमान 11,7000 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, जिससे विशाल विस्फोट होता है। यह अध्ययन दुर्लभ रूप से होने वाली खगोलीय परिघटना का पता लगाने के लिए किया गया है, जो बड़ी तेजी से होती हैं। जैसे- सुपरनोवा के तीव्र विघटन से गामा किरणों का विस्फोट, न्यूट्रोन तारों की टक्कर या वैसी घटनाएं जिन्हें पहले कभी टेलीस्कोप की मदद से नहीं देखा गया।

रिडन हार्पर ने यह खोज एएनयू केसहयोगियों, स्पेस टेलीस्कोप साइंस इंस्टीट्यूट और अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ नोत्रे डेम की मदद से की है। उन्होंने बताया, ‘इस ड्वार्फ नोवा की खोज चौंकाने वाली थी, क्योंकि हम इसकी खोज नहीं कर रहे थे। लेकिन इससे हमें गजब के आंकड़े और इन वैम्पायर तारों को समझने की नई दिशा मिली।’ उन्होंने बताया कि हमारा अगला कदम केप्लर आंकड़ों का बारीकी से अध्ययन करना और ट्रांजिटिंग एक्सोप्लेनट सर्वे सैटेलाइट के आंकड़ों को विस्तार देना होगा।

हार्पर ने कहा, ‘इन आंकड़ों के संयुक्त अध्ययन से ब्रह्मांड में सबसे तेजी से होने वाली विस्फोट की घटना को समझने में मदद मिलेगी। यह भी संभव है कि हम उन दुर्लभ घटना का भी पता लगा सकें, जिसे अभी तक कोई भी टेलीस्कोप नहीं लगा पाया है।’हार्पर के अध्ययन की समीक्षा करने वाले डॉ. ब्रैड टकर का कहना है, ‘हमने इसका उपयोग तारों के विस्फोट को, ब्लैकहोल के गुप्त रहस्यों और अब हाल में वैम्पायर तारों को देखने में किया है। यह पहली बार हुआ है।’  


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