NG-14 Cygnus के जरिए फिर होगा कल्पना चावला का आईएसएस तक का सफर, जानें कैसे
नॉर्थरोप ग्रुमेन ने अपने नए स्पेस क्राफ्ट को कल्पना चावला का नाम दिया है। ये यान 29 सितंबर को आईएसएस के लिए जरूरी सामान लेकर रवाना होगा।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। अमेरिका की एयरोस्पेस कंपनी नॉर्थरोप ग्रुमेन ने अंतरिक्ष जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला के नाम पर अपने सिग्नस स्पेसक्राफ्ट का नाम रखा है। सिग्नस स्पेसक्राफ्ट को 29 सितंबर को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए लॉन्च किया जाएगा। नॉर्थरोप की तरफ से कल्पना को दिया जाने वाले ये बड़ा सम्मान है जिसने इस क्षेत्र में भारतीय महिलाओं के योगदान को भी सराहा है। सिग्नस स्पेसक्राफ्ट के निर्माता नॉर्थरोप ग्रुमेन ने एक ट्वीट कर इसकी घोषणा की है।
इसमें उन्होंने लिखा है कि कंपनी अंतरिक्ष के क्षेत्र में दिए गए योगदान पर कल्पना का सम्मान करती है। उन्होंने नासा में भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री के रूप में इतिहास बनाया है। इसमें आगे कहा गया है कि ह्यूमन स्पेस फ्लाइट में उनके योगदान का स्थायी प्रभाव पड़ा है। मिलिए हमारे अगले NG-14 Cygnus यान, SS कल्पना चावला से। नॉर्थरोप ग्रूममैन ने कहा कि यह कंपनी की परंपरा है कि हर सिग्नस स्पेसक्राफ्ट का नाम एक ऐसे शख्स के नाम पर रखा जाए, जिसने ह्यूमन स्पेस फ्लाइट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो। कल्पना चावला को इसके लिए इसलिए चुना गया क्योंकि उन्होंने भारतीय मूल की पहली अंतरिक्ष यात्री के रूप में इतिहास रचा था।
कंपनी ने जिस यान को कल्पना का नाम दिया है वो दरअसल, एक री-सप्लाई शिप है। सिग्नस अपने साथ आईएसएस के लिए करीब 3629 किग्रा वजनी सामान लेकर जाएगा। इस स्पेस क्राफ्ट को वर्जीनिया के वैलोप द्वीप पर बने मिड एटलांटिक रिजनल स्पेसपोर्ट से लॉन्च किया जाएगा। लॉन्च के 24 घंटे पहले ही यान में कार्गो रखा जाएगा। आईएसएस से वापसी के दौरान ये यान स्पेस क्राफ्ट फायर एक्सपेरीमेंट-5 (Saffire-V) करेगा। माइक्रोग्रेविटी में लार्ज स्केल फायर को जानने के लिए इस एक्सपेरीमेंट को किया जाएगा। ये यान भूमध्य सागर के ऊपर से पृथ्वी के वातावरण में एंट्री लेगा।
आपको बता दें कि कल्पना का जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल में हुआ था 20 वर्ष की उम्र में वो अमेरिका गईं और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद नासा में काम करना शुरू कर किया। उन्हें पहली बार 19 नवंबर 1997 को अंतरिक्ष में जाने का मौका मिला। 16 जनवरी, 2003 को कल्पना चावला अमेरिकी अंतिरक्ष यान कोलंबिया के चालक दल के रूप में अंतरिक्ष में जाने वाली भारत की पहली महिला बनी थीं। 1 फरवरी 2003 को अंतिरक्ष में 16 दिनों का सफर पूरा करने के बाद वापसी के दौरान पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते समय उनका अंतरिक्ष यान हवा में ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
ये घटना उस वक्त घटी थी जब कल्पना के पति समेत अन्य दोस्त उनकी कामयाबी पर उन्हें बधाई देने जमीन पर मौजूद थे और बेसर्बी से उनकी सफल लैंडिंग की राह तक रहे थे। लेकिन लैंडिंग से महज 16 मिनट पहले आई तकनीकी दिक्कत से ये बड़ा हादसा हो गया। हवा में ही अंतरिक्ष यान कोलंबियां कई टुकड़ों और आग के शोले में बदल गया। इस यान का मलबा और अंतरिक्ष यात्रियों का सामान कई किमी के दायरे में बिखर गया था। इस हादसे ने अमेरिका के स्पेस मिशन को बड़ा झटका लगा था। कल्पना ने अंतरिक्ष में रहते हुए कई अहम प्रयोगों को अंजाम दिया था। हादसे के तीन साल बाद भारतीय मूल की दूसरी महिला सुनीता विलियम्स इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में गई थीं।
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