Move to Jagran APP

बुजुर्गो में सूंघने की शक्ति का कमजोर होना न्यूमोनिया के खतरा का बढ़ने का संकेत है, शोध में सामने आई बात

मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी (एमएसयू) की एक रिसर्च में वैज्ञानिकों को पता चला है कि बुजुर्गो में यदि सूंघने की शक्ति कमजोर होती है तो ये न्यूमोनिया के बढ़ते खतरे का संकेत है। यह शोध लैंसेट हेल्दी लांजेविटी में प्रकाशित हुआ है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 07:23 PM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 07:23 PM (IST)
बुजुर्गो में सूंघने की शक्ति का कमजोर होना न्यूमोनिया के खतरा का बढ़ने का संकेत है, शोध में सामने आई बात
सूंघने की शक्ति का कम होना मतलब निमोनिया का खतरा

वाशिंगटन  (एएनआइ)। कोविड काल में संक्रमण के लक्षणों में सूंघने की शक्ति कमजोर होना भी शामिल है। करीब दो दशक पहले इसका संबंध पार्किसंस और डिमेंशिया से भी पाया गया। अब मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी (एमएसयू) के शोधकर्ताओं ने पाया है कि सूंघने की कमजोर शक्ति बुजुर्गो में न्यूमोनिया का खतरा बढ़ने का संकेत है। यह शोध लैंसेट हेल्दी लांजेविटी में प्रकाशित हुआ है।

prime article banner

एमएसयू के कॉलेज ऑफ ह्यूमैन मेडिसिन में डिपार्टमेंट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड बायोस्टैस्टिक्स के प्रोफेसर हॉगलेई चेन का कहना है कि 65 या उससे अधिक उम्र के करीब एक चौथाई लोगों में सूंघने की शक्ति कमजोर पाई गई है। उनका मानना है कि लोग नजर या सुनने की कमजोरी के प्रति जितना संवेदनशील होते हैं, उतना सूंघने की शक्ति को लेकर सतर्क नहीं होते हैं।

सूंघने की कमजोर शक्ति वाले दो-तिहाई लोगों को तो पता ही नहीं चलता कि उन्हें इस प्रकार की कोई समस्या है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर चेन और उनकी टीम ने सूंघने की कमजोर शक्ति तथा न्यूमोनिया के कारण अस्पताल में भर्ती होने की नौबत के बीच संभावित संबंधों पर अपनी तरह का पहला अध्ययन किया। इसके लिए उन्होंने पीट्सबर्ग, पेंसिल्वेनिया और मेंफिस मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र के 2,494 बुजुर्गो के 13 वर्षो के डाटा का अध्ययन किया।

शोध के दौरान सहभागियों में सूंघने की शक्ति (बढि़या, सामान्य या कमजोर) का पता लगाने के लिए उनका ब्रीफ स्मेल आइडेंटिफिकेशन टेस्ट (बी-एसआइटी) किया गया, जिसमें नींबू और गैसोलिन जैसी चीजें सुंघाई गई। उसके बाद 13 वर्षो तक उनके क्लिनिकल परीक्षण और न्यूमोनिया के कारण अस्पताल में भर्ती होने संबंधी जानकारी जुटाने के लिए फॉलोअप फोन-कॉल भी किए गए।

विश्लेषण में पाया गया कि जिन लोगों की सूंघने की शक्ति कमजोर थी, उन्हें 13 वर्षो के दौरान न्यूमोनिया के कारण अस्पताल में भर्ती कराने के मामले में सूंघने की सामान्य शक्ति वालों की तुलना में 50 फीसद की अधिकता थी। इतना ही नहीं, जिन लोगों को पहले कभी न्यूमोनिया की शिकायत नहीं थी, उनमें पहली बार इसकी शिकायत के मामले भी करीब 40 फीसद अधिक थे।

शोधकर्ताओं की टीम के सदस्य याकुन युआन ने बताया कि हमारी जानकारी में यह पहला अध्ययन है, जिसमें सूंघने की शक्ति का संबंध बुजुर्गो में न्यूमोनिया के खतरे से साबित किया है। यह भी पता चला है कि सूंघने की कमजोर शक्ति का बढ़ती उम्र के साथ पार्किसंस और डिमेंशिया जैसे रोगों के अलावा भी स्वास्थ्य पर अन्य व्यापक असर भी होता है।

चेन कहते हैं, यह एक उदाहरण है कि हम सामान्य संवेदी गुणों के बारे में कितना कम जानते हैं। रिस्क फैक्टर या मार्कर के रूप में सूंघने की कमजोर शक्ति का बुजुर्गो में हमारी जानकारी से आगे जाकर कई क्रॉनिक रोगों को पैदा कर सकता है। इसलिए हमें इसके बारे में अलग तरीके से सोचने की जरूरत है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.