कोरोना की नई स्ट्रेन से निपटने को वैज्ञानिकों ने इजाद किया आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस टूल, जानें कैसे करेगा काम
विज्ञानियों ने कोरोना के बदलते स्वरूप से निपटने के लिए एक नया तरीका इजाद किया है। इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) आधारित टूल का इस्तेमाल किया गया है। इसकी मदद से नए स्वरूप के खिलाफ नई वैक्सीन तैयार करने में मदद मिलेगी।
वाशिंगटन, पीटीआइ। विज्ञानियों ने कोरोना के बदलते स्वरूप से निपटने के लिए एक नया तरीका इजाद किया है। इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) आधारित टूल का इस्तेमाल किया गया है, जिससे न सिर्फ वायरस के नए स्वरूप के खिलाफ नई वैक्सीन तैयार करने में मदद मिलेगी, बल्कि इसके प्रसार को भी प्रभावी तरीके से रोका जा सकेगा। 'साइंटिफिक रिपोर्ट' नामक पत्रिका में शुक्रवार को इस नए तरीके के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस तरीके या विधि से वायरस में संभावित बदलाव का आकलन करना आसान होगा।
संभावित टीके की होगी पहचान
यही नहीं इसके लिए सबसे बढि़या संभावित टीके की पहचान सुनिश्चित हो सकेगी। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया (यूएससी) के शोधार्थियों के मुताबिक इस विधि से वैक्सीन के डिजाइन चक्र को मिनटों में पूरा किया जा सकता है, जिसमें महीनों या साल भर लग जाता है।
नई वैक्सीन तैयार करने में मिलेगी मदद
यूएससी के एसोसिएट प्रोफेसर पॉल बोगडन ने कहा कि इससे कोरोना के बदले स्वरूप के खिलाफ कौन सी वैक्सीन कारगर होगी, इसका भी तुरंत पता चल जाएगा, जिससे सुरक्षा से समझौता किए बिना नई वैक्सीन तैयार कर उसका परीक्षण तुरंत शुरू किया जा सकता है।
एआइ आधारित तकनीक है कारगर
अनुसंधान के दौरान विज्ञानियों ने कोरोना वायरस के खिलाफ जब एआइ आधारित तरीके का इस्तेमाल किया तो तुरंत 26 संभावित वैक्सीन की जानकारी सामने आ गई, जो वायरस के खिलाफ काम कर सकती हैं। इनमें से विज्ञानियों ने 11 वैक्सीन का चयन किया और उससे कई तरह के कोरोना वायरस के खिलाफ काम करने वाली वैक्सीन तैयार की।
स्पाइक प्रोटीन ही खत्म कर देगी वैक्सीन
यह वैक्सीन स्पाइक प्रोटीन को खत्म कर सकती है, जिसके जरिये कोरोना वायरस शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करता है। यह वैक्सीन वायरस को भी निष्क्रिय कर देती है, जिससे वह अपनी प्रतिकृति नहीं बना पाता। विज्ञानियों के मुताबिक ऐसे समय में जब कोरोना वायरस के नए और घातक स्वरूप सामने आ रहे हैं, यह तरीका कम समय में नई वैक्सीन विकसित करने में मददगार हो सकता है।
नया तंत्र बनाने में मिलेगी मदद
वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि कोरोना के नया स्वरूप के खिलाफ मौजूदा वैक्सीन काम नहीं करती हैं और वह बेकाबू हो जाता है तो उसे रोकने के लिए इस प्रणाली से नया तंत्र बनाने में मदद मिलेगी। इसका उदाहरण देते हुए विज्ञानियों ने बताया कि अनुसंधान के दौरान बी-सेल के एक स्वरूप और टी-सेल के एक स्वरूप का इस्तेमाल किया गया था। जरूरत पड़ने पर बी-सेल और टी-सेल के व्यापक डाटा और कंबिनेशन का इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे ज्यादा प्रभावकारी वैक्सीन जल्द तैयार की जा सकती है।
संभावित बदलावों से निपटने में कारगर
अध्ययन में यह अनुमान लगाया कि यह तरीका डाटासेट में मौजूद सात लाख से अधिक विभिन्न प्रोटीन के बारे में सटीक जानकारी दे सकता है। बोगडन ने कहा कि इस तरीके से तैयार की जाने वाली वैक्सीन कोरोना वायरस में देखे गए तीन तरह के बदलावों से निपट सकती है। साथ ही यह आगे भी वायरस में होने वाले अन्य संभावित बदलावों से भी लड़ सकती है।
एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोरोना के नए स्ट्रेन पर कारगर
एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन विकसित करने वाले ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के विज्ञानी एंड्र्यू पोलार्ड ने कहा है कि वैक्सीन ब्रिटेन में पिछले साल के आखिर में पाए गए कोरोना वायरस के नए स्वरूप (स्ट्रेन) के खिलाफ प्रभावी पाई गई है। फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन को लेकर ही इसी तरह की रिपोर्ट आ चुकी है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से ग्रसित मरीजों में यह वैक्सीन वायरस की मात्रा भी कम करती है। इससे वायरस के प्रसार की गति कम हो सकती है।
कोरोना से मौत की जानकारी दे सकता है कंप्यूटर
साइंटिफिक रिपोर्ट-नेचर पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका की कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी के विज्ञानियों ने शोध के बाद कहा है कि मरीजों के डाटा का उपयोग कर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस 90 फीसद तक यह सही-सही बता सकता है कि किसी व्यक्ति की कोरोना से मौत होगी या नहीं। इसके मुख्य कारकों में बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआइ), लिंक और उच्च रक्तचाप शामिल हैं। एआइ से इसका भी आकलन किया जा सकता है कि अस्पताल में भर्ती किस मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत है और किसे पहले टीका लगाना आवश्यक है।