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अंतरिक्ष में नए स्टेशन बनाने की तैयारी में नासा, तीन कंपनियों का मिल रहा साथ

नासा निजी कंपनियों की मदद से लो-अर्थ आर्बिट में अमेरिका के स्पेस स्टेशन बनाने के प्रयास में है। नासा ने स्टेशन बनाने के लिए ब्लू ओरिजन को 13 करोड़ डालर (करीब 977 करोड़ रुपये) देने का एलान किया है।

By Monika MinalEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 02:34 AM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 03:01 AM (IST)
अंतरिक्ष में नए स्टेशन बनाने की तैयारी में नासा, तीन कंपनियों का मिल रहा साथ
अंतरिक्ष में नए स्टेशन बनाने की तैयारी में नासा, तीन कंपनियों का मिल रहा साथ

सिएटल, रायटर। अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी NASA  ने अंतरिक्ष में नए हब बनाने की तैयारी की है। इसके लिए अरबपति जेफ बेजोस की ब्लू ओरिजन, नार्थरोप ग्रमैन कार्प और नैनोरैक्स को जिम्मेदारी दी गई है। तीनों कंपनियां अलग-अलग स्टेशन तैयार करेंगी। नासा ने इस काम के लिए तीनों को कुल 41.56 करोड़ डालर (करीब 3,100 करोड़ रुपये) देने का एलान किया है।

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अंतरिक्ष में फिलहाल काम कर रहा इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आइएसएस) इस दशक के आखिर तक काम करना बंद कर सकता है। इससे पहले नासा निजी कंपनियों की मदद से लो-अर्थ आर्बिट में अमेरिका के स्पेस स्टेशन बनाने के प्रयास में है। नासा ने स्टेशन बनाने के लिए ब्लू ओरिजन को 13 करोड़ डालर (करीब 977 करोड़ रुपये) देने का एलान किया है। ब्लू ओरिजन अपने आर्बिटल रीफ स्टेशन को मैन्यूफैक्चरिंग, एंटरटेनमेंट, स्पो‌र्ट्स, गेमिंग और एडवेंचर ट्रैवल के लिए एक हब के रूप में विकसित करना चाह रही है।

ब्लू ओरिजन इस काम के लिए सिएरा स्पेस और बोइंग से साझेदारी करेगी। ह्यूस्टन की नैनोरैक्स को सबसे ज्यादा 16 करोड़ डालर (करीब 1,200 करोड़ रुपये) दिए जा रहे हैं। नैनोरैक्स स्टारलैब स्पेस स्टेशन बनाएगी, जिसमें उसे लाकहीड मार्टिन कार्प और वोएजर स्पेस का साथ मिलेगा। नार्थरोप ग्रमैन कार्प को स्टेशन बनाने के लिए 12.56 करोड़ डालर (करीब 944 करोड़ रुपये) दिए जाएंगे।

पिछले माह के अंत में नासा ने एलन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स के साथ मिलकर एक अभियान को शुरू किया है। स्पेस एक्स के फाल्कन-9 राकेट की मदद से नासा ने डार्ट (डबल एस्टेरायड रीडायरेक्शन टेस्ट) यान रवाना किया है।

डार्ट से जिस डायमार्फस एस्टेरायड को निशाना बनाया जाएगा, वह करीब एक फुटबाल के आकार का है। वह अपने से पांच गुना बड़े दूसरे एस्टेरायड का चक्कर लगा रहा है। दो एस्टेरायड के इस सिस्टम को डायडिमोस कहा जाता है। यह ग्रीक शब्द है, जिसका अर्थ होता है जुड़वां। इसे इसीलिए चुना गया है, क्योंकि इससे टक्कर के प्रभाव को समझने में मदद मिलेगी और यह अध्ययन किया जा सकेगा कि धरती के सापेक्ष किसी एस्टेरायड की दिशा बदलने का यह प्रयास कितना कारगर हो सकता है।


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