अब 'लाल' ग्रह पर जीवन की तलाश नहीं करेगा रोवर, 15 साल के ऐतिहासिक सफर का अंत
पिछले साल जून महीन में मंगल ग्रह पर आए भीषण तुफान के बाद रोवर ने पृथ्वी के साथ संदेश भेजना बंद कर दिया था। इस तुफान से रोवर के ट्रांसमिशन पर बुरा असर पड़ा।
वाशिंगटन [ एजेंसी ]। मंगल ग्रह की खोज में निकला नासा का अंतरिक्ष यान क्यूरियोसिटी रोवर के ऐतिहासिक सफर का अंत हो गया। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बुधवार को रोवर के खत्म होने का ऐलान किया। अपने 15 साल के ऐतिहासिक सफर में उसने मंगल ग्रह के कई रहस्यों से परदा उठाया।
बता दें कि पिछले साल जून महीन में मंगल ग्रह पर आए भीषण तुफान के बाद रोवर ने पृथ्वी के साथ संदेश भेजना बंद कर दिया था। इस तुफान से रोवर के ट्रांसमिशन पर बुरा असर पड़ा था। सौर ऊर्जा चालित रोवर का अंतिम संदेश 10 जून को प्राप्त हुआ था। उस समय नासा का कहना था कि रोबोट के सेंसर सर्किट को नुकसान पहुँचा है। इसी सेंसर सर्किट से हवा की रीडिंग ली जाती है। हालाँकि, मिशन टीम ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि ये कोई बहुत बड़ी समस्या नहीं है। इससे कुछ मापन में कमी आएगी, लेकिन इससे काम नहीं रुकेगा।
नासा ने रोवर को पुनर्जीवित करने के अथक प्रयास किए। इसके संपर्क को बहाल करने के लिए नासा ने रोवर के पास एक हजार से अधिक संदेश भेजे, लेकिन सभी प्रयास विफल रहे। आखिरकार राेवर से संपर्क नहीं होने पर इसे मृत घोषित कर दिया गया था। यह आठ महीने से शांत पड़ा था।
इस रोवर को लाल ग्रह की सतह पर एक किलोमीटर की यात्रा के लिए तैयार किया गया था। हालांकि, इसने रिकॉर्ड 45 किलोमीटर का सफर तय किया। रोवर और इससे पहले ट्विन रोवर स्पिरिट इस बता के सबूत दे चुके हैं कि मंगल पर कभी पानी बहता था। यहां सूक्ष्मजीवों के पनपने की भी संभावना है। हाल ही में इस रोवर ने मंगल की चट्टानों के कुछ नमूने इकट्ठा किए थे और इनका परीक्षण भी किया था।
नासा का यह क्यूरियोसिटी रोवर कई मायनों में बेहद खास है। ये न सिर्फ नासा की ओर से बनाया गया अब तक का सबसे भारी और बड़ा अंतरिक्ष यान है, बल्कि नासा के दस सबसे विशिष्ट और तकनीक संपन्न अंतरिक्ष उपकरणों को लेकर गया था। इस रोवर में एक ऐसा साफ्टवेयर था, जो वैज्ञानिकों की मदद के बिना किसी अंतरिक्ष यान की स्वचालित लैंडिंग में समर्थ था।
उम्मीद की जा रही थी मंगल ग्रह पर कम से कम दो पृथ्वी वर्ष तक काम करेगा। इसका काम मंगल ग्रह पर सूक्ष्मजीव के रहने लायक परिस्थितियों के सबूत तलाश करना था। क्यूरियोसिटी की लैंडिंग के बाद सभी चीजों की जाँच-पड़ताल का काम करीब-करीब पूरा होने वाला था। इस रोवर परियोजना में मौसम स्टेशन स्पेन का योगदान है। ये सेंसर सर्किट हवा और सतह का तापमान, हवा का दबाव, नमी, हवा की गति और दिशा के साथ-साथ सतह पर आने वाली पराबैगनी विकिरण की मात्रा के आँकड़े भी इकट्ठा करता है।