Apollo 17 mission: 47 वर्षों में दूसरी बार NASA करेगा चांद से लाए गए नमूनों का विश्लेषण
अपोलो 17 अभियान द्वारा जुटाए गए नमूनों का अत्याधुनिक तकनीकों की मदद से फिर विश्लेषण हो रहा है।
वाशिंगटन, आइएएनएस। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा 2024 तक चंद्रमा पर फिर मानव मिशन भेजने की तैयारियों में जुटी है। इसके लिए नासा के वैज्ञानिक चांद से जुड़ी छोटी से छोटी जानकारी जुटाने के साथ ही पूर्व में वहां से इकट्ठा किए गए नमूनों का भी विश्लेषण कर रहे हैं। इस क्रम में अब चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानों के उन नमूनों का अध्ययन किया जाएगा, जो अपोलो कार्यक्रम के आखिरी अभियान में जुटाए गए थे।
अपोलो 17 अभियान
नासा द्वारा किया जा रहा यह अध्ययन अपोलो नेक्स्ट-जेनरेशन सैंपल एनालिसिस (एएनजीएसए) पहल का हिस्सा है। इसके जरिये अपोलो 17 अभियान द्वारा जुटाए गए नमूनों का अत्याधुनिक तकनीकों की मदद से फिर विश्लेषण हो रहा है। बीते चालीस साल में पहली बार ऐसा किया जा रहा है। मंगलवार को जिन नमूनों को दोबारा अध्ययन के लिए निकाला गया, वह अपोलो 17 अभियान के अंतरिक्ष यात्री जीन सरनान और जैक श्मिट धरती पर लाए थे।
अपोलो 17 अभियान 1972 को किया गया था लांच
एएनजीएसए प्रोग्राम की वैज्ञानिक सारा नोबल ने कहा, ‘इन नमूनों के विश्लेषण से वैज्ञानिकों को तकनीक उन्नत करने में मदद मिलेगी। साथ ही खगोलविद और अंतरिक्ष यात्री भविष्य के चंद्र अभियानों की तैयारियां भी बेहतर तरीके से कर पाएंगे।’ अपोलो 17 अभियान सात दिसंबर 1972 को लांच किया गया था। इस अभियान में तीन अंतरिक्ष यात्री शामिल थे। यह अभियान 19 दिसंबर को पूरा हुआ था। इसके बाद से चंद्रमा पर अब तक कोई मानव मिशन नहीं भेजा गया है।
पहली बार चंद्रमा पर उतरेगी कोई महिला यात्री
अपने आर्टिमिस कार्यक्रम के तहत नासा चंद्रमा का अध्ययन करने के लिए नए उपकरणों और प्रौद्योगिकी के साथ वैज्ञानिकों को भेजेगा। उम्मीद है कि वर्ष 2024 तक अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी चंद्र सतह पर अपने अंतरिक्ष यात्रियों को उतारने में सफल होगी। बीते दिनों नासा ने कहा था कि वह एक नए मिशन के तहत पहले महिला और उसके बाद पुरुष को चांद की सतह पर उतारेगी।
अपोलो की बहनों के नाम पर अभियान का नाम: इस कार्यक्रम को ‘आर्टिमिस’ नाम दिया गया है, जो अपोलो की जुड़वां बहनें मानी जाती हैं। एजेंसी की मानें तो उसका स्पेस कार्यक्रम ‘आर्टिमिस’ उसके मंगल मिशन में बेहद अहम भूमिका निभाएगा। नासा के अनुसार, ‘मंगल पर हमारा रास्ता आर्टिमिस ही बनाएगा। यह मिशन अपोलो कार्यक्रम से प्रेरणा लेकर अपना रास्ता तय करेगा।
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