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Ingenuity Mars helicopter: अंतरिक्ष में बैटरियों को रिचार्ज करने वाला पहला हेलीकाप्टर है नासा का 'इंजीन्यूटी'

नासा ने अपना एक हेलीकॉप्टर मार्स पर भेजा है जो इतिहास में पहली बार हो रहा है। एक और खास बात यह है कि हेलीकॉप्टर अपनी बैटरियों को अंतरिक्ष में रिचार्ज कर लेता है।

By Monika MinalEdited By: Published: Fri, 14 Aug 2020 01:29 PM (IST)Updated: Fri, 14 Aug 2020 01:29 PM (IST)
Ingenuity Mars helicopter:  अंतरिक्ष में बैटरियों को रिचार्ज करने वाला पहला हेलीकाप्टर है नासा का 'इंजीन्यूटी'
Ingenuity Mars helicopter: अंतरिक्ष में बैटरियों को रिचार्ज करने वाला पहला हेलीकाप्टर है नासा का 'इंजीन्यूटी'

कैलिफोर्निया, एएनआइ।  मंगल ग्रह जा रहे नासा का इंजीन्यूटी (Ingenuity) हेलीकॉप्टर उड़ान के दौरान अपनी बैटरी को रिचार्ज करने में सक्षम है। प्रिजवेरेंस रोवर ( Perseverance rover) के साथ सात माह के सफर पर गए हेलीकॉप्टर की विशेष क्षमता के बारे में नासा ने ट्वीट कर जानकारी दी। इस ड्रोन हेलीकॉप्टर के साथ भेजे गए रोवर का वजन 1000 किलोग्राम और ड्रोन हेलीकॉप्टर का वजन 2 किलोग्राम है। नासा के अनुसार, यह हेलीकाप्टर 18 फरवरी 2021 को मंगल पर उतरेगा। नासा के अनुसार, मंगल रोवर परमाणु ऊर्जा द्वारा संचालित होगा। नासा का कहना है कि पहली बार रोबोट में प्लूटोनियम ईंधन का इस्तेमाल किया गया है।

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यह वहां दस साल तक काम करेगा और इस दौरान अपने 23 कैमरे का इस्तेमाल करेगा। 

हेलीकॉप्टर का नाम संयुक्त राज्य अमेरिका में एक प्रतियोगिता का आयोजन करके चुना गया। नेम द रोवर नामक इस प्रतियोगिता में भारतीय मूल की वनीजा रूपाणी (17) ने मंगल ग्रह के लिए बनाए गए पहले हेलिकॉप्टर का नाम दिया था। वे अलबामा नार्थ पोर्ट में हाई स्कूल जूनियर हैं। उन्होंने नासा की प्रतियोगिता ‘नेम द रोवर’ में भाग लेकर इस विषय पर एक निबंध भी लिखा था। इसके बाद हेलिकॉप्टर का नाम रखने के लिए उनके द्वारा बताया गया नाम तय किया गया। यह जानकारी खुद नासा ने ट्विटर पर पोस्ट किया था। ट्वीट में नासा ने लिखा, ' हमारे मंगल ग्रह के हेलिकॉप्टर को  नया नाम मिल चुका है। मिलिए 'इंजीन्यूटी' से।' 

8 घंटे के ऑपरेशन के दौरान, रोटरक्राफ्ट के 6 लिथियम आयन बैटरियों के परफार्मेंस का परीक्षण किया गया था। अगले साल फरवरी में यह हेलिकॉप्टर मंगल ग्रह पर जेजेरो क्रेटर में उतरेगा। जेजेरो क्रेटर एक ऐसी झील के बगल में हैं, जो 3.5 अरब साल पहले मौजूद थी। रोवर जमीन से सैंपल इकट्‌ठा करेगा और हेलिकॉप्टर इंजीन्यूटी आकाश में उड़कर मंगल की भौगोलिक स्थिति के बारे में जानकारी देगा। 


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