कोरोना संकट के चलते नासा ने विकसित किया सस्ता वेंटिलेटर, तीन भारतीय कंपनियों को मिला निर्माण का ठेका
नया बनने वाला वेंटिलेटर इतना हल्का और ले जाने में आसान होगा कि उसे एंबुलेंस या किसी अन्य वाहन के जरिये आसानी से दूरदराज के इलाकों में ले जाया जा सकेगा।
वाशिंगटन, आइएएनएस। कोविड-19 मरीजों के इलाज में उपयोगी कम लागत के वेंटिलेटर बनाने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष संगठन नासा ने तीन भारतीय कंपनियों को लाइसेंस दिए हैं। ये भारतीय कंपनियां- अल्फा डिजायन टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, भारत फोर्ज लिमिटेड और मेधा सर्वो ड्राइव्स प्राइवेट लिमिटेड हैं। यह जानकारी नासा ने जारी बयान में दी है।
नासा के जेट प्रोपल्सन लेबोरेटरी के इंजीनियरों ने महज 37 दिनों में कम लागत वाले इस वेंटिलेटर का प्रोटोटाइप तैयार किया है। इसके बाद 30 अप्रैल को आपातस्थिति में इसके इस्तेमाल की इजाजत अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) से ली गई। इस वेंटिलेटर को वाइटल (वेंटिलेटर इंटरवेंशन टेक्नोलॉजी एसेसिबिल लोकली) नाम दिया गया है। उच्च दबाव पर काम करने वाले इस वेंटिलेटर में मूल वेंटिलेटर के सातवें हिस्से के बराबर ही कल-पुर्जे इस्तेमाल किए गए हैं। इसके चलते इसकी लागत काफी कम हो गई है और यह इस्तेमाल में आसान हो गया है। इस सस्ते वेंटिलेटर के निर्माण में जो सामान लगेगा, वह बाजार में आसानी से उपलब्ध है। यह वेंटिलेटर कोरोना वायरस से गंभीर रूप से पीडि़त मरीजों को सस्ता इलाज दिलाने में कारगर साबित होगा।
दूरस्थ क्षेत्रों में आसानी से ले जा सकेंगे
नया बनने वाला वेंटिलेटर इतना हल्का और ले जाने में आसान होगा कि उसे एंबुलेंस या किसी अन्य वाहन के जरिये आसानी से दूरदराज के इलाकों में ले जाया जा सकेगा। कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए मुफ्त लाइसेंस दिया है। वाइटल विकसित करने वाली टीम सभी ओर से मिल रहे सहयोग से काफी उत्साहित है। उसे उम्मीद है कि नई तकनीक दुनिया के लोगों को कोरोना वायरस से बचा पाने में अहम भूमिका निभाएगी। नासा ने दुनिया की 21 कंपनियों को चुनकर उन्हें सस्ता वेंटिलेटर बनाने की जिम्मेदारी दी है। ज्यादा उत्पादन के जरिये इसे जल्द ज्यादा उपयोग में लिया जा सकेगा। जिन कंपनियों को लाइसेंस दिए गए हैं उनमें आठ अमेरिकी, तीन भारतीय और शेष दस अन्य देशों की कंपनियां हैं।
लगातार बढ़ रही है संक्रमितों की संख्या
नासा ने कहा है कि वाइटल को चिकित्सकों तथा चिकित्सा उपकरण बनाने वालों से सलाह लेकर तैयार किया गया है। कोरोना वायरस से अब तक अमेरिका में 1,02,836 लोगों की जान जा चुकी है। अमेरिका में इस महामारी से संक्रमित लोगों का आंकड़ा 17 लाख का आंकड़ा पार कर चुका है।
जारी है अनुसंधान
बता दें कि महामारी को हराने के लिए दुनियाभर में इसके इलाज से संबंधित कई तरह के अनुसंधान किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में बीते दिनों अमेरिकी फार्मास्युटिकल कंपनी फाइजर ने दावा किया था कि वह अक्टूबर के अंत तक कोविड-19 का टीका बाजार में बिक्री के लिए उतार देगी। उधर, भारत में भी दवा कंपनी सन फार्मास्युटिकल्स को भारतीय दवा महानियंत्रक (डीसीजीआइ) की ओर से कोविड-19 की संभावित दवा नैफमोस्टेट मेसिलेट के क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति मिल गई है। अब जल्द ही कंपनी कोरोना के मरीजों पर इसका टेस्ट शुरू करेगी। नैफमोस्टेट को जापान में नसों में खून के थक्के बनने (डीआइसी) और अग्नाशयशोथ के लक्षणों के इलाज में इस्तेमाल की अनुमति है।