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ट्रंप से मिलने हाइट हाउस पहुंचे मून, बैठक से तय होगी किम के साथ वार्ता की दिशा और दशा

ट्रंप के साथ बैठक में मून इस बारे में चर्चा करेंगे कि उत्तर कोरिया के नेता से क्या उम्मीद की जा सकती और क्या नहीं?

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 22 May 2018 05:24 PM (IST)Updated: Tue, 22 May 2018 05:47 PM (IST)
ट्रंप से मिलने हाइट हाउस पहुंचे मून, बैठक से तय होगी किम के साथ वार्ता की दिशा और दशा
ट्रंप से मिलने हाइट हाउस पहुंचे मून, बैठक से तय होगी किम के साथ वार्ता की दिशा और दशा

वाशिंगटन, एएफपी/रायटर। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन अपने अमेरिकी समकक्ष डोनाल्ड ट्रंप से मिलने के लिए मंगलवार को ह्वाइट हाउस पहुंच गए। दोनों नेताओं के बीच होने वाली इस बैठक में ट्रंप और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के बीच प्रस्तावित मुलाकात की दिशा तय हो सकती है। उत्तर कोरिया की चेतावनी को लेकर 12 जून को सिंगापुर में होने वाली इस शिखर वार्ता पर संकट के बादल भी मंडरा रहे हैं।

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-इस बैठक से तय होगी अमेरिकी राष्ट्रपति और किम जोंग उन की प्रस्तावित मुलाकात की दिशा

-ट्रंप से मिलने हाइट हाउस पहुंचे दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून

उत्तर कोरिया ने कुछ दिन पहले चेतावनी दी थी कि अमेरिका अगर परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए एकतरफा दबाव बनाता है तो वह शिखर वार्ता को रद कर देगा। इसके बाद ट्रंप ने भी आगाह किया था कि परमाणु समझौता नहीं करने पर किम को खामियाजा भुगतना होगा। ट्रंप ने यह प्रस्ताव भी दिया था कि परमाणु समझौता होने पर किम काफी खुश होंगे। अमेरिका उन्हें सुरक्षा की पूरी गारंटी देगा और वह सत्ता में बने रहेंगे।

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति भवन के एक अधिकारी के अनुसार, ट्रंप के साथ बैठक में मून इस बारे में चर्चा करेंगे कि उत्तर कोरिया के नेता से क्या उम्मीद की जा सकती और क्या नहीं? गत 27 अप्रैल को मून और किम के बीच ऐतिहासिक शिखर वार्ता हुई थी। इसमें दोनों नेताओं के बीच कोरियाई प्रायद्वीप को परमाणु मुक्त करने पर सहमति बनी थी।

अमेरिका ने तैनात किया विध्वंसक युद्धपोत

अमेरिका ने उत्तर कोरिया के साथ प्रस्तावित शिखर वार्ता से पहले जापान के पास अपना विध्वंसक युद्धपोत यूएसएस मिलिअस तैनात कर दिया है। यह पोत मंगलवार को जापान पहुंचा। इसकी गिनती अमेरिकी नौसेना के सर्वाधिक उन्नत गाइडेड मिसाइल विध्वंसक पोतों में होती है। यह उत्तर कोरिया की ओर से आने वाली किसी भी बैलिस्टिक मिसाइल से रक्षा कर सकता है। अमेरिका के इस कदम को उत्तर कोरिया पर दबाव के तौर पर देखा जा रहा है।


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