Mission Shakti की कामयाबी पर US की चिढ़ या चिंता, जानें- NASA के बयान का पूरा सच
NASA प्रमुख ने सोमवार को कहा था भारतीय एंटी सैटेलाइट मिसाइल परीक्षण को अंतरराष्ट्रीय स्पेश स्टेशन के लिए बड़ा खतरा बताया था। अमेरिका रूस व चीन पहले ही ऐसा परीक्षण कर चुके हैं।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। भारत द्वारा 28 मार्च को ‘मिशन शक्ति’ के तहत एंटी सैटेलाइट मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया। इसके बाद भारत इस कामयाबी को हासिल करने वाला चौथा देश बन गया है। भारत की इस उपलब्धि पर पहली बधाई अमेरिका से आयी। अमेरिकी राष्ट्रपति ने अंतरिक्ष अभियानों में भारत संग और सहयोग बढ़ाने की बात कही। इसके विपरीत अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भारत के इस परीक्षण को खतरनाक बताया है। ऐसे में हमारे लिए भी ये जानना जरूरी है कि अमेरिका वास्तव में भारत की इस कायमबी पर खुश है या चिंतित या फिर चिढ़ा हुआ। आइये जानते हैं, ‘मिशन शक्ति’ से अंतरिक्ष में खतरे संबंधी नासा के बयान का सच क्या है?
नासा ने क्यों बताया खतरा?
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भारत के ‘मिशन शक्ति’ को बेहत खतरनाक बताया है। नासा के अनुसार भारत के एंटी सैटेलाइट मिसाइल परीक्षण से अंतरिक्ष की कक्षा में करीब 400 मलबे के टुकड़े फैल गए हैं। इससे भविष्य में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों के लिए नया खतरा पैदा हो गया है।
ट्रंप प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों में शामिल, नासा प्रमुख जिम ब्रिडेनस्टाइन ने सोमवार को कहा था, ‘भारत ने पृथ्वी की निचली कक्षा में 300 किमी दूर मौजूद सैटेलाइट को मार गिराया, जो कक्षा में ISS और ज्यादातर सैटेलाइटों से नीचे था। नष्ट की गई सैटेलाइट के 24 टुकड़े ISS से ऊपर भी हैं। ISS के ऊपर मलबे के टुकड़े पहुंचना खतरनाक और अस्वीकार्य है। नासा को इसके असर को लेकर काफी सतर्क रहना होगा। इससे भविष्य में स्पेस वॉक कर रहे अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खतरा पैदा हो सकता है। इसलिए ऐसी गतिविधियां मानव स्पेस फ्लाइट के लिए अनुकूल नहीं है।’
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भारतीय प्रगति से डील करने का अमेरिकी तरीका हैः पूर्व DRDO प्रमुख
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के पूर्व मुखिया वीके सारस्वत, नासा की चिंताओं को पहले ही खारिज कर चुके हैं। उन्होंने नासा द्वारा व्यक्त की गई चिंता को काल्पनिक बयान बताया है। उनका मानना है कि भारत की प्रगति से डील करने का ये अमेरिकी तरीका मात्र है। सारस्वत के अनुसार, हमारे A-Sat मिसाइल टेस्ट से अंतरिक्ष में जो भी कचरा फैला है, उनमें पर्याप्त गति नहीं है। इसलिए वह लंबे समय तक अंतरिक्ष में टिक नहीं सकते। 300 किमी की ऊंचाई पर मौजूद ये टुकड़े कुछ समय बाद अपने आप गिरकर पृथ्वी के वातावरण में आएंगे और जलकर नष्ट हो जाएंगे।
अमेरिका भी कई बार कर चुका है टेस्ट
एंटी सैटेलाइट मिसाइल परीक्षण करने वाले दुनिया के चार देशों में अमेरिका भी शामिल है। भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के अनुसार अमेरिका खुद भी ये परीक्षण कई बार कर चुका है। अमेरिका के अलावा इस तकनीक से लैस रूस और चीन भी ऐसा परीक्षण कर चुके हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार अमेरिका के परीक्षण से भी अंतरिक्ष में हजारों बड़े टुकड़े पैदा हुए। ऐसे में अमेरिका, भारतीय परीक्षण पर कोई सवाल नहीं उठा सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार भारत ने एंटी सैटेलाइट मिसाइल का परीक्षण 300 किमी की ऊंचाई पर किया है, जबकि ISS पृथ्वी की कक्षा में 330 किमी से 435 किमी की ऊंचाई के बीच रहता है।
अंतरिक्ष में पहले से मौजूद टनों कचरा
भारतीय एंटी सैटेलाइट परीक्षण को लेकर नासा की चिंता इसलिए भी व्यर्थ है, क्योंकि अंतरिक्ष में पहले से ही हजारों टन कचरा या टुकड़े मौजूद हैं, जिनकी संख्या करोड़ों में है। यूरोपीय स्पेश एजेंसी के अनुसार अंतरिक्ष में इस वक्त 10 सेमी या उससे बड़े आकार के 34000 टुकड़े, एक सेमी से 10 सेमी आकार के 90 हजार टुकड़े और एक मिमी से 10 मिमी आकार के 12.8 करोड़ टुकड़े पहले से मौजूद हैं। इसके सामने 400 टुकड़े बहुत छोटा आंकड़ा है। भारतीय विशेषज्ञों के अनुसार अगर ये 400 टुकड़े खतरनाक हैं, तो क्या अंतरिक्ष में वर्षों से मौजूद लाखों टुकड़े और हजारों टन कबाड़ा से ISS को खतरा नहीं है? मालूम हो कि प्रत्येक वर्ष पृथ्वी की निचली कक्षा में अलग-अलग आकार के लगभग 190 सैटेलाइट लॉच होते हैं। इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। इससे भी अंतरिक्ष में मलबा बढ़ रहा है।
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