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तनातनी के बीच इस मकसद से पाकिस्‍तान की मदद को तैयार हुआ अमेरिका

ट्रंप प्रशासन के एक फैसले से वाकई में पाकिस्‍तान सरकार को बड़ी राहत मिल सकती है। मामला आखिरकार वित्‍तीय मदद से जो जुड़ा है।

By Pratibha KumariEdited By: Published: Wed, 14 Feb 2018 11:17 AM (IST)Updated: Wed, 14 Feb 2018 11:41 AM (IST)
तनातनी के बीच इस मकसद से पाकिस्‍तान की मदद को तैयार हुआ अमेरिका
तनातनी के बीच इस मकसद से पाकिस्‍तान की मदद को तैयार हुआ अमेरिका

वाशिंगटन। आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्‍तान से तनातनी के बीच ट्रंप प्रशासन ने कांग्रेस से अगले वित्‍तीय वर्ष के लिए उसे 336 मिलियन डॉलर की नागरिक एवं सैन्‍य मदद को मंजूरी देने को कहा है। इसके पीछे तर्क दिया गया कि इस प्रस्‍तावित मदद से अलकायदा और आइएस जैसे आतंकी संगठनों को हराने में सहायता मिलेगी। 'डॉन' के हवाले से यह खबर सामने आई है।

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हालांकि पिछले साल की तुलना में कुल प्रस्‍तावित मदद 10 मिलियन डॉलर कम है और पाकिस्‍तान की सरजमीं पर कथित सुरक्षित आतंकी ठिकानों के खिलाफ उसकी कार्रवाई को लेकर रक्षा सहयोग से जुड़ा है। प्रस्‍तावित सैन्‍य मदद में 80 मिलियन एफएमएफ (विदेशी सैन्य वित्तपोषण) फंड शामिल है, जो पिछले वित्‍तीय वर्ष के मुकाबले 20 मिलियन डॉलर कम है। पहले यह 100 मिलियन डाॅलर था।

यह बात भी बेहद महत्‍वपूर्ण है कि जिन बजट का इस्‍तेमाल नहीं हुआ है, उनका आगामी वित्‍त वर्ष 2019 में इस्‍तेमाल होगा जो एक अक्‍टूबर से शुरू हो रहा है। यह पाकिस्‍तान के लिए बड़ी राहत की खबर है, क्‍योंकि अफगान आतंकियों से कथित संबंधों को लेकर 2017-2018 के आवंटित रकम जारी नहीं किए गए थे।

गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने आतंकियों को पनाह देने का आरोप लगाते हुए पाकिस्‍तान को कड़ी फटकार लगाई थी। यहां तक कि कई तरह के आर्थिक मदद पर रोक भी लगा दी गई, जिसको लेकर दोनों देशों के बीच काफी तनातनी बढ़ गई।

विदेश मंत्रालय का कहना है कि प्रस्‍तावित सैन्‍य मदद आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई एवं स्थिरता-सुरक्षा को बेहतर बनाने की पाकिस्‍तान की क्षमता का समर्थन कर अमेरिकी राष्‍ट्रीय सुर‍क्षा हितों को आगे ले जाएगा। प्रस्‍तावित मदद से पाकिस्‍तान को आतंकी ठिकानों को तबाह करने और ऐसे संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए प्रोत्‍साहन मिलेगा।

मंत्रालय के मुताबिक, अफगानिस्‍तान में सीमा से सटे इलाकों में सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए इसकी सख्‍त जरूरत है। इससे अमेरिका-पाकिस्‍तान के साझा उद्देश्‍यों को पूरा करने में भी मदद मिलेगी। खास तौर से अलकायदा और आइएस जैसे आतंकी संगठनों से निपटने के द्विपक्षीय प्रयासों में।


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