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शोधकर्ताओं का दावा: शिकार करने से पहले ही बढ़ने लगा था मनुष्य का दिमाग

मनुष्य और अन्य जीवों के बीच सबसे महत्वपूर्ण फर्क बुद्धि का है। बुद्धि के बल पर ही इंसान ने खुद को श्रेष्ठ बनाया और अन्य जीवों पर स्वामित्व स्थापित किया।

By Mangal YadavEdited By: Published: Wed, 06 Feb 2019 05:32 PM (IST)Updated: Wed, 06 Feb 2019 05:33 PM (IST)
शोधकर्ताओं का दावा: शिकार करने से पहले ही बढ़ने लगा था मनुष्य का दिमाग
शोधकर्ताओं का दावा: शिकार करने से पहले ही बढ़ने लगा था मनुष्य का दिमाग

वाशिंगटन, प्रेट्र।  मनुष्य और अन्य जीवों के बीच सबसे महत्वपूर्ण फर्क बुद्धि का है। बुद्धि के बल पर ही इंसान ने खुद को श्रेष्ठ बनाया और अन्य जीवों पर स्वामित्व स्थापित किया। माना जाता है कि मानव के पूर्वजों द्वारा मांस खाने की शुरुआत करना विकास यात्रा का अहम पड़ाव था। इसके बाद से ही मनुष्य के मस्तिष्क का विकास शुरू हुआ। ताजा अध्ययन में इससे इतर बात सामने आई है। इसके मुताबिक शिकार की शुरुआत से काफी पहले से ही मानव मस्तिष्क का विकास शुरू हो गया था।

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अध्ययन के अनुसार, फैट यानी वसा के स्वाद को लेकर रुचि पैदा होना मानव विकास के क्रम में बहुत अहम कड़ी थी। अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी की वैज्ञानिक जेसिका थॉम्पसन ने कहा, 'करीब 40 लाख साल पहले हमारे पूर्वजों में फैट के प्रति रुचि पैदा हुई थी। यही रुचि आज तक हमारे अंदर बनी हुई है।' अध्ययन के मुताबिक, शुरुआती दिनों में मानव ने अन्य शिकारी पशुओं द्वारा छोड़ी गई हड्डियों के अंदर मिलने वाली वसा का स्वाद चखा। उस दौर में यह मानव के लिए कैलोरी का अहम स्रोत बनकर सामने आया।

वैज्ञानिकों ने बताया कि इन खोखली हड्डियों के अंदर से वसा पाने के लिए मनुष्य को किसी विशेष हथियार की जरूरत नहीं होती थी। आराम से किसी पत्थर से फोड़कर मनुष्य को अपना स्वादिष्ट भोजन मिल जाता है। अनुमान है कि ऐसी हड्डियों के प्रति बढ़ती चाहत ने ही मनुष्य का दिमाग बढ़ाया। इसके बाद ही उनके मन में बेहतर हथियार बनाने और जानवरों का शिकार करने का विचार आया।

मनुष्य का दिमाग आराम करते समय भी शरीर की ऊर्जा के 20 फीसद के बराबर खपत करता है। अन्य स्तनपायी जीवों की तुलना में यह दोगुना है। वैज्ञानिकों का कहना है कि शिकार की शुरुआत करने के बाद दिमाग के विकास का सिद्धांत सही नहीं लगता। इससे ऊर्जा खपत वाली बात का कोई हल नहीं मिल पाता है।


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