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जानिए क्या है बीका समझौता, भारत-अमेरिका की दोस्ती देखकर घबराए चीन और पाकिस्तान

अमेरिका हर तरह से भारत के साथ है और वो उसको सहयोग भी करता रहेगा। टू प्लस टू वार्ता में अमेरिकी पक्ष की अगुआई पोंपियो के साथ रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने की थी। भारत की तरफ से विदेशमंत्री एस. जयशंकर और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने हिस्सा लिया।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 02:49 PM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 05:55 PM (IST)
जानिए क्या है बीका समझौता, भारत-अमेरिका की दोस्ती देखकर घबराए चीन और पाकिस्तान
टू प्लस टू वार्ता में शामिल अमेरिका और भारत के प्रतिनिधि। (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क/एजेंसी। भारत और अमेरिका के बीच हमेशा से बेहतर रिश्ते रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश की सत्ता संभालने के बाद इसमें और भी बढ़ोतरी हुई है। प्रधानमंत्री डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी के बेहतर रिश्तों की बानगी कई बार दिख भी चुकी है।

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अमेरिका में जहां हाउडी मोदी कार्यक्रम का आयोजन हुआ वहीं भारत में नमस्ते ट्रंप का आयोजन किया गया। चीन के साथ इन दिनों दोनों देशों के साथ रिश्ते खराब है। चीन की हरकतों की वजह से अमेरिका भी खासा परेशान है। भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चल रहे सैन्य तनाव के बीच अमेरिका ने भारत के पक्ष में खड़ा होने का एलान कर दिया है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने कहा है कि भारत की संप्रभुता और आजादी बनाए रखने की हर कोशिश में अमेरिका उसके साथ है। 

पोंपियो ने मंगलवार को तीसरी टू प्लस टू वार्ता समाप्त होने के बाद इस बात को दोहराया कि अमेरिका हर तरह से भारत के साथ है और वो उसको सहयोग भी करता रहेगा। टू प्लस टू वार्ता में अमेरिकी पक्ष की अगुआई पोंपियो के साथ रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने की थी। भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय दल ने हिस्सा लिया।

दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों की अलग--अलग द्विपक्षीय बैठकें हुई थीं जिसमें रणनीतिक सहयोग की भावी रूपरेखा पर चर्चा हुई थी। उक्त चारों नेताओं की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अलग से एक बैठक हुई। इस विशेषष बैठक में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और नई दिल्ली में अमेरिकी राजदूत केन जस्टर भी शामिल थे। 

क्या है बेसिक एक्सचेंज एंड कॉपरेशन एग्रीमेंट? 

बेसिक एक्सचेंज एंड कॉपरेशन एग्रीमेंट (Basic Exchange and Cooperation Agreement) यानी 'बीका' भारत और अमेरिका के बीच होने वाले चार मूलभूत समझौतों में से आखिरी है। इससे दोनों देशों के बीच लॉजिस्टिक्स और सैन्य सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। इससे पहले भी दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ था। वो सैन्यू सूचना की सुरक्षा को लेकर किया गया था। इसके बाद दो समझौते 2016 और 2018 में हुए जो लॉजिस्टिक्स और सुरक्षित संचार से जुड़े थे। इसी कड़ी में अब ये समझौता किया गया है। 

ताजा समझौता भारत और अमेरिका के बीच भू-स्थानिक सहयोग है। इसमें क्षेत्रीय सुरक्षा में सहयोग करना, रक्षा सूचना साझा करना, सैन्य बातचीत और रक्षा व्यापार के समझौते शामिल हैं। इस समझौते पर हस्ताक्षर का मतलब है कि भारत को अमेरिकी से सटीक जियोस्पैशियल/जियोस्पैटिकल (भू-स्थानिक) डेटा मिलेगा जिसका इस्तेमाल सैन्य कार्रवाई में कारगर साबित होगा।

इससे दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ेगा वहीं इस समझौते का एक महत्वपूर्ण हिस्सा यह भी है कि अमेरिकी सैटेलाइट्स से जुटाई गई जानकारियां भारत के साथ साझा की जा सकेंगी। इसका रणनीतिक फायदा भारतीय मिसाइल सिस्टम को मिलेगा। इस समझौते के साथ ही भारत उन देशों की श्रेणी में भी शामिल हो जाएगा जिसके मिसाइल हजार किलोमीटर तक की दूरी से भी सटीक निशाना साध सकेंगे। इसके अलावा भारत को अमेरिका से प्रिडेटर-बी जैसे सशस्त्र ड्रोन भी उपलब्ध होंगे। हथियारों से लैस ये ड्रोन दुश्मन के ठिकानों का पता लगा कर तबाह करने में सक्षम हैं।

जो सैन्य तकनीक किसी को नहीं दीं, भारत को देगा अमेरिका 

टू प्लस टू वार्ता के दौरान दोनों देशों के बीच पांच अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं। इनमें सबसे अहम समझौता बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन फॉर जिओ स्पैशिएल कोऑपरेशन (बीका-BECA) है। यह समझौता दोनों देशों के बीच चार अहम रक्षा समझौतों की अंतिम क़़डी है।

इससे भारत अमेरिका के सबसे करीबी सैन्य साझीदारों में शामिल हो गया है। इस समझौते से भारत अमेरिका से उन सैन्य तकनीकों और सूचनाओं को हासिल कर सकेगा जो वह बहुत ही गिनेचुने देशों को देता है। असलियत में माना जा रहा है कि कुछ ऐसी सैन्य तकनीक भी भारत को हस्तांतरित की जाएंगी जो अमेरिका ने अभी तक किसी दूसरे देश को नहीं दी हैं।

भारत को आधुनिक सैन्य साजो-सामान, तकनीक और ज्ञान मुहैया कराने के कारण दक्षिण एशिया में रणनीतिक स्थिरता के ख़तरे को पाकिस्तान लगातार आगाह करता रहा है। भारत का युद्धक सामग्री का लगातार इकट्ठा करना, परमाणु ताकतों को बढ़ाना, अस्थिर करने वाली नई हथियार प्रणालियों को विकसित करने जैसी चीजें दक्षिण एशिया की शांति और स्थायित्व के लिए गंभीर नतीजे लेकर आ सकती हैं। 


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