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जानिए आखिर किन परिस्थितियों में विमानों को डंप करना पड़ता है विमान में मौजूद एक्स्ट्रा ईंधन

शंघाई में फ्यूल डंप करने के बाद ये बातें उठने लगी कि आखिर किन वजहों से जहाज को तेल डंप करना पड़ता है। तेल डंप करने के लिए एयरपोर्ट और जगहें भी फिक्स हैं।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 03:14 PM (IST)Updated: Thu, 16 Jan 2020 03:14 PM (IST)
जानिए आखिर किन परिस्थितियों में विमानों को डंप करना पड़ता है विमान में मौजूद एक्स्ट्रा ईंधन
जानिए आखिर किन परिस्थितियों में विमानों को डंप करना पड़ता है विमान में मौजूद एक्स्ट्रा ईंधन

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। अमेरिका से एक विमान लॉस एंजिलिस जा रहा था। इस विमान में किसी तरह की तकनीकी समस्या आ गई जिसके कारण उस विमान की लॉस एंजिलिस पर फ्यूल डंपिंग प्रक्रिया के जरिए सुरक्षित लैंडिंग कराई गई। दरअसल फ्यूल डंपिंग के लिए विमानन कंपनियों की ओर से इलाके और परिस्थितियां निर्धारित की गई हैं।

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इसके अलावा किसी भी विमान को दूसरे इलाकों में फ्यूल डंप करना मना होता है मगर जिस तरह से अमेरिकी विमान ने इमरजेंसी लैंडिंग से पहले फ्यूल डंप किया उससे एक स्कूल के 26 बच्चे उसकी चपेट में आ गए। इस वजह से स्कूल के बच्चे और स्टाफ को मामूली चोटें आई हैं। इस घटना के बाद से लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा है कि आखिर ऐसी कौन सी परिस्थितियां पैदा हो जाती हैं जिसके कारण विमान को इमरजेंसी के लिए रखे गए फ्यूल को ही डंप करना पड़ जाता है।

विमान किन परिस्थितियों में डंप करते हैं ईंधन 

दरअसल विमान अक्सर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए अपने साथ अतिरिक्त ईंधन लेकर चलते हैं। इस अतिरिक्त ईंधन के कारण विमान का वजन अपने अधिकतम स्तर तक पहुँच जाता है। ये सुरक्षित लैंडिंग के लिए सही नहीं माना जाता है। लैंडिंग के समय विमान का वजन ज्यादा नहीं होना चाहिए। कई बार तकनीकी खराबी या अन्य वजहों से विमान को उड़ान भरने के तुरंत बाद ही लैंड करना पड़ जाता है।

इस स्थिति में सुरक्षित लैंडिंग के लिए उन्हें अपना अतिरिक्त ईंधन डंप करना पड़ता है लेकिन ईंधन डंप करने की जगह के लिए निर्देश हैं और इसे आबादी वाले इलाके में नहीं डंप किया जा सकता। यही इस बोइंग 777 विमान के मामले में हुआ। इस विमान ने लॉस एंजिलिस के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से शंघाई के लिए उड़ान भरी थी। ये फ्लाइट 14 घंटे की थी। इंजन में खराबी के कारण जब विमान की इमरजेंसी लैंडिंग के बारे में सोचा गया, उस समय विमान का वजन बहुत था। इतने वजन के साथ विमान लैंड नहीं कर सकता था इसलिए इस विमान को अपना ईंधन डंप करना पड़ा। विमान का ईंधन उसके विंग्स में भरा जाता है और यहीं नोजल लगे होते हैं, जिनकी मदद से ईंधन डंप किया जाता है।

सभी विमान नहीं कर पाते ईंधन डंप 

वैसे सभी विमान ईंधन डंप नहीं कर सकते हैं। बोइंग 747 और 777 अपना ईंधन डंप कर सकते हैं। एयरबस ए380 और ए330 भी ईंधन डंप कर सकते हैं लेकिन अपेक्षाकृत छोटे विमान जो लंबी दूरी की उड़ान नहीं भरते हैं, जैसे बोइंग 737 और एयरबस ए320 वो अपना ईंधन डंप नहीं कर सकते हैं।

फ्यूल डंप कर कराई गई सुरक्षित लैंडिंग 

विमानन कंपनी डेल्टा के प्रवक्ता एड्रियन जी ने बताया था कि फ्लाइट 89 लॉस एंजिलिस से शंघाई के लिए उड़ी ही थी कि इंजन में खराबी का पता चला। इस पर विमान को लॉस एंजिलिस लौटने का आदेश दिया गया। फ्यूल डंपिंग प्रक्रिया का इस्तेमाल कर पायलट ने इस विमान को तो सुरक्षित तरीके से लैंड करा दिया। लेकिन इस दौरान पार्क एवेन्यू एलीमेंट्री स्कूल के मैदान सहित काफी बड़े इलाके में ईंधन गिरा। इससे 26 स्कूली बच्चे और 11 शिक्षक व कर्मचारियों को परेशानी हुई थी। स्कूल के बच्चों और शिक्षकों व कर्मचारियों ने त्वचा में जलन और सांस लेने में दिक्कत की शिकायत की थी। सभी का मौके पर ही इलाज किया गया और किसी को भी अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत नहीं पड़ी। अमेरिका का संघीय विमानन प्रशासन इस मामले की जांच कर रहा है।

आबादी वाले इलाके पर नहीं किया जाता फ्यूल डंप 

इमरजेंसी लैंडिंग की स्थिति में विमान अपना ईंधन डंप कर सकते हैं, लेकिन आबादी वाले इलाके में नहीं। एविएशन नियमों के मुताबिक विमानों को ज्यादा ऊंचाई से ईंधन डंप करना चाहिए, ताकि वे हवा में ही वाष्प बनकर उड़ जाए और तरल रूप में जमीन पर न गिरे। डेल्टा ने एक बयान जारी करके इसकी पुष्टि की है कि इस यात्री विमान ने अपना लैंडिंग वेट कम करने के लिए ईंधन डंप किया था।


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