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जानिए अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र के किस प्रस्ताव पर किया वीटो का इस्तेमाल

अमेरिका को संयुक्त राष्ट्र के आतंकियों के पुर्नवास प्रस्ताव के कुछ बिंदुओं पर आपत्तियां थीं जिसके कारण उसने उसे वीटो कर दिया।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Tue, 01 Sep 2020 05:23 PM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2020 05:23 PM (IST)
जानिए अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र के किस प्रस्ताव पर किया वीटो का इस्तेमाल
जानिए अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र के किस प्रस्ताव पर किया वीटो का इस्तेमाल

नई दिल्ली, रॉयटर्स। अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र के एक प्रस्ताव पर वीटो का इस्तेमाल किया है। अमेरिका ने इस वीटो का इस्तेमाल किसी ऐसे वैसी वजह से नहीं किया है बल्कि आतंकियों की घर वापसी पर बनाए गए कानून में खामियों को ध्यान में रखते हुए किया है।

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दरअसल इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों और आतंकी गतिविधियों में शामिल लोगों पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का एक प्रस्ताव था। इस प्रस्ताव में आतंकियों को सजा ना दिलाना, पुनर्वास करना और समाज की मुख्य धारा में लाना शामिल था। अमेरिका को संयुक्त राष्ट्र के इस प्रस्ताव के कुछ बिंदुओं पर आपत्तियां थीं, जिसके कारण उसने उसे वीटो कर दिया।

वीटो करने के बाद अमेरिका ने कहा है कि प्रस्ताव इस्लामिक स्टेट के विदेशी लड़ाकों और उनके परिवार की वापसी के बारे में एक महत्वपू्र्ण हिस्से को संबोधित नहीं करता है। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत केली क्राफ्ट ने कहा कि हमारे सामने इंडोनेशियाई प्रस्ताव है, जिसे माना जाता है कि आतंकवाद पर अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई को सुदृढ़ करने के लिए तैयार किया गया था, यह प्रस्ताव भी नहीं है, उससे बदतर है।

अमेरिका का कहना है कि ऐसे आतंकवादियों पर उनके देश में आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए मुकदमा चलाया जाना चाहिए और उनका पुनर्वास उनके गृह देश में होना चाहिए। हालांकि यूरोपीय देश जैसे ब्रिटेन और फ्रांस इस मुद्दे पर अमेरिका के समर्थन में नहीं नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि इराक और सीरिया में किए गए अपराध के लिए सबूत जुटाना कठिन काम है।

संयुक्त राष्ट्र ने शिविरों की हालत को लेकर चिंता जाहिर की है, इन शिविरों में काफी संख्या में लोग रह रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि विदेशी लड़ाकों और उनके परिवारों की समस्या का जल्द समाधान जरूरी है, जिससे आतंकवादी गतिविधियों को दोबारा होने से को रोका जा सके।

प्रस्ताव को इंडोनेशिया ने पेश किया था, जिसने अगस्त के महीने में सुरक्षा परिषद का नेतृत्व किया था। हालांकि 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव को अमेरिका को छोड़कर सभी 14 सदस्यों का समर्थन हासिल था लेकिन एक स्थायी सदस्य के रूप में अमेरिका के पास वीटो शक्ति है, जिसका उसने इस्तेमाल किया। क्राफ्ट के मुताबिक प्रस्ताव में पहले चरण का ही उल्लेख नहीं था। आईएस के आतंकियों की मूल देशों में वापसी या नागरिकता वाले देशों में वापसी।

वहीं आतंकियों के परिवार के सदस्यों की वापसी के बारे में प्रस्ताव में ठीक तरीके से उल्लेख किया गया। प्रस्ताव में बच्चों की उनके मूल देश में वापसी के बारे में कहा गया है। इस्लामिक स्टेट सीरिया में बड़े क्षेत्रों में अपनी पकड़ खो रहा है, इस दौरान कुर्द सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेस (एसडीएफ) ने हजारों आईएस के लड़ाकों को हिरासत में ले लिया है जो अब भी बड़ी संख्या में अपने शिविरों में कैद हैं। इस तरह के बड़े शिविरों में हजारों महिलाएं और बच्चे शामिल हैं, जिनमें से अधिकांश संदिग्ध आतंकवादियों के परिवार के सदस्य हैं।  


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