किडनी रोगियों के लिए ज्यादा घातक है कोरोना, वैज्ञानिकों ने जानकारी दी- 48 फीसद पाई गई मौत की दर
कोरोना वायरस उन लोगों पर ज्यादा भारी पड़ रहा है जो पहले से ही किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। अब एक नए अध्ययन से पता चला है कि किडनी की समस्या से पीडि़त लोगों के लिए कोरोना संक्रमण ज्यादा घातक साबित हो सकता है।
न्यूयॉर्क, आइएएनएस। कोरोना वायरस (कोविड-19) उन लोगों पर ज्यादा भारी पड़ रहा है, जो पहले से ही किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। अब एक नए अध्ययन से पता चला है कि किडनी की समस्या से पीडि़त लोगों के लिए कोरोना संक्रमण ज्यादा घातक साबित हो सकता है। एक भारतीय समेत शोधकर्ताओं के दल ने पाया कि आइसीयू में भर्ती ऐसे कोरोना मरीजों में मौत का खतरा सबसे ज्यादा हो सकता है, जो क्रॉनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) या एक्यूट किडनी इंजरी (एकेआइ) से पीडि़त हैं।
सीकेडी किडनी रोग का एक प्रकार है। बुजुर्गों में आमतौर पर होने वाली इस बीमारी के चलते किडनी धीरे-धीरे काम करना बंद कर देती है। जबकि एकेआइ में अचानक किडनी फेल हो सकती है। कोरोना के कारण भी यह खतरा हो सकता है। ब्रिटेन के इंपीरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ता सनोज सोनी ने कहा, 'हमारी जानकारी के आधार पर यह ऐसा पहला व्यापक अध्ययन है, जिसमें गंभीर रूप से पीडि़त उन कोरोना रोगियों का विश्लेषण किया गया है, जो पहले से ही किडनी समस्या से जूझ रहे थे।'
शोधकर्ताओं ने आइसीयू में भर्ती किए गए 372 सीकेडी और एकेआइ रोगियों पर गौर किया। इन रोगियों की औसत उम्र 60 साल थी। इन पीडि़तों में से 218 किडनी रोगी थे। इनमें से 45 फीसद रोगी आइसीयू में रखे जाने के दौरान एकेआइ की चपेट में आ गए। इससे जाहिर होता है कि एकेआइ का कोरोना से सीधा संबंध है। एकेआइ की चपेट में आने वाले कोरोना पीडि़तों में मौत की दर 48 फीसद पाई गई।
उल्लेखनीय है कि दूसरे दौर की कोरोना महामारी की चपेट में आए फ्रांस, स्पेन, ब्रिटेन और जर्मनी समेत कई यूरोपीय देशों में संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। इन देशों में रोजाना रिकॉर्ड संख्या में नए संक्रमित मिल रहे हैं। कई देशों ने रोकथाम के लिए सख्त कदम उठाए हैं लेकिन इसके बावजूद प्रकोप थम नहीं रहा है। फ्रांस में गुरुवार को कोरोना पीडि़तों का आंकड़ा दस लाख के पार हो गया। फ्रांस में अब तक 34 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई है।