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अंतर-अफगान वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए इस्‍लामाबाद की यात्रा पर खलीलजाद, कैदियों की रिहाई पर रहेगी नजर

दोहा और काबूल यात्रा के दौरान खलीलजाद अंतर-अफगान वार्ता में शेष मुद्दों के समाधान के लिए दबाव डालेंगे। खासकर कैदियों की रिहाई पर उनका जोर होगा।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sun, 26 Jul 2020 03:33 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jul 2020 03:33 PM (IST)
अंतर-अफगान वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए इस्‍लामाबाद की यात्रा पर खलीलजाद, कैदियों की रिहाई पर रहेगी नजर
अंतर-अफगान वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए इस्‍लामाबाद की यात्रा पर खलीलजाद, कैदियों की रिहाई पर रहेगी नजर

वाशिंगटन, एजेंसी। अंतर-अफगान वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि खलीलजाद 24 जुलाई से दोहा, इस्‍लामाबाद, काबूल, ओस्‍लो और सोफ‍िया के दौरे पर हैं। विदेश विभाग की एक प्रेस विज्ञिप्‍त के अनुसार दोहा और काबूल यात्रा के दौरान खलीलजाद अंतर-अफगान वार्ता में शेष मुद्दों के समाधान के लिए दबाव डालेंगे। खासकर कैदियों की रिहाई पर उनका जोर होगा। इसके साथ अफगानिस्‍तान में जारी हिंसा पर भी वार्ता होगी। खलीलजाद इस्लामाबाद में अंतर-अफगान वार्ता को आगे बढ़ाने के प्रयास में पाकिस्तान के समर्थन की मांग का करेंगे। ओस्लो और सोफिया में वह अफगान शांति प्रक्रिया पर नाटो सहयोगियों को अपडेट करेंगे। 

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अफगानिस्तान और क्षेत्र के लिए यह एक महत्वपूर्ण क्षण

रवाना होने से पहले खलीलजाद ने कहा है कि अंतर-अफगान वार्ता इतना करीब कभी नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि युद्धग्रस्त देश के लिए यह एक निर्णायक क्षण है। टोलो न्यूज के मुताबिक उन्होंने शुक्रवार को वाशिंगटन स्थित यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस द्वारा आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शुक्रवार को यह टिप्पणी की थी। खलीलजाद ने कहा अफगानिस्तान और क्षेत्र के लिए यह एक महत्वपूर्ण क्षण है, संभवत: एक निर्णायक क्षण है। उन्‍होंने कहा कि युद्ध ने अमेरिका और अफगानिस्तान के साथ-साथ विश्व समुदाय पर भारी बोझ छोड़ा है। विशेष प्रतिनिधि ने इस बात से संतोष जताया कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष अफगान सैन्य कर्मियों और नागरिकों के बीच हताहतों की संख्या में कमी आई है। 

अंतर-अफगान वार्ता के अलावा कोई विकल्प नहीं

खलीलजाद ने कहा कि युद्धग्रस्त देश में शांति के लिए अंतर-अफगान वार्ता के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उन्‍होंने कहा कि अफगानिस्तान और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में यह आम सहमति है कि सेना का इस्तेमाल समाधान नहीं है। अफगानियों के बीच राजनीतिक समाधान, शांति समझौता ही  मौजूदा वक्त में एकमात्र उचित विकल्प है। उन्होंने कहा कि हम भी अमेरिका पर बोझ कम करने के लिए राजनीतिक समाधान चाहते हैं। साथ ही यह भी चाहते हैं कि अफगानिस्तान अमेरिका या हमारे सहयोगियों पर हमले का फिर कभी मंच न बने। उन्होंने कहा कि अमेरिका-तालिबान समझौते ने शांति पर आगे बढ़ने का ऐतिहासिक अवसर मुहैया कराया है। उन्‍होंने कहा कि जितनी जल्दी अंतर-अफगान वार्ता शुरू होगी उतनी, जल्द ही शांति लौटेगी। उन्होंने कहा कि अमेरिका यह चाहता है कि तालिबान आंतकवाद के विरुद्ध अपनी प्रतिबद्धता पर खरा उतरे। प्रतिनिधि ने कहा कि तालिबान और अफगानिस्तान सरकार अंतहीन युद्ध और सीरिया जैसे हालात नहीं चाहती। उन्‍होंने कहा कि कुछ बाधाएं हैं, आइएस जैसी ताकतें हैं जो अपने हितों के लिए अफगानिस्तान में शांति नहीं देखना चाहते और हिंसा बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।


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